[nextpage title=”नील आर्मस्ट्रांग का झूठ” ]
अमेरिका ने 20 जुलाई 1969 को चाँद पर अपना झण्डा फहराकर पूरी दुनिया को अपनी ताकत का लोहा मनवाया था। इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब कोई व्यक्ति चाँद पर पहुंचा हो। नील आर्मस्ट्रांग ने इस कारनामा से पूरी दुनिया ने बेइंतहां शोहरत बटोरी थी। हालांकि अमेरिका के इस क्रांतिकारी मिशन में कई ऐसी खामियाँ नजर आती हैं, जिनकी वजह से यह आज तक विवादों में है। कुछ विशेषज्ञों के मुताबिक़ तो अमेरिका का चाँद पर पहुँचना एक सफ़ेद झूठ है, अमेरिका कभी भी चाँद पर नहीं पहुंचा। देखिये अमेरिका के चन्द्र मिशन से जुड़े कुछ ऐसे तथ्यों को, जिनका आज तक कोई जवाब नहीं मिला।
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जब चाँद पर वातावरण ही नहीं है, तो अमेरिका का झण्डा हवा में कैसे उड़ रहा है? नासा की तरफ से जारी किये फोटोज और वीडियो में अमेरिका के झण्डे को चाँद में हवा में उड़ते हुए साफ़-साफ़ देखा जा सकता है।
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चाँद पर नील आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरो के निशान को देखिये। यह बहुत ही अजीब है कि चाँद की सतह पर कोई कैसे इतना स्थिर निशान बना सकता है क्योंकि चन्द्रयान जिसका वजन 4 टन था उसने चन्द्रमा पर कोई निशान नहीं छोड़े, तो फिर आर्मस्ट्रॉन्ग के पैरों के निशान कैसे बन गए। यहां ध्यान देने वाली बात कि चाँद का गुरुत्वाकर्षण पृथ्वी के 1/6 है।
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इस मिशन की मशीन के ब्लूप्रिंट्स आज तक किसी ने नहीं देखे। अमेरिका का कहना है कि वो किसी तरह से गायब हो गए। हालांकि किसी भी देश का चन्द्रमा पर पहुँचना एक क्रांतिकारी घटना है, तो अमेरिका इतनी बड़ी गलती कैसे कर सकता है?
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[nextpage title=”नील आर्मस्ट्रांग का झूठ 5″ ]
अमेरिकन सरकार 2018 में कथित तौर पर दोबारा चाँद पर जाने की योजना बना रही है। हालांकि अमेरिका 1969 में चाँद पर पहुँचने वाला पहला देश बन गया था, तो फिर दोबारा चाँद पर जाने के बीच इतने सालों का अंतराल क्यों?
हालांकि अमेरिका समय-समय पर इन सभी सवालों के जवाब देता रहा है, लेकिन दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के इतने बड़े मिशन में इतनी सारी गलतियां कैसे हो सकती हैं।
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