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जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे बुधवार 13 सितम्बर को भारत-जापान वार्षिक समिट में शामिल होने के लिए देश के गुजरात राज्य के अहमदाबाद शहर में पहुंचे थे, जहाँ उनका स्वागत प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था. वहीँ गुरुवार को अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री शिंजो पीएम मोदी के साथ मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट(first bullet train project) का शिलान्यास करेंगे. वहीँ राजस्थान के इस लड़के को बुलेट ट्रेन का जिम्मा मिला है.
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इनको मिला बुलेट ट्रेन का जिम्मा (first bullet train project):
- गुरुवार को अपने दौरे के दौरान प्रधानमंत्री शिंजो पीएम मोदी के साथ गुजरात गुजरात के अहमदाबाद शहर पहुंचे थे.
- जहां वह मुंबई से अहमदाबाद बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट (first bullet train project) का शिलान्यास करेंगे.
- लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे एक ऐसे इंसान के बारे में बुलेट ट्रेन का जिम्मा मिला है.
- बता दें कि देश की पहली बुलेट ट्रेन के सलाहकार बने आईआईटीयन संजीव सिन्हा.
- ये ये बाड़मेर के रहने वाले है और अपने जिले के पहले आईआईटीयन है.
- आपको बता दें की संजीव ने पहली बार में ही आईआईटी पास आउट कर लिया था.
- वहीँ देश की पहली बुलेट ट्रेन का जिम्मा संजीव को जापान रेलवे ने दिया है.
- बता दें कि इनके बड़े भाई राजीव सिन्हा सूरत के एक बैंक में एजीएम है.
- आईआईटीयन संजीव ने जापान की लड़की से शादी की थी.
बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट- एक नजर:
- भारत में बुलेट ट्रेन 2022 तक चलाये जाने की बात कही जा रही है.
- इस दौरान मुंबई-अहमदाबाद के 508 किमी के रूट पर बुलेट ट्रेन चलायी जाएगी.
- बुलेट ट्रेन की अधिकतम रफ़्तार 320 किमी प्रति/घंटा होगी.
- मुंबई से अहमदाबाद के सफ़र के दौरान बुलेट ट्रेन सिर्फ 12 स्टेशनों पर रुकेगी.
- इसके साथ ही मुंबई से अहमदाबाद के सफ़र में सिर्फ तीन घंटे का समय लगेगा.
- बुलेट ट्रेन का रूट 468 किमी तक एलिवेटेड रहेगा.
- वहीँ 7 किमी का हिस्सा समुद्र के अन्दर होगा.
- 25 किमी का रूट सुरंग से गुजरेगा.
- अपने सफ़र के दौरान बुलेट ट्रेन 70 हाईवे, 21 नदियों, 173 बड़े और 201 छोटे ब्रिज से गुजरेगी.
- शुरूआती दौर में बुलेट ट्रेन में 10 कोच होंगे, जिनमें 750 लोग सफ़र कर सकेंगे.
- जिसके बाद 1200 लोगों के लिए 16 कोच की व्यवस्था की जाएगी.
- वहीँ बुलेट ट्रेन का किराया 2700 से 3000 के बीच रखा जा सकता है.
- गौरतलब है कि, बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट दोनों देश की जरुरत है, जापान इससे पहले इंडोनेशिया का मेट्रो प्रोजेक्ट हासिल करना चाहता था.
- जो चीन को मिल गया, जिसके बाद जापान के लिए भारत का मेट्रो प्रोजेक्ट काफी अहम हो जाता है.
- भारत के लिए 160 साल पुरानी रेल सभ्यता में बदलाव के लिए इसे जरुरत बताया जा रहा है.
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