दलीप सिंह राणा यानि ‘द ग्रेट खली‘ ने अपने जीवन में एक ऐसा दौर भी देखा है जब उनके माता पिता ढाई रुपया फीस नहीं भर सके और इसकी वजह से उन्हें 8 साल की उम्र में 5 रुपए कमाने के लिए गांव में उन्हें बागान में नौकरी करनी पड़ी थी। ऐसी ही खली के जीवन के संघर्ष की कई कहानियां उनकी किताब ‘द मैन हू बिकेम खली’ में जाहिर है।
खली ने देखा कठिन समय-
- इस किताब में विश्व हैवीवेट चैंपियनशिप जीतने वाले इस धुरंधर के जीवन के कई पहलुओं को छुआ है।
- स्कूल छोड़ने से लेकर दिहाड़ी मजदूरी तक दलीप सिंह राणा ने कई ऐसे खराब दौर झेले है।
- खली को अपने कद के कारण लोगों के उपहास का पात्र बनना पड़ता था।
- द ग्रेट खली को ढाई रुपए न होने के कारण स्कूल छोड़ना पड़ा।
- 5 रुपए कमाने के लिए उन्हें दिहाड़ी मजदूरी में खुद को झोंकना पड़ा।
- इन सब के बाद भी खली ने वो कर दिखाया कि जो उनसे पहले कोई भारतीय नहीं कर पाया था।
- ‘द ग्रेट खली‘ डब्लयूडब्लयूई में पहुंचने वाले पहले भारतीय पहलवान बने।