आमतौर पर लोग दो नवरात्रों के बारे में जानते हैं- चैत्र नवरात्रि और आश्विन नवरात्रि, जिसे शारदीय नवरात्र भी कहते हैं। इसके अलावा दो और नवरात्र भी हैं। जिसमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती है। बहुत कम लोगों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इसको गुप्त नवरात्र कहते हैं। कुल मिलाकर साल में चार नवरात्र होते हैं।
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गुप्त नवरात्रि से जुड़ी जानकारी :
- साल में दो गुप्त नवरात्रि पड़ती है।
- एक माघ शुक्ल पक्ष में और आषाढ़ शुक्ल पक्ष में पड़ता है।
- इस प्रकार कुल मिलाकर साल में 4 बार नवरात्रि आती है।
- ये चारों ही नवरात्रि ऋतु परिवर्तन के समय मनाई जाती हैं।
- महाकाल संबिता और तमाम शाक्त ग्रंथों में इन चारों नवरात्रों का महत्व बताया गया है।
- इनमें विशेष तरह की इच्छा पूर्ति और सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजा और अनुष्ठान किया जाता है।
- इस बार आषाढ़ महीने के गुप्त नवरात्र 24 जून से आरंभ हो रही हैं।
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सामान्य और गुप्त नवरात्रि में अंतर :
- सामान्य नवरात्रि में आमतौर पर सात्विक और तांत्रिक पूजा की जाती है, देवी का पंडाल बनाया जाता है।
- लेकिन गुप्त नवरात्रि में आमतौर पर ज्यादा प्रचार प्रसार नहीं किया जाता अपनी साधना को गोपनीय रखा जाता है।
- गुप्त नवरात्रि में पूजा मनोकामना जितनी ज्यादा गोपनीय होगी, सफलता उतनी ज्यादा मिलेगी।
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विधि-विधान से करें मां की आराधना :
- गुप्त नवरात्रि में मां की पूजा विधि के लिए नौ दिनों तक कलश की स्थापना की जा सकती है।
- अगर कलश की स्थापना की है तो दोनों वेला मंत्र जाप करें।
- साथ ही चालीसा या सप्तशती का रोजाना पाठ करें।
- दोनों समय आरती भी करना अच्छा होगा।
- मां को दोनों वेला भोग भी लगाएं, सबसे सरल और उत्तम भोग हैं लौंग और बताशा।
- मां के लिए लाल फूल सर्वोत्तम होता है, पर मां को आक, मदार, दूब और तुलसी बिल्कुल ना चढ़ाएं।
- पूरे नौ दिन अपना खान-पान और आहार सात्विक रखें।
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