बेपटरी अब रेल ।
लापरवाही चरम ।।
शक हो रहा रेलवे ।
ना निभाते धरम ।।
मुआवज़ा-निलंबन ।
सुनते केवल कान ।।
तरस गयीं आँखें ।
ना दिखे परिणाम ।।
कायाकल्प लगातार ।
गया नहीं भय ।।
जानमाल की रक्षा ।
आएगा समय ?
बेपटरी अब रेल ।
लापरवाही चरम ।।
शक हो रहा रेलवे ।
ना निभाते धरम ।।
मुआवज़ा-निलंबन ।
सुनते केवल कान ।।
तरस गयीं आँखें ।
ना दिखे परिणाम ।।
कायाकल्प लगातार ।
गया नहीं भय ।।
जानमाल की रक्षा ।
आएगा समय ?