काशी यूपी की सांस्कृतिक धरोहर है। वैसे तो यहां बारहों महीने हर-हर बम-बम के जयकारे गूंजते रहते है लेकिन जैसे ही सावन शुरू हो जाता है, ये गूंज गगनभेदी हो जाती हैं। गंगा के बढे हुए जलस्तर के कारण इस बार पूरे देश से आने वाले श्रद्धालुओं और कावरियों को यहां कुछ परेशानी जरुर हो सकती है लेकिन इसके बावजूद सावन का रंग किसी भी कीमत पर फीका नहीं पड़ रहा है।
हाल ही में काशी में कावरियों का एक ऐसा जत्था नजर आया जो पिछले बारह सालों से हर साल असम से बाबा को सावन के पहले दिन जल चढ़ाने आते है और आशीर्वाद के रूप में बाबा से देश में खुशहाली और शांति का वरदान मंगाते है। धर्म एवं सांस्कृतिक नगरी वाराणसी जहां श्रावण माह में बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए लाखों देशी-विदेशी श्रद्धालु यहाँ आते हैं। श्रावण के महीने में श्री काशी विश्वनाथ के दर्शन-पूजन के लिए उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, राजस्थान सहित विभिन्न राज्यों से आने वाले कांवडिय़ों का तांता लगा रहता है.
गौरतलब है कि गंगा के तट पर बसे पवित्र नगरी काशी को श्रावण के महीने का बेसबरी से इंतजार रहता है। श्रावण के महीने में पूरी काशी नगरी भगवान शिव के रंग में रग जाती है। बुधवार से शुरू होने वाले श्रावण माह को लेकर वाराणसी के व्यापारियों में काफ़ी उत्साह है। श्रावण माह को लेकर दुकानो को सजाने-सवांरने का काम किया जा रहा है। कावड़ की दुकाने हो या सिंगार की दूकान सभी को अपने-अपने ढंग से सजाया जा रहा है।
आपको बताते चले कि काशी में दर्शन-पूजन करने आने वाले देशी-विदेशी श्रद्धालु हों, सभी सावन महीने को यादगार बनाने के लिए यंहा खरीदारी करने से नहीं चूकते हैं। यहीं वजह है कि सावन का मौसमी बाजार पूरे एक महीने तक उफान पर रहता है और बाजार में रौनक बढ़ जाती है।