दिल्ली : सिगरेट, बीडी और दूसरे तम्बाकू प्रोडक्ट्स के पैकेट्स के 85 फीसदी हिस्से पर वैधानिक चेतावनी छापने संबंधी केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगाने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट इससे जुड़े सभी 27 मामलों को कर्नाटक हाईकोर्ट में स्थानांतरित किए जाने के आदेश भी जारी किए हैं।
जस्टिस पीसी घोष की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट को सभी मामलों पर एक साथ सुनवाई करते हुए मामले का निपटारा 8 हफ्ते के अन्दर करना होगा।
जब तक कोर्ट अपना अंतिम आदेश जारी नहीं कर देता, तब तक सिगरेट निर्माता कंपनियों को केंद्र सरकार की अधिसूचना के तहत सिगरेट पैकेट के 85 फीसदी हिस्से पर वैधानिक चेतावनी देनी होगी।
तीन कंपनियां कर रही हैं आदेश का पालन
प्राप्त जानकारी के अनुसार,अभी तक केवल तीन कंपनियां ही इस आदेश का पालन कर रही थीं। सिगरेट एवं तंबाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों की ओर से दलील दी गई थी कि देश भर की अदालतों में इस मामले को लेकर अलग-अलग अदालतों में 27 याचिकाएं अभी भी लंबित हैं। सभी लंबित याचिकाओं का निपटारा जल्द किये जाने की मांग करते हुए इन्होने कहा कि केंद्र सरकार की अधिसूचना रद्द की जानी चाहिए क्योंकि यह पूरी तरह से अव्यवहारिक है।
कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट की धारवाड़ बेंच के फैसले पर भी रोक लगा दी है। एक मामले की सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार की अधिसूचना पर रोक लगा दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने तम्बाकू उत्पाद बनाने वाली कंपनियों को फटकार लगाते हुए कहा कि इनकी समाज के प्रति कुछ जिम्मेदारी भी बनती है। जितना अधिक तम्बाकू उत्पाद के इस्तेमाल से होने वाले नुकसान को प्रचारित किया जाएगा उतना ही लोगों को मरने से बचाया जा सकता है।
पिछली सुनवाई पर याचिकाकर्ता कंपनियों ने दलील दी गई थी कि केंद्र सरकार ने यह निर्णय जल्दबाजी में लिया है। पैकेट के 85 फीसदी हिस्से पर अगर यह वैधानिक चेतावनी दी जाती है तो उनके लिए पैकेट पर संबंधित उत्पाद का नाम, मैन्युफैक्चरर का नाम व पता और अन्य जानकारियां छापने के लिए जगह ही नहीं बचेगी और केंद्र सरकार की इस अधिसूचना से उनके कारोबार पर भी असर पड़ेगा।
हर साल 10 लाख लोगों की मौत का कारण बनता है तम्बाकू
इस मामले में याचिकाकर्ता एक स्वयंसेवी संस्था हेल्थ फॉर मिलियंस की ओर से वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि बीएमजे ग्लोबल हेल्थ के किये गए सर्वे के अनुसार सिगरेट पीने की लत की वजह से भारत में हर साल 10 लाख लोगों की मौत होती है।
इस मामले में वर्ल्ड हेल्थ आर्गेनाइजेशन ने केंद्र सरकार की अधिसूचना को सही ठहराते हुए कहा कि तंबाकू उत्पादों की वजह से होने वाली बीमारियों पर भारत में सालाना 16 अरब रुपये लोगों के उपचार पर खर्च किए जाते हैं।