तीन तलाक के मुद्दे पर बसपा सुप्रीमों मायावती की खामोशी तब टूटी जब सपा में सियासी घमासान चरम पर पहुंच गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महोबा की खुली रैली में तीन तलाक पर मुस्लिम महिलाओं का साथ देने का एलान कर दिया। बड़ा सवाल यह है कि मायावती खुद एक महिला है इसके बावजूद वह मुस्लिम महिलाओं के साथ क्यों नहीं हैं?
- तीन तलाक के मुद्दे पर मायावती की खामोशी को मुस्लिम महिलाओं के विरोध में देखा जा रहा है।
- इस समय पूरे देश में मुस्लिम महिलाओं के हक में बड़ी बहस चल रही है।
- खुद मुस्लिम महिलाएं तीन तलाक के विरोध में आवाज बुलंद कर रहीं है।
- इस मुद्दे पर भाजपा समेत तमाम राजनीतिक दल मुस्लिम महिलाओं का समर्थन कर रहें हैं।
- लेकिन इस बड़ी बहस में मायावती अब तक खामोश रहीं।
- मुस्लिम वोट पर अपना अधिकार जताने वाली मायावती का बयान तब भी नहीं आया जब मुस्लिम महिलाएं सुप्रीम कोर्ट पहुंच गयीं।
- मुस्लिम महिलाओं के तीन तलाक के मामले में बसपा सुप्रीमों मायावती काफी दिन तक चुप्पी साधे रहीं।
- माना जा रहा है कि इस मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं के समर्थन के साथ वह भाजपा के साथ खड़ी नजर आ सकती थीं।
- मुसलमान वोटों के चक्कर में मायावती तीन तलाक के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं के साथ खड़ी नहीं हो पाईं।
दलितों की देवी बनी मुसलमानों की मसीहाः
- मायावती की खामोशी पर दलित चितंकों का अलग-अलग नजरिया है।
- जानकारों का मानना है कि सूबे के आम मुस्लिम मतदाता समाजवादी पार्टी के साथ अपने को ज्यादा जुड़ा हुआ पाता है।
- वहीं मायावती की पूरी चुनावी रणनीति मुस्लिमों के साथ पर टिकी हुई है।
- दलित वोट बैंक में भाजपा की सेंधमारी से चिंतित बसपा किसी भी कीमत पर मुस्लिमों को अपने साथ रखना चाहती है।
- इसके लिए मायावती ने अपने कई प्रत्याशी बदलकर मुस्लिमों को टिकट दे दिये हैं।
- वह ऐलान भी कर चुकी हैं कि जितने मुसलमानों को बसपा ने टिकट दिया है, उतना सपा देकर तो दिखाए।
- माना जा रहा है कि बसपा 100 से अधिक मुस्लिम उम्मीदवारों को मैदान में उतार सकती है।