जहां वर्तमान में पूरे प्रदेश में 1 लाख रूपये से अधिक बकायेदारों के खिलाफ अभियान चल रहा है, वहीं प्रदेश के सरकारी विभागों पर बढ़ते विद्युत बकाये को सरकारी विभागों से वसूलकर विभाग को दिलाकर कैशगैप कम करने के लिये उ0प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने आज प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा से सचिवालय स्थित उनके कार्यालय में मुलाकात कर इस सम्बन्ध में विस्तार से चर्चा की।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने ऊर्जामंत्री के सामने देश के दूसरे अन्य राज्यों के सरकारी बकायों का तुलनात्मक विवरण रखते हुए उनके समक्ष यह तथ्य रखा कि उ0प्र0 देश का पहला राज्य है जहां सबसे ज्यादा सरकारी विभागों पर बकाया है। 31 मार्च 2017 को प्रदेश के सरकारी विभागों पर जो कुल बकाया रू0 8853 करोड़ था, वह अब बढ़कर मार्च, 2018 के अंत तक रू0 10756 करोड़ हो जायेगा। जबकि उदय स्कीम के तहत केन्द्र सरकार हर मीटिंग में सरकारी बकायों को कम करने के लिये देश की सभी बिजली कम्पनियों को लगातार आदेशित कर रहा है। आज यदि सरकारी विभागों का बकाया वसूल लिया जाये तो आसानी से बिजली कम्पनियों की खराब वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकता है और कहीं न कहीं उसका लाभ प्रदेश की जनता को मिलेगा।
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ऊर्जा मंत्री श्रीकान्त शर्मा द्वारा उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष को आश्वस्त किया गया कि विगत माह मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में सरकारी विभागों के बकायों पर कार्य योजना तैयार हो गयी है। पिछली सरकारों की उदासीनता व अकर्मण्यता के चलते सरकारी विभागों पर जो बकाया बढ़कर इतना अधिक हो गया है, चरणबद्ध तरीके से उसकी वसूली कराकर बिजली विभाग को उसका भुगतान कराया जायेगा। जरूरत पड़ी तो मार्च के अन्त में बजटीय व्यवस्था के माध्यम से विभागों को प्राप्त होने वाले धन से अधिक से अधिक सरकारी विभागों का बकाया बिजली विभाग को दिलाने के लिये जरूरी कदम सरकार द्वारा उठाया जायेगा।
उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष द्वारा देश के दूसरे राज्यों का जो विवरण मंत्री के समक्ष रखा गया उसको देखने से स्वतः अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्थिति क्या है?
विभिन्न राज्यों में सरकारी विभागों पर बकाये की स्थिति
उ0 प्र0 राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि उ0प्र0 में राजस्व वसूली के आंकड़ों पर नजर डालें तो सितम्बर, 2017 तक जहां सकल राजस्व वसूली दक्षता 87 प्रतिशत थी, वहीं सरकारी देयों की राजस्व वसूली दक्षता मात्र 51 प्रतिशत थी। जो यह सिद्ध करता है कि सरकारी विभाग बकाया भी नहीं देते और उनके बिजली कनेक्शन यदि काटे भी जाते हैं तो कुछ ही घण्टों में बिना बकाया जमा कराये जोड़ दिये जाते हैं और वहीं दूसरी और आम विद्युत उपभोक्ता के हजारों रू0 के बिजली बकाये पर उनका कनेक्शन काट दिया जाता है, जिससे उनका उत्पीड़न बढ़ता है। इस पर सरकार को सोचना चाहिए जिससे गरीब आमजन किसान बिजली जिनके लिये बिजली मात्र आवश्यकता है उसका उपभोग कर सकें।