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अखिलेश यादव द्वारा कैबिनेट विस्तार या डैमेज कंट्रोल की कोशिश?

उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए पिछला सप्ताह काफी उथल-पुथल भरा रहा। तेजी से बदलते घटनाक्रम में रोज कुछ न कुछ हैरान करने समीकरण बनते-बिगड़ते दिखाई दिए।

एक तरफ मुख़्तार अंसारी की कौमी एकता दल और सपा के विलय की खबर थी जिसकी पुष्टि पार्टी के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव ने प्रेस कांफ्रेंस में मुख़्तार अंसारी के भाई अफजाल की उपस्थिति में विलय पर मुहर लगाई कि तभी प्रदेश के मुख़्यमंत्री अखिलेश यादव को अपने राज्य में बढ़ते अपराध और पार्टी में बढ़ती अपराधिक छवि वाले नेताओं पर नजर गई।

अखिलेश यादव का गुस्सा फुट पड़ा और पार्टी के वरिष्ठ नेताओं में से एक और बेसिक शिक्षा मंत्री बलराम यादव को मुख्तार अंसारी की वकालत करने की कीमत चुकानी पड़ी और पार्टी से बर्खास्तगी झेलनी पड़ी। मुलायम सिंह यादव के बेहद करीबी माने जाने वाले बलराम यादव के लिए ये बड़ा झटका था और वो इस घटनाक्रम के बाद भावुक हो गए थे और मुलायम सिंह यादव को पिता तुल्य बताया था। दो-तीन दिन की उठापटक के बाद मंत्रिमंडल के विस्तार की घोषणा होने के बाद पुनः बलराम यादव की कैबिनेट में वापसी भी हो गई और माना जा रहा है कि सपा सुप्रीमो के दबाव में अखिलेश यादव को ये कदम उठाना पड़ा है।

कौमी एकता दल के सपा में विलय के पूरे प्रकरण में शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच अन-बन की ख़बरें उड़ती रहीं और कारण स्पष्ट था, पार्टी की संसदीय बोर्ड की बैठक में अखिलेश यादव ने कड़ी नाराजगी जताई विलय को लेकर और इसके बाद विलय ना होने की आधिकारिक पुष्टि महासचिव रामगोपाल यादव ने की।

अखिलेश यादव ने चार मंत्रियों के शपथ ग्रहण से एक दिन पूर्व ही आईटी मिनिस्टर मनोज पांडेय को बर्खास्त करने के साथ बलिया सदर से दो बार विधायक चुने गए नारद राय की वापसी कराई, जिसके बाद कैबिनेट ने शामिल होने वाले मंत्रियों की संख्या बढ़कर 4 से 5 हो गई। नारद राय को टेंडर विवाद में अखिलेश यादव ने ही बर्खास्त किया था जब नारद राय के बेटे पर मारपीट कर आरोप लगा था। हालांकि बलिया के एक अन्य विधायक रामगोविंद चौधरी लगातार नारद राय की कैबिनेट में वापसी कराने में जुटे हुए थे और नारद राय की वापसी को इसी सन्दर्भ में देखा जा रहा है।

अखिलेश यादव मंत्रिमंडल में शामिल किए गए अन्य 3 मंत्रियों पर एक नजर 

शारदा प्रताप शुक्ला
दो बार के विधायक शारदा प्रताप शुक्ला लखनऊ की सरोजिनी नगर सीट से एमएलए हैं। अवैध निर्माण के कई मामले में ये आरोपी हैं जबकि इनके शॉपिंग कॉम्पलैक्स को गिराने का नोटिस भी लखनऊ विकास प्राधिकरण दे चूका है। कहा जा रहा है कि जातीय समीकरण को देखते हुए शुक्ला को कैबिनेट में शामिल किया गया है क्योंकि इस विधानसभा क्षेत्र में ब्राह्मणों की संख्या अधिक है और आगामी चुनाव में ब्राह्मण मतदाताओं की रिझाने के लिए इन्हे कैबिनेट में जगह दी गई है।

रविदास मेहरोत्रा
लखनऊ सेंट्रल से विधायक चुने गए रविदास मेहरोत्रा 1989 में पहली बार विधायक बने थे। आये दिन अपनी ही सरकार को घेरने के कारण मेहरोत्रा विपक्षी पार्टियों में भी लोकप्रिय रहे हैं। विधानसभा में कई मरतबे अपनी ही सरकार के खिलाफ सवाल पूछ लेते थे। ऐसा तय माना जा रहा है मुलायम की छोटी बहू अपर्णा यादव लखनऊ कैंट से चुनाव लड़ने वाली हैं और रविदास मेहरोत्रा का क्षेत्र उससे सटा हुआ है। ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि अपर्णा यादव की चुनावी तैयारियों के मद्देनजर मेहरोत्रा को कैबिनेट में शामिल किया गया है। ऐसी भी अफवाह थी कि मेहरोत्रा बीजेपी में भी शामिल हो सकते हैं।

जियाउद्दीन रिजवी
बलिया से कैबिनेट में शामिल होने वाले अन्य विधायक जियाउद्दीन रिजवी हैं जो कि सिकंदरपुर विधानसभा सीट से दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। इन्हे भी अपने क्षेत्र में विकास कार्यों के लिए नहीं बल्कि कौमी एकता दल के साथ विलय तोड़ने के बाद समाजवादी पार्टी अब पूर्वांचल में मुस्लिम वोटबैंक स्थिर रखने के लिए और मुस्लिमों की नाराजगी झेलने से बचने के लिए कैबिनेट में शामिल किया गया है। फिलहाल रमजान के पवित्र महीने में सऊदी अरब गए रिजवी का शपथ ग्रहण बाद उनके वापस आने के बाद होगा। बता दें कि पिछले दिनों अनुशासनहीनता के एक मामले में अखिलेश यादव ने इन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया था।

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