Uttar Pradesh News, UP News ,Hindi News Portal ,यूपी की ताजा खबरें
Uttar Pradesh

अन्ना हजारे नें किसानों की समस्या के लिए लिखा प्रधानमंत्री को पत्र

पहले खेती पैदावारी को सही दाम मिलने के लिए एक समिति कार्य कर रहीं थी। ऐसी जानकारी प्राप्त हुई हैं कि, अब भौगोलिक स्थिती के अनुसारविविध कृषि पैदावारी पर अभ्यास कर के दाम निश्चित करने के लिए राज्यों के कृषि आयोग काम करते हैं।
दाम निश्चित करने के बाद राज्य कृषिमूल्य आयोग केन्द्रिय कृषि मूल्य आयोग को शिफारिश करते हैं। हर राज्य में जो कृषिविद्यापीठ बनाये गए है, उन विद्यापिठोंसे 22 प्रकार के फसलों पर उत्पादन खर्चे के आधार पर सही दाम की जानकारी केंद्रिय कृषि मूल्य आयोग को भेजी जाती है। उन कृषि विद्यापिठों से प्राप्त जानकारी के आधार पर अभ्यास कर के कृषि पैदावारी पर कितना खर्चा आता है? इसको देखते हुए कृषिमूल्य निर्धारित किया जाता हैं।
कृषिमूल्य के बारे में केंद्र सरकार की तरफ से सभी राज्योंसे शिफारिश मंगवाई जाती है। उस आधार पर सभी कृषि पैदावारी के दाम निश्चित किये जाते है। उनको केन्द्रीय मंत्रीमंडल की मान्यता ले कर कृषिमूल्य आयोग किसानोंके खेती पैदावारी की आधारभूत किंमत निश्चित करता है।
खेती माल के लिए खर्चे पर आधारित दाम मिले, यह देश के किसानों की कई सालों से मांग है। कई राज्यों में आंदोलन हो रहा हैं। जानकारी प्राप्त हुई हैं कि, राज्य कृषिमूल्य आयोग की तरफ से की गई शिफारश केंद्र सरकार से हमेशा दुर्लक्षित की गई है। पिछले दस साल में राज्य से शिफारिश किये दाम एक बार भी घोषित नहीं किये गए है। नीचे दिए हुए जानकारी से यह स्पष्ट होता हैं।
इससे पता चलता हैं कि, राज्यों के कृषिमूल्य आयोग ने केंद्र को की सिफारिश से कृषिमूल्य को कई बार आधा दाम मिला हैं। पिछले 10 सालों मे किसानों के खेती माल के दाम उदा. कपास की किंमत सिर्फ 2000 रुपयों से बढ़ गई है। लेकिन किसान को अपनी जीवनावश्यक जरूरते पूरी करते समय खरीदे वस्तुओं पर बढ़ता हुआ दाम देना पड़ता हैं। उदा. कपडा, बर्तन, खेती पैदावारी के साहित्य इनके दाम 10 साल में 4 गुना से जादा बढ़ गए है।
शायद आपको पता होगा की, महाराष्ट्र में मराठवाडा और विदर्भ में किसानों ने जादा आत्महत्या की हैं। उसका कारण यह है कि, कृषि पैदावारी को सिफारिश से 40से 50 प्रतिशत कम दाम मिलता हैं। राज्य कृषि आयोग ने कपास के लिए जिसमूल्य दर की शिफारिश की थी, वास्तव में किसानों को उतना दाम नहीं मिला।
अगर राज्य कृषिमूल्य आयोग के सिफारिश अनुसार खेती पैदावारी को दाम मिलता तो किसान कभी आत्महत्या नहीं करता। इसलिए किसानों कीआत्महत्याओं के लिए केंद्र सरकार जिम्मेदार है। कम्पनी में पैदा होनेवाले वस्तुओं पर कम्पनीवाले उनके मर्जी अनुसार दाम लगाते हैं, लेकिन कृषिप्रधान भारत देश में किसानों के खेती पैदावारी पर सही दाम निर्धारित नहीं किए जाते, ये दुर्भाग्यपूर्ण हैं।
वास्तव में राज्यों ने खेती पैदावारी के जो दाम निर्धारित किये हैं वह अलग अलग कृषि विद्यापीठ के लोगों ने किये हैं। ऐसे स्थिती में केंद्र उसमेंकटौती करता है। यह बात किसनों के लिए अन्यायपूर्ण है। इससे स्पष्ट होता हैं कि, केंद्र सरकार किसानों के भलाई के बारे में बिलकूल सोचती नहीं हैं।
अगर केंद्र का राज्य कृषिमूल्य आयोग पर विश्वास नहीं हैं तो केंद्र ने अलग से यंत्रणा निश्चित करनी चाहिए। लेकिन केंद्र के कहने पर राज्योने कृषि मूल्य आयोग बनाकर, कृषि मूल्य निर्धारित किये हैं तो केंद्र ने मानना चाहिए उनपर अविश्वास करना ठिक नहीं हैं। हम देश के किसान इस बातका निषेध और विरोधकरने के लिए 23 मार्च 2018 को शहीद दिवस पर दिल्ले में सत्याग्रह आन्दोलन कर रहें हैं।
किसान, कृषि मजदूर इनके लिए तुरन्त पैदावारी सुरक्षा कानून करने की आवश्कता है। लेकिन सरकार इस पर सोचती ही नहीं। किसान फसल बिमायोजना में शामिल होता है, खेती पैदावारी बढ़ाने के लिए बैंक से कर्जा लेता हैं, तो बैंक कर्ज में से 5 प्रतिशत बिमा का पैसा काट लेती है।
जब नैसर्गिक आपत्ति आने के कारण किसान की फसल का नुकसान होता हैं तो ऐसे स्थिति में बिमा का पैसा किसान को वापस मिलना चाहिए। लेकिन आज मिलता नहीं, यह सच है। बिमा लेने के बाद आपत्ति के कारण उनकी फसल का नुकसान हुआ तो उसकी मेहनत बेकार हो जाती हैं। किया हुआ खर्चा व्यर्थ जाता हैं और बिमे की रकम भी वापस नहीं मिलती। ऐसे दोनों तरफ आयी हुई आपत्ती से किसानों केजीवन में निराशा आती है। और ऐसे स्थिती में वह आत्महत्या पर मजबूर हो जाता हैं।

Related posts

प्रयागराज – टीईटी में ग़लत सवाल पूछे जाने के मामले में हाईकोर्ट ने दिया आदेश.

Desk
6 years ago

खंडित पड़े प्राचीन मंदिर के पुनः निर्माण के दौरान खुदाई में निकला सांपों का जखीरा, लगातार एक एक कर निकले साँपो को देख कर इसको चमत्कार समझकर ग्रामीणों ने पूजा अर्चना शुरू की। कोतवाली चंदपा के क्षेत्र के खेड़ा परसौली का मामला।

Ashutosh Srivastava
7 years ago

यूपी चुनाव: सपा-कांग्रेस ने गठबंधन के बाद बनाया संयुक्त प्रचार अभियान!

Divyang Dixit
8 years ago
Exit mobile version