बीजेपी मुस्लिम वर्ग की हितैषी होने और परिवारवाद की राजनीति न करने के लाख दावे करती है। लेकिन उसके इन दावों की पोल पार्टी की पहली लिस्ट ने ही खोल कर रख दी है। बीजेपी ने एक ओर जहां पहली लिस्ट में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार घोषित नहीं किया, वहीं इस लिस्ट में परिवारवाद का बोलबाला रहा। पहली लिस्ट में बीजेपी के शीर्ष नेताओं के हरमों-करम पर उनके रिश्तेदारों में टिकट बटे और जमीनीस्तर पर काम करने वाले कार्यकर्ता खाली हाथ रह गए। इसी के साथ पीएम नरेंद्र मोदी के कार्यकर्ताओं को प्राथमिकी देने के दावे फेल होते नज़र आए।
बीजेपी ने कल्याण सिंह के रिश्तेदारों पर बरसाए टिकट
- यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री और राजस्थान वर्तमान राज्यपाल कल्याण सिंह के रिश्तेदारों पर बीजेपी खास मेहरबान दिखीं।
- बीजेपी की पहली लिस्ट में कल्याण सिंह के चार रिश्तेदारों को टिकट दिए गए।
- पहला टिकट कल्याण सिंह के पोते संदीप सिंह को अतरौली विधानसभा से दिया गया है।
- वर्तमान में इस सीट पर उनकी बहू प्रेमलता विधायक हैं, जिनका टिकट कटा मगर प्रेमलता के बेटे को दे दिया गया।
- वहीं दूसरा टिकट कल्याण सिंह के भतीजे देवेंद्र लोधी को कासगंज सीट से दिया गया है।
- तीसरा टिकट कल्याण सिंह के चचेरे भाई के बेटे देवेंद्र प्रताप सिंह को अमापुर विधानसभा से दिया गया है।
- वहीं चौथा टिकट कल्याण सिंह के भांजे वीरेंद्र वर्मा को एटा सदर विस सीट से मिला है।
बीजेपी की इन पर भी रही मेहरबानी
- बीजेपी नेता ऐश्वर्या मौसम चौधरी की पत्नी शुचि चौधरी को पार्टी ने बिजनौर विधानसभा सीट से टिकट दिया है।
- वहीं बसपा से भाजपा में आए पूर्व राज्यसभा सांसद जुगल किशोर के बेटे सौरभ सिंह को कस्ता विस सीट पर उम्मीदवार घोषित किया गया है।
- साथ ही भाजपा के नेता ऐश्वर्या मौसम चौधरी की पत्नी शुचि चौधरी को बिजनौर विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया गया है।
- बीजेपी से पूर्व विधायक नौनिहाल सिंह के बेटे राकेश कुमार चुन्नू को मुरादाबाद की कांठ सीट के लिए उम्मीदवार घोषित बनाया गया है।