उत्तर प्रदेश में हुए विधानपरिषद और राज्यसभा चुनावों में एक तरफ जहां सपा को भारी नुकसान हुआ है, वहीं बसपा ने वापसी के संकेत दे दिये हैं। बिहार की तर्ज पर भाजपा विरोध में सपा और बसपा का गठजोड़ तो सूबे मुमकिन नहीं है लेकिन हाल की घटनाओं पर नजर डाले तो बसपा सुप्रीमो मायावती कांग्रेस के साथ बेहतर रिश्ते बनाने की कवायद तेज करती नजर आ रही हैं।
कांग्रेस की सियासी जमीन को बचाने में जुटी बसपाः
- बसपा सुप्रीमों मायावती ने पिछले दिनों उत्तराखंड सियासी में कांग्रेस की सरकार को बचाने में अहम भूमिका निभायी थी। उत्तराखंड में जब भाजपा की प्रतिष्ठा दांव पर लगी थी, मायावती ने अपने दो विधायकों के वोट हरीश रावत सरकार को दिलाए।
- उत्तराखण्ड में समर्थन के बाद उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड के राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशियों को चुनाव जितवाकर मायावती ने साफ संदेश दिया है।
- उत्तर प्रदेश में बसपा सुप्रीमों ने पार्टी विधायकों के द्वितीय वरीयता के काफी वोट कांग्रेस प्रत्याशी कपिल सिब्बल को दिलाकर उनकी जीत सुनिश्चित कराई।
- इसके साथ ही मायावती ने मध्य प्रदेश में 4 व उत्तराखंड में अपने दो विधायकों के वोट कांग्रेस प्रत्याशियों के पक्ष में दिलाने का फैसला किया।
- मायावती बेशक विधानसभा चुनाव में किसी भी दल से गठबंधन न करने की बात कहती रहीं है, लेकिन उन्होनें भविष्य के नए समीकरण बनाने की कवायद तेज कर दी है।
बसपा प्रत्याशियों को मिलें प्रथम वरीयता के 81 वोटः
- बसपा ने शनिवार को हुए राज्यसभा चुनाव में अपने दोनों उम्मीदवारों सतीश चंद्र मिश्र और डॉ. अशोक सिद्धार्थ की जीत सुनिश्चित करने में किसी भी तरह का जोखिम न उठाने का फैसला किया।
- मालूम हो कि बसपा को अपने दोनों उम्मीदवारों को जिताने के लिए 64 वोटों की जरूरत थी, और बसपा के 80 वोटों में 4 को हटाकर बचे 76 वोट बसपा उम्मीदवारों की जीत के लिए पर्याप्त थें।
- इस तरह अपने प्रत्याशियों को जिताने के बावजूद बसपा के पास 8 वोट बच रहे थे, पर पार्टी के रणनीतिकार इतने से संतुष्ट नहीं हुए।
- उन्होंने 5 अतिरिक्त वोटों का इंतजाम किया और प्रथम वरीयता के सभी 81 वोट अपने दोनों प्रत्याशियों को दिलवा दिए।
- सतीश चंद्र मिश्र को 39 और डॉ. अशोक सिद्धार्थ को 42 वोट मिले।
- बसपा ने इस चुनाव में प्रत्यक्ष रूप के किसी का समर्थन नहीं किया, लेकिन बताया जा रहा है कि कांग्रेस प्रत्याशी कपिल सिब्बल को बसपा की दूसरी वरीयता के कई वोट मिलें।