अगर उत्तर प्रदेश पुलिस का सिपाही ही अपने विभाग से न्याय की उम्मीद लगाए दर-दर भटक कर आंसू बहाये तो इससे शर्म की बात क्या होगी। जब विभाग के व्यक्ति को न्याय नहीं मिल रहा है तो आम जनता का क्या हाल होगा इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं।
जवान बेटे की ‘हत्या या आत्महत्या’ शक बरकरार
- बता दें कि पुलिस विभाग के सिपाही अमरनाथ यादव जनपद खीरी में आरक्षी के पद पर नियुक्त हैं।
- उनके पुत्र ललित यादव (17) कैथड्रिल स्कूल हजरतगंज लखनऊ में कक्षा 12 का होनहार छात्र था।
- पीड़ित पिता का आरोप है कि दिनॉक 3 दिसंबर 2016 को कैथड्रिल स्कूल के फादर व पीटी टीचर के द्वारा छोटी सी बात को लेकर उनके बेटे को सार्वजनिक रूप से बेइज्जत व प्रताड़ित करते हुए उसके साथ मारपीट की गई थी।
- इसके चलते आत्म ग्लानि से क्षुब्ध होकर मेरे बेटे ललित यादव, ने आत्महत्या कर लिया है।
- इसके सम्बन्ध में थाना मड़ियांव लखनऊ में मुअसं-1121/2016 धारा 306 भादवि पंजीकृत है। जबकि अपराध धारा 305 की श्रेणी में आता है।
गिरफ्तारी तो दूर मुकदमा वापस लेने का दबाव बना रहे अधिकारी
- पीड़ित ने बताया कि अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था व पुलिस महानिदेशक उप्र के संरक्षण के कारण कैथेड्रिल स्कूल के फादर व पीटी टीचर को अभी तक गिरफतार नहीं किया गया है।
- उक्त नामजद अभियुक्तों की गिरफ्तारी को लेकर मैं कई बार उक्त दोनों अधिकारियों से मिला जहां पर पुलिस महानिदेशक द्वारा मुकदमा वापस लेने पर नौकरी न करने देने की धमकी दी।
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- इतना ही नहीं यह भी कहा गया कि स्कूल फादर कोई सड़क छाप आदमी नहीं हैं जिसे गिरफतार करा दें।
- आपके बच्चे के साथ दूसरे बच्चे को भी मारा पीटा गया तो उसने आत्महत्या क्यों नहीं की।
- आपके बेटे ने ही आत्महत्या क्यों की।
- आपके बेटे द्वारा कोई सुसाईट नोट क्यों नहीं छोड़ा गया।
- पीड़ित ने बताया कि जब उसने ऐसे अटपटे सवाल का कारण पूछा गया तो डॉट भगा दिया गया।
जांच में एक्सीडेंट का दिया जा रहा रूप
- पीड़ित का कहना है कि अपर पुलिस महानिदेशक कानून एवं व्यवस्था से स्कूल फुटेज हार्ड डिस्क की जांच कराकर गिरफतारी की मांग की गई।
- तो स्कूल प्रशासन को बचाने के उद्देश्य से अलग से जांच कराकर मामले को एक्सीडेंट का रुप दिया जा रहा है।
- जबकि सारे साक्ष्य सीसीटीवी फूटेज स्कूल में मौजूद हैं।
विवेचक ने अभी तक दर्ज नहीं किया बयान
- अमरनाथ ने बताया कि विवेचक द्वारा मेरा अभी तक बयान नहीं लिया गया है।
- स्कूल प्रशासन को बचाने के उददेश्य से विवेचना में मनगढ़त बयान लिखा जा रहा है।
- लगातार पुलिस के उच्चाधिकारियों के चक्कर लगाने के बाद भी मुझे अभी तक न्याय नहीं मिल सका है।
पीड़ित बाप अब मांग रहा इच्छा मृत्यु
- भले ही वह यूपी पुलिस विभाग में तैनात हों लेकिन एक बेटे का बाप होने के नाते उनके सीने में बहुत ही गम हैं।
- वह जब अपना दर्द किसी को बताते हैं तो सामने वाले के भी आंसू आ जाते हैं।
- छात्र के पिता के मन में कई ऐसे सवाल हैं इनका किसी के पास जबाव नहीं हैं।
- पीड़ित का कहना है कि इस मामले में न्याय न मिलना पुलिस अधिकारियों का असली चेहरा उजागर कर रहा है।
- मेरा राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व मुख्य न्यायाधीश सर्वोच्च न्यायालय से अनुरोध है कि प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराकर मुझे न्याय दिलायें।
- पुलिस विभाग के उच्चाधिकारियो के उत्पीड़न से बचाया जाये।
- अगर मुझे न्याय नहीं मिलता है तो मुझे इच्छा मृत्यु की अनुमति प्रदान की जाये।