केंद्रीय गृह मंत्री और लखनऊ के सांसद राजनाथ सिंह के गृहमंत्री के बेटे पंकज सिंह के खिलाफ सीएम अखिलेश यादव प्रचार करने नोयडा नहीं जाएंगे।
- वैसे तो अखिलेश को समाजवादी पार्टी युवा जोश का झंडा बरदार मानती है।
- लेकिन अखिलेश सिर्फ जोश ही नहीं ज्योतिषीय गणना में भी काफी विश्वास रखते हैं।
- इस कदम को आप राजनीति से जोड़कर न देखिए, दरअसल मामला पूरा गृह दशाओं और अंधविश्वास से जुड़ा है।
- यही नहीं उत्तर प्रदेश की सत्ता में दोबारा काबिज होने के लिए चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत भी अखिलेश गृह दशा देखकर ही करने जा रहे हैं।
नोयडा जाने का टोटका है प्रचिलित
- उत्तर प्रदेश की राजनीति में ये टोटका चिर परिचित है कि जो भी मुख्यमंत्री रहने के दौरान नोएडा गया, वह सत्ता में दोबारा नहीं लौटा।
- पिछले साढ़े चार साल से अखिलेश यादव ने भी इसी टोटके को सच साबित करते हुए नोएडा की तरफ रुख नहीं किया।
- इससे जुड़ा एक वाकया सत्ता के गलियारे में आज भी याद किया जाता है।
- कहा जाता है कि मुख्यमंत्री बनने के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस करने के लिए अपने आधिकारिक आवास पांच, कालीदास मार्ग पहुंचे अखिलेश को आवास के मुख्य द्वार की बजाए बगल के गेट से प्रवेश कराया गया।
- अखिलेश ने ये कदम सिर्फ ज्योतिषियों के कहने पर ही उठाया।
25 साल बाद लखीमपुर जायेंगे अखिलेश
- अखिलेश की पहली रैली 24 जनवरी को सुल्तानपुर से शुरू होगी, यहां वह दो जगहों पर चुनावी सभाओं में शामिल होंगे।
- इसके बाद 25 जनवरी को लखीमपुर खीरी जाएंगे, जहां उनकी तीन रैलियां होनी हैं।
- अब बताया जा रहा है अखिलेश अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत भी ज्योतिषीय गणना के आधार पर करने जा रहे हैं।
- दरअसल सुलतानपुर लखनऊ से दक्षिण पूर्व में पड़ता है।
- 24 जनवरी यानी मंगलवार को अखिलेश के यहां जाने का कार्यक्रम है।
- इस दिन दिशाशूल का असर उन पर नहीं पड़ता। हमने इसका आधार उस कहावत से लिया है, जो दिशाशूल को लेकर ज्योतिषियों में खासी चर्चित है।
मुलायम से लेकर मायावती तक से जुड़ा है अंधविश्वास
- 1988 में तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरबहादुर सिंह नोएडा में कालिंदीकुंज का उद्घाटन करने पहुंचे थे।
- इसके फौरन बाद उनकी सरकार गिर गई थी।
- 1989 में तत्कालीन मुख्यमंत्री नारायणदत्त तिवारी एक पार्क का उद्घाटन करने नोएडा के सेक्टर-11 गए और तुरंत बाद उनकी सरकार गिर गई।
- 1998 में पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह नोएडा के एक कार्यक्रम में पहुंचे और इसके बाद उनकी कुर्सी चली गई।
- 2004 में मुलायम सिंह यादव एक स्कूल के उद्घाटन के लिए गए और फिर वे दोबारा कुर्सी पर नहीं लौटे।
- इसके बाद 2011 में मायावती फिर से नोएडा आई, लेकिन इसके बाद हुए चुनाव में उनकी सत्ता चली गई।
- वैसे नोएडा को लेकर कई अंधविश्वास सत्ता के गलियारे में चर्चा में रहे हैं।