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इन्सेफेलाइटिस से जंग में रामबाण बना CM का ‘पेशेंट ऑडिट’ फ़ॉर्मूला

CM Yogi Patient Audit Formula Became Ram Baan For Encephalitis

CM Yogi Patient Audit Formula Became Ram Baan For Encephalitis

इन्सेफेलाइटिस या जापानी बुखार वो बीमारी जिसकी वजह से पूर्वांचल में हर साल बच्चे काल के गाल में समा जाते है. इस बीमारी से पूर्वांचल के सात जिले प्रभावित है. एक अनुमान के मुताबिक़ हर साल करीब 4000 बच्चों की मौत जापानी इन्सेफेलाइटिस से हो जाती है. अभी ज्यादा वक़्त नहीं बीता जब गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में 60 बच्चों की मौत से लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हडकंप मच गया था. मगर पेशेंट ऑडिट फ़ॉर्मूले की वजह से अब हालात बदल रहे है.

इन्सेफेलाइटिस से मौत का आंकड़ा हुआ आधा:

यह कोई चमत्कार नहीं बल्कि सख्ती से लागू की गई नीतियों का नतीजा है. गोरखपुर में इन्सेफेलाइटिस का असर लम्बे समय से रहा है. सीएम योगी ने इस बीमारी और इसके इलाज को दो दशक तक करीब से देखा है. इन्सेफेलाइटिस के आमतौर पर 30 से 40 फीसदी मरीजों की मौत हो जाती है.

इस जाने वाली बीमारी के लिए पेशेंट ऑडिट फार्मूला रामबाण साबित हुआ है.इसका प्रभाव ये हुआ है कि प्रदेश में इन्सेफेलाइटिस के मरीजों का आंकड़ा आधा जबकि बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सात फीसदी रह गया है.

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]इन्सेफेलाइटिस की लड़ाई में रामबाण बना सीएम का ‘पेशेंट ऑडिट’ फ़ॉर्मूला[/penci_blockquote]

BRD कॉलेज में बीते अगस्त के मुकाबले घटी मरीजों की संख्या :

नेपाल, बिहार और पूर्वांचल के 38 जिलों के लिए बीते साल तक गोरखपुर का बीआरडी मेडिकल कॉलेज ही एकमात्र सहारा था. यहाँ बेड मिलना भी नसीब माना जाता था. अकेले 2016 में बीआरडी मेडिकल कॉलेज में इन्सेफेलाइटिस के 4353 मामले आये जिनमें 715 की मौत हुई. 2017 में यह आंकड़ा बढ़कर 5400 हो गया जिनमे 748 की मौत हो गई. वैकल्पिक ढाँचे को विकसित करके और पेशेंट ऑडिट सिस्टम को लागू करके सीएम योगी आदित्यनाथ ने मरीजों के बीआरडी मेडिकल कॉलेज आने के सिलसिले को रोका.

वैकल्पिक केन्दों ने निभाई जिम्मेदारी:

प्रदेश में इस वर्ष मरीजों और मौत के आंकड़ों में कमी आई है तो उसकी एक वजह बीआरडी मेडिकल कॉलेज के बाहर बने  वैकल्पिक केन्द्रों का अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाना है.

टीम यूपी का प्रयास रंग लाया:

केवल स्लोगन नहीं बल्कि मिशन मानकर स्वास्थ्य विभाग के साथ एनी पांच विभागों ने एक टीम की तरह काम किया. यह कामयाबी चिकित्सा शिक्षा, महिला कल्याण, बाल विकास, पंचायती राज व नगर विकास विभाग ने एक टीम की तरह काम करके पाई. इस टीम ने स्वच्छता, टीकाकरण और जागरूकता के कार्यक्रम चलाये.

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