रायबरेली जेल के वायरल विडियो में कुख्यात अपराधी अंशू दीक्षित और उसके साथी बंदी जिस मोबाइल फोन से कॉल कर रंगदारी मांग रहे थे और पैसे लेन-देन की बात कर रहे थे। दरअसल, इस दौरान उस फोन से कोई कॉल ही नहीं की गई। जेल अधिकारियों पर दबाव बनाने के लिए सिर्फ विडियो में ऐसा दिखाया गया। जेल विभाग और एसटीएफ की शुरुआती पड़ताल में यह बात सामने आई है। कुख्यात अपराधियों ने कुछ जेलकर्मियों की मिलीभगत से यह पूरा सीन क्रिएट किया। इस पूरे ‘खेल’ में जेल में कैंटीन में तैनात एक सिपाही की भूमिका अहम बताई जा रही है। उसकी मदद से एक के बाद एक तीन विडियो जेल के अंदर शूट किए गए और साजिशन कुख्यात अपराधियों ने ही उन्हें वायरल करवाया। डीआईजी जेल उमेश श्रीवास्तव ने अपनी रिपोर्ट ने कैंटीन में तैनात सिपाही विजय के खिलाफ सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]आलू का पराठा रुपये 25, 20 रुपये में रसगुल्ला[/penci_blockquote]
मंगलवार को साजिश के तहत अंशू दीक्षित और उसके साथी अपराधियों के दो और विडियो सामने आए। इसमें अंशू दीक्षित ने जेल और एसटीएफ के अधिकारियों द्वारा उसकी जेल के अंदर या पेशी के दौरान हत्या करवाए जाने की आशंका जाहिर की है। साथ ही वह विडियो में कह रहा है कि जेल में बिना शुल्क के कोई सुविधा नहीं मिलती है। जेल अधिकारियों की मिलीभगत के बिना कुछ नहीं होता है। दूसरे विडियो में अंशू और अजीत चौबे नाम के अपराधी जेल के खाने का हाल दिखा रहे हैं। इस विडियो में अपराधी दिखाते हैं कि जेल में दाल में दाल नहीं है, सब्जी भी पानी से भरी है और रोटियां पापड़ जैसी हैं। वहीं, जेल के अंदर कैंटीन से अलग से खाना बेचा जा रहा है। इसमें 25-25 रुपये में दाल, 25 रुपये में आलू का पराठा और 20 रुपये में रसगुल्ला मिल रहा है। अपराधी विडियो में दावा कर रहे हैं कि जेल में बंद करीब 1000 बंदी रोजाना यही खाना खरीदकर खाते हैं क्योंकि जो खाना मिल रहा है वह खाने लायक नहीं है।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]तीन माह से जेल वॉर्डर विजय कैंटीन का इंचार्ज[/penci_blockquote]
डीआईजी जेल लखनऊ उमेश श्रीवास्तव की जांच में वॉर्डर विजय को भी दोषी पाया गया है। उसके खिलाफ भी निलंबन और विभागीय कार्रवाई की सिफारिश की गई है। विजय तीन माह से कैंटीन का इंचार्ज बना हुआ है। जांच में पता चला है कि वही इन अपराधियों को खाने-पीने का हर सामान मुहैया करवा रहा था। आशंका जताई जा रही है कि अपराधियों तक मोबाइल भी उसने ही पहुंचाए। बैरक से बरामद चारों मोबाइल फोन और सिम कार्ड जांच के लिए एसटीएफ के पास भेजा जा रहे हैं। जांच से कई और बड़ों की गर्दन भी फंस सकती है। डीआईजी जेल उमेश श्रीवास्तव ने फैजाबाद जेल से विडियो बनाए जाने के प्रकरण में जेल अधीक्षक को हटाए जाने, जेलर को निलंबित करने की सिफारिश की थी। लेकिन आज तक उनकी इस रिपोर्ट पर शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की है। इस मामले में सात जेलकर्मियों व पांच सजायाफ्ता बंदियों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की गई थी।
[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]इससे पहले अंबेडकरनगर के कुख्यात अपराधी[/penci_blockquote]
खान मुबारक ने सुलतानपुर की जेल अधीक्षिका पर दबाव बनाने के लिए कुछ जेलकर्मियों की मिलीभगत से जेल के अंदर का विडियो बनवा लिया था। इसके बाद चार जुलाई को उनकी जेल बदल दी गई। ऐसे ही फैजाबाद जेल में बंद गैंगस्टर शिवेंद्र ने जेल में वसूली के खेल का खुलासा करने के लिए अपना जन्मदिन मनाने का विडियो वायरल किया था। मामले में डीआईजी जेल लखनऊ उमेश श्रीवास्तव ने जांच की थी। लखनऊ के कुख्यात अपराधी सोहराब ने भी अपनी हत्या करवाए जाने की आशंका का विडियो वायरल किया था।
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