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बेसहारा पशुओं से अब किसानों व हादसों का शिकार हो रहे राहगीरों को मिलेगी राहत

बेसहारा पशुओं से अब किसानों व हादसों का शिकार हो रहे राहगीरों को मिलेगी राहत

किसानों को बेसहारा पशुओं से राहत मिले, सड़क पर होने वाले हादसों में जान-माल की क्षति रुके और हिंसक बेसहारा पशुओं के हमले में लोग चुटहिल न हों इसे लेकर सरकार गंभीर है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया था कि 10 जनवरी तक बेसहारा पशु खेतों और सड़कों पर नहीं दिखने चाहिए। सबको अस्थायी या स्थायी गोआश्रयों में पहुंचा दिया जाए। सरकार ने अब अस्थायी गोआश्रयों में रखे जाने वाले पशुओं के लिए विस्तृत गाइड लाइन जारी की है।

स्थानीय लोगों को गोआश्रयों से पशुओं को गोद लेने के लिए किया जाएगा प्रेरित

स्थानीय लोगों को गोआश्रयों से पशुओं को गोद लेने के लिए प्रेरित किया जाएगा। पूरी लिखा-पढ़ी के बाद इस शर्त के साथ उनको गोवंश सौंपा जाएगा कि वे उसे बेसहारा नहीं छोड़ेंगे। गांव से लेकर वार्डो तक ऐसे पशुओं की पहचान का काम राजस्व, पुलिस, सिंचाई, ग्राम्य विकास और पंचायती राज विभाग मिलकर करेंगे। पकड़े गए पशु और उपलब्ध हो तो पशु स्वामी का पूरा विवरण भी दर्ज किया जाएगा। सरकार के नियंत्रण में जो भी जमीन खाली है, गोचर, मंडी परिषद, चीनी मिल, शिक्षण संस्था, सहकारी क्षेत्र और केंद्र सरकार के प्रतिष्ठानों की निष्प्रयोज्य जमीन में जरूरत के अनुसार गोआश्रय या चारा बैंक बनाए जा सकेंगे।

प्रकाश एवं पेयजल की ग्राम और क्षेत्र पंचायतों की होगी जिम्मेदारी

जमीन की टाइटिल यथावत रहेगी। किसी संस्था या व्यक्ति के पक्ष में संबंधित जमीन पट्टे पर नहीं दी जा सकेगी। अलबत्ता इच्छुक व्यक्ति को गोआश्रय के संचालन की जिम्मेदारी दी जा सकेगी। ऐसी जमीन की पहचान कृषि और उद्यान विभाग के लोग करेंगे। पहचान के बाद ग्राम्य विकास और पंचायतराज विभाग इसे पशुओं को रहने योग्य बनाएंगे। प्रकाश एवं पेयजल की जिम्मेदारी ग्राम और क्षेत्र पंचायतों की होगी।  उम्र के अनुसार पशुओं के रहने की अलग-अलग व्यवस्था होगी। छह माह तक बच्चे मां के ही साथ रहेंगे। अशक्त पशुओं के लिए बिछावन की व्यवस्था होगी।

स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण की मुख्य चिकित्साधिकारी की होगी जिम्मेदारी

तय आहार में हर पशु को 10 फीसद फाइबर युक्त आहार दिया जाना है, लिहाजा उनमें चारा उगाया जाएगा। स्वास्थ्य जांच, टीकाकरण की जिम्मेदारी मुख्य चिकित्साधिकारी की होगी। हर पशु की टैगिंग होगी। अभी तक टैगिंग के लिए वित्त पोषण केंद्र सरकार करती है। प्रदेश में पशुओं की संख्या को देखते हुए पशुपालन विभाग योजना बनाकर प्रदेश सरकार से बजट में अतिरिक्त टैग उपलब्ध कराने के लिए धन की मांग करेगा। गोआश्रय सरकार के लिए स्थायी बोझ ने बने इसके लिए इनको स्वावलंबी बनाया जाएगा। लोगों को पंचगव्य से बने औषधियों, फसलों के लिए जीवामृत की उपयोगिता और जीरो बजट खेती के प्रति जागरूक किया जाएगा।

पशुपालन विभाग द्वारा जारी किया गया था शासनादेश

जिला स्तरीय समिति के फैसले से चौकीदार को इसके लिए कुछ अतिरिक्त पैसा भी दिया जा सकता है। समिति गोआश्रयों के रखरखाव के लिए भी 2000 रुपये देकर अंशकालिक श्रमिक रखने की अनुमति दे सकती है। प्रयास होगा कि इसके लिए उनको ही तैयार किया जाये जो पहले से किसी योजना के तहत अंशकालिक रूप से काम कर रहे हों। पशुपालन विभाग द्वारा 23 पन्नों के शासनादेश को 28 जनवरी को जारी किया गया और इसे सभी वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के साथ प्रदेश के सभी जिलाधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षकों को भेजा गया है

सड़कों और खेतों में घूमते न पाए जाएं पशु

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