राजधानी लखनऊ के चौक नक्खास इलाके मे उस वक्त हड़कंप मच गया। जब एसटीएफ और फारेस्ट टीम ने इलाके के छापेमारी की । इस दौरान एसटीएफ ने बीस तरह के प्रतिबंधित पंछियों को बेच रहे पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
एसटीएफ और फारेस्ट टीम ने मारा छापा
अवैध रूप से बेचे जा रहे प्रतिबंधित पछियों की रोक के लिए आज एसटीएफ और फारेस्ट टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से गोपनीय रूप से छापा मारा। इस दौरान तकरीबन बीस तरह के प्रतिबंधित पछियों को पुलिस ने मौके से बरामद कर सभी पछियों को चिड़ियां घर (ज़ू) भेज दिया। इसी दौरान घटना की सूचना मिलते ही एसपी पश्चिम विकास त्रिपाठी घटना स्थल पहुंच कर जायजा लिये।
अधिकारियों की माने तो काफी समय से चल रहे इस कारोबार को रोकने के लिए अधिकारियो ने बहुत समय पहले ही अवगत कराया गया था। लेकिन अभी तक कोई करवाई नही हो पाई थी। वहीं आज स्थानीय पुलिस की मदद से आज लाखों के प्रतिबंधित पछियो का व्यापार करने वाले पांच लोगों को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। इसी दौरान पुलिस टीम को आते देख दुकानदार पर मौजूद कुछ लोग भाग गये।
चार दिंसबर मनाया जाता है पक्षी दिवस
एक ओर जहां चार दिसम्बर को पूरे प्रदेश में पक्षी दिवस के रूप में मनाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर नक्खास के चौराहों पर इन मासूम पछियों की बोली भी लगाई जा रही है। यहां बिकने वाले कुछ पक्षी शौक के नाम पर सारी जिंदगी के लिए कैद हो जाते हैं तो कुछ पक्षी थाली की शोभा बढ़ाते हैं। पक्षियों की बात आते ही लखनऊ का जि़क्र न हो, ये हो ही नहीं सकता। यहां के नवाबों को पक्षी पालने का बहुत शौक था। जिसमें कबूतर सर्वोपरि हुआ करते थे।
इनके पास कबूतरों की जाति में गिरहबाज, गोला, लक्का, शिराजी, लोटन एव नसूरे मशहूर नस्ल के होते थे। नवाब कबूतर बाज़ी का शौक रखते थे और इन्होंने इस शौक को काफ़ी बढ़ावा भी दिया। कबूतरबाजी की शुरुआत नवाब शुजाउद्दौला के जमाने से से हुई। उनके कबूतर खाने में 2000 कबूतर थे जबकि आसफुद्दौला के पास तीन लाख और नवाब वाजिद अली शाह ने तो इनके लिए मोती महल के पास कोठी बनवाई थी जिसमें अनेक प्रकार के कबूतर पले थे।