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‘Fool day’ को ‘Cool day’ के रूप में मना रहा विजय श्री फाउंडेशन ‘प्रसादम सेवा’

पूरे देश में एक अप्रैल को फूल डे (मूर्ख दिवस) मनाया जाता है। इस दिन सभी अपने दोस्तों और जानने वालों को मूर्ख बनाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपनाते हैं। भले ही आप सभी अपने दोस्तों या करीबियों के साथ कोई मजाक कर उन्हें मूर्ख बनाने की कोशिश हर रोज करते होंगे, लेकिन एक अप्रैल को यह कुछ खास होता है। यूं समझिए कि यह दिन खास इसलिए ही रखा कि आप अपनों के साथ कुछ मजाक कर उन्हें मूर्ख बना सकें और उनके चेहरे पर कुछ समय के लिए हंसी ला सके। लेकिन ध्यान यह भी रखना चाहिए कि आपका मजाक किसी के लिए नुकसानदायक साबित न हो जाए।

पूरे देश में कूल डे मनाया जा रहा

एक अप्रैल को विजय श्री फाउंडेशन ‘प्रसादम सेवा’ ने नायब तरीका अपनाया। प्रसादम ने ‘Fool day’ को ‘Cool day’ के रूप में मनाने का निर्णय किया। इस अवसर पर विजय श्री फाउंडेशन ‘प्रसादम सेवा’ के सेवादार देश के विभिन्न शहरो में वृक्षारोपण कर पर्यावरण को ‘कूल’ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। लखनऊ में मेडिकल कॉलेज, बलरामपुर अस्पताल, कलेक्ट्रेट व हजरतगंज मल्टीलेवल पार्किंग के सामने शाम 5 बजे जनता को पौधों का वितरण किया जायेगा।

कोई हमें उल्लू न बना दे इसलिए दिनभर रहते हैं सतर्क

भई, 1 अप्रैल दिन ही कुछ ऐसा है, कि सभी एक दूसरे को मूर्ख बनाना चाहता है, लेकिन बनना कोई भी नहीं चाहता। तभी तो इस दिन लोग गंभीर बातों को लेकर भी कुछ ज्यादा ही सतर्क होते हैं, कि कहीं कोई हमें उल्लू न बना दे। अप्रैल फूल डे (कभी-कभी ऑल फूल डे) हर वर्ष 1 अप्रैल को प्रेक्टिकल जोक्स (शरारतें) और अफवाहें फैला कर मनाया जाता है। जोक्स और शरारतें जिनके साथ की जाती हैं उन्हें अप्रैल फूल या अप्रैल मूर्ख कहा जाता है। लोग अपनी शरारतों का खुलासा, अप्रैल फूल चिल्ला कर करते हैं।

कब से मनाया जाता है अप्रैल फूल?

बता दें की अप्रैलफूल 19वीं शताब्दी से प्रचलन में है। हालांकि इस दिन कोई छुट्टी नही होती। अंग्रेजी साहित्य के पिता ज्योफ्री चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) ऐसा पहला ग्रंथ है जहां 1 अप्रैलऔर बेवकूफी के बीच संबंध स्थापित किया गया था। चौसर की कैंटरबरी टेल्स (1392) एक कहानियों का संग्रह थी। उसमें एक कहानी ‘नन की प्रीस्ट की कहानी’ मार्च के 30 दिन और 2 दिन में सेट थी। जिसे प्रिटिंग की गलती समझा जाता है और विद्वानों के हिसाब से, चौसर ने असल में मार्च खत्म होने के बाद के 32 दिन लिखे। इसी कहानी में, एक घमंडी मुर्गे को एक चालक लोमड़ी ने बेवकूफ बनाया था।

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