उत्तर प्रदेश के आईएएस अधिकारी रमा रमण का जादू हमेश बरक़रार रहता है, फिर सरकार चाहे बसपा की हो या सपा की।
रमा रमण की मौज:
- आईएएस रमा रमण सूबे में कोई सरकार हो सभी उनपर मेहरबान रहते हैं।
- गौरतलब है कि, अधिकारी रमा रमण इस फेहरिस्त में अकेले अधिकारी भी नहीं हैं।
- चाहे नोएडा, ग्रेटर नोएडा या फिर यमुना एक्सप्रेस-वे घोटाला रमा रमण की कुर्सी बरक़रार रही।
- इतना ही नहीं यादव सिंह की बहाली मामले में भी रमा रमण पर कोई आंच नहीं आई।
हाई कोर्ट ने सुनाया फरमान:
- आईएएस रमा रमण पर भले ही सूबे के सारी सरकारें मेहरबान हो, लेकिन इस बार हाई कोर्ट ने लम्बे समय से ग्रेटर नोएडा के चेयरमैन और सीईओ रहे रमा रमण के तबादले के आदेश दे दिए हैं।
- रमा रमण से पहले बृजेश कुमार और मोहिंदर सिंह कार्यकाल भी चार से पांच साल तक रहा था।
- बसपा के शासनकाल में ललित श्रीवास्तव भी दो बार में साढ़े तीन साल तक चेयरमैन रहे हैं।
- गौरतलब है कि, नोएडा प्राधिकरण की स्थापना 1976 में हुई थी, वहीँ ग्रेटर नोएडा की स्थापना 28 जनवरी 1991 में हुई थी और यमुना प्राधिकरण की स्थापना 24 अप्रैल 2001 को हुई थी।
- स्थापना के बाद से ही तीनों प्राधिकरण के सीईओ अलग रहे हैं, पर चेयरमैन एक ही रहे हैं।
हाई कोर्ट ने आईएएस रमा रमण के सभी काम रोके:
- आईएएस रमा रमण पर प्रदेश सरकारों की मेहरबानी के बाद हाई कोर्ट से गाज गिरी है।
- हाई कोर्ट ने रमा रमण के सीईओ पद पर काम करने से रोक लगा दी है, कोर्ट ने रमा रमण के सभी अधिकार जब्त करने और प्रदेश सरकार को सख्त निर्देशों के साथ दो हफ़्तों के अन्दर रमा रमण का तबादला गौतम बुद्ध नगर से बाहर करने को कहा है।
- गौरतलब है कि, रमा रमण 6 सालों से नोएडा अथॉरिटी और यमुना एक्सप्रेस-वे इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट अथॉरिटी के मुख्य अधिशासी के रूप में काम कर रहे थे, जिसको लेकर कोर्ट ने एक साथ 3 पोस्टों पर आपत्ति दर्ज की थी।
- गौरतलब है कि, एक समाजसेवी जितेन्द्र की याचिका पर हाई कोर्ट ने यह फैसला लिया है।