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गाजीपुर: सेमिनार में न्यायाधीशों ने की मानवाधिकार संरक्षण पर चर्चा

आज के मौजूदा समय मे हर कोई अपने अधिकार की बात करता है लेकिन अपने कर्तव्य को भूलता जा रहा है। इन्ही सब बातों को लेकर आज डीएसएचआरडी मानवाधिकार गाजीपुर के एक मैरेज हाल में सेमिनार का आयोजन किया गया।

न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा सहित कई जज उपस्थित:

इस कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा शामिल हुए। साथ ही कार्यक्रम की अध्यक्षता और विशिष्ट अतिथि के तौर पर लखनऊ खंडपीठ के न्यायमूर्ति आरके रस्तोगी रहे।

वहीं कार्यक्रम में अपर जिला जज नरेंद्र कुमार सिंह के साथ मानवाधिकार के जिलाध्यक्ष मदन मोहन सिंह राजीव समेत अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

इस दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्याय मूर्ति राजीव लोचन मेहरोत्रा ने मानवाधिकार के अधिकारों और दायरों पर चर्चा करते हुए कहा कि आज मानव और प्रकृति में असमानता होती जा रही हैं, जिसका खामियाजा कहीं न कहीं आज हम भुगत भी रहे हैं, फिर भी चेत नहीं रहे हैं.

उन्होंने कहा कि ऐसे ही अधिकार और कर्तव्य को लेकर जनपद में इस मानवाधिकार जागरूकता सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें हाई कोर्ट इलाहाबाद के न्यायमूर्ति मुख्य अतिथि रहे।

मानवाधिकार संगठन के तहत 100 मामलो में न्याय:

यह कार्यक्रम DSHRD मानवाधिकार संगठन के बैनर तले किया गया था। इस संस्था ने 2017 से अब तक करीब 150 मामलो को रजिस्टर्ड कर करीब 100 मामलो में लोगो को न्याय दिलाया है।

संस्था के द्वारा आज जनपद में समाजसेवा के रूप में काम करने वाले 20 लोगो को सम्मानित भी किया गया जो भिन्न भिन्न क्षेत्रो में कार्य करने वाले थे।

वही अतिथियो के द्वारा संस्था के सदस्यों को उनके कार्य प्रगति को देखते हुए उनका हौसला अफजाई करते हुए सम्मानित किया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजीव लोचन मेहरोत्रा ने बताया कि आज लोग अपने कार्यो को लेकर परेशान हैं, उन्हें न्याय नही मिल पा रहा है। जिसके लिए इस तरह की संस्था कार्य करती है।

उन्होंने बताया कि निचले स्तर पर जो पंचायते बनाई गई है. अगर हम अपने छोटे छोटे विवादों को सुलझा ले तो हमे न्याय के लिए भटकना नही पड़ेगा लेकिन आज हर कोई छोटी विवाद पर भी कोर्ट का सहारा ले रहा है।

आज हम सिर्फ अधिकार की बात करते है लेकिन कर्तब्य भूल गए जिसके वजह से आज हमारा जीवन और रहन सहन प्रभावित हुआ है। कल तक गंगा आचमन और पूज्य थी लेकिन आज उस गंगा को हम इस कदर प्रभावित कर दिए है कि अब गंगा का पानी आचमन योग्य नही रहा.

हमारे पूर्वज भी पर्यावरण और जीव हत्या न हो इसके लिए धर्म को आधार बना हमे बांधने का काम किये थे. वो लोग तो अपना कर्तब्य और अधिकार दोनो निभाये लेकिन आज हम सिर्फ अधिकार मांग रहे है लेकिन कर्तब्य क्या है यह किसी को पता नही।

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