हमारे देश में वैसे तो कई तरह की संस्कृतियाँ व कलाएं मौजूद हैं. साथ ही भारत में कई ऐसे कलाकार भी हैं जो बहुमुखी प्रतिभा के धनि हैं. परंतु हमारे देश में एक कला ऐसी भी है जो पुरातन काल से चली आ रही है और आज भी जनता का मनोरंजन करती है. जी हाँ हम बात कर रहे हैं नाट्यकला की जो आज भी जनता का उतना ही मनोरंजन करती है जितना पहले के समय में किया करती थी. इस मंच से जुड़े कलाकार अपनी कला और मंचन में इतने निपुण होते हैं कि देखने वाले को अचंभा होता है कि वे मंचन कर रहे हैं या असल में यह उनके जीवन का भाग है. ऐसा ही एक नाट्य मंचन आज लखनऊ के कैसरबाग में भी हुआ. इस नाटक का नाम है अरे! शरीफ़ लोग है.
मध्यमवर्गीय परिवार का किया गया है चित्रण :
- लखनऊ हमेशा से ही कला के क्षेत्र में एक उदहारण की तरह रहा है.
- जिसे आज भी बरकरार रखते हुए इस मंच से जुड़े कलाकार हमेशा इसी कोशिश में रहते हैं कि उनकी पुरातन काला जीवित रहे.
- इसी क्रम में आज लखनऊ के कैसरबाग में एक नाटक का मंचन किया गया.
- बता दें कि इस नाटक का नाम अरे! शरीफ़ लोग है जिसे जयवंत दलवी द्वारा लिखा गया है.
- साथ ही इसका निर्देशन संगम बहुगुणा द्वारा किया गया है और अनुवाद डॉक्टर विजय बापट द्वारा किया गया है.
- आपको बता दें कि यह नाटक चार मध्यमवर्गीय परिवारों के इर्द-गिर्द घूमता है.
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कहानी का सार :
- अरे! शरीफ लोग नाटक की कहानी में चार माध्यम वर्गीय परिवार दिखाए गए हैं.
- जो एक साथ एक चाल में रहते हैं और अपने दुख-सुख बांटा करते हैं.
- इन परिवारों के चार मुखिया पंडित जी, अनोखेलाल, डॉक्टर घटक व बिहारी लाल है जो अधेड़ उम्र के हैं.
- साथ ही इनकी पत्नियां लक्ष्मी, कलावती, सरला व बिहारीलाल की पत्नी व अन्य अदृश्य कलाकार हैं.
- वे अपना जीवन यापन कर रहे होते हैं कि इसी बीच उनकी चाल के भूतल में एक किरायेदार आकर रहने लगती है.
- बता दें कि इस किरायदार का नाम सरला होता है जो कुंवारी होती है.
- जिसके बाद यह चारों अधेड़ पुरुष चंदा के दीवाने हो जाते हैं जिसका पता इनकी पत्नियों को चल जाता है.
- जिसके बाद यह पत्नियां ईर्ष्या से भर जाती हैं और लाख कोशिशों के बाद भी अपने पतियों को रोक नहीं पाती हैं.
- इसी बीच चंदा अनोखेलाल के बेटे के साथ मिलकर एक चाल खेलती है और इत्र लगे पत्र चारों अधेड़ों को भिजवाती है.
- इस पत्र को पाकर चारों अधेड़ों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता है और वे एक बहाव में बहने लगते हैं.
- जिसके बाद चंदा चाल के मालिक के साथ विवाह कर लेती है और अपना राज़ सबके सामने खोल देती है.
- जिसके बाद इन अधेड़ों को अपनी गलती का एहसास होता है और उनकी आँखे खुलती हैं.