लखनऊ मेट्रो का किराया लोगों के सफर में रोड़े बन रहा है. रविवार को ऐसी ही मीडिया रिपोर्ट्स सार्वजनिक हुई थी. uttarpradesh.org ने बीते चार दिनों के यात्रियों के आंकड़ों का जिक्र कर यह खुलासा किया था. इसके बाद लखनऊ मेट्रो रेल कॉरपोरेशन (LMRC) ने रिलीज जारी करके इस बाबत जानकारी दी है कि मेट्रो को लखनऊवासी काफी पसंद कर रहे हैं. इसीलिए मात्र चार दिनों में सिर्फ साढ़े आठ किमी की दूरी तय करने के लिए एक लाख से अधिक लोगों ने दिलचस्पी दिखाते हुए दूरी तय की है.
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चार दिनों में ही 1,07,798 लोगों ने किया मेट्रो में सफर-
- लखनऊ मेट्रो ने अपनी रिलीज जारी करते हुए बताया है कि मेट्रो का सफर लखनऊवासियों को काफी रास आ रहा है.
- LMRC ने के अनसार छह से 10 सितंबर तक मात्र चार दिनों में ही 1,07,798 लोगों ने मेट्रो में सफर तय किया है.
- मात्र साढ़े आठ किमी की दूरी तय करने के लिए यह आंकड़ा राजधानीवासियों के उत्साह को दर्शाता है.
दिल्ली के मुकाबले ज्यादा महँगा है लखनऊ का मेट्रो सफ़र-
- देश की राजधानी दिल्ली के मुकाबले लखनऊ मेट्रो के किराए काफी ज्यादा है.
- बता दें कि दिल्ली मेट्रो से 5 किमी से 12 किमी तक का किराया मात्र 20 रूपए है.
- जबकि लखनऊ मेट्रो में सीएफ 8 किमी के लिए ही लोगों से 30 रूपए वसूले जा रहे हैं.
- जब की ये किराया दिल्ली में 12 किमी से 21 किमी की दूरी के लिए लिया जाता है.
रोजाना कम हो रही सफ़र करने वालों की संख्या-
- लखनऊ मेट्रो को 6 सितम्बर से लोगों के लिए शुरू कर दिया गया था.
- बता दें कि 6 सितम्बर को लखनऊ मेट्रो में 31,688 लोगों ने सफ़र किया था.
- इसके ठीक अगले दिन यानी 7 सितम्बर को यात्रों की संख्या में लगभग 3500 की गिरावट आई थी.
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- बता दें कि 7 सितम्बर को लखनऊ मेट्रो में 28216 लोगों ने सफ़र किया था.
- वहीँ तीसरे दिन ही यात्रियों की संख्या का ये अंतर 10 हज़ार के करीब पहुँच गया.
- बात दें कि 8 सितम्बर को लखनऊ मेट्रो में मात्र 21811 लोगों ने सफ़र किया.
- जो की पहले दिन के मुकाबले 9857 कम है.
मेट्रो का बार बार ख़राब होना भी है संख्या के गिरने का कारण-
- मेट्रो में यात्रियों की संख्या लगातार कम हो रही है.
- इसका एक कारण जहाँ मेट्रो का महँगा किराया है वहीँ दूसरा कारण मेट्रो का बार बार ख़राब होना भी है.
- बता दें कि मेट्रो की शुरुआत में हर 7 मिनट पर मिलने की बात कही गई थी.
- लेकिन मेट्रो के बार बार खराब होने से ये अंतराल 13-15 तक का हो गया है.
- जिसके चलते भी यात्री परिवहन के अन्य साधनों की तरफ मुड़ते नज़र आ रहे हैं.