लखनऊ-महोत्सव में सोमवार को मासूम बच्चों ने खूब मस्ती की तो युवतियों ने जमकर खरीददारी की। बच्चों ने ऊंचे झूलों का लुफ्त उठाया तो युवतियों ने मेंहदी और चूड़ियां खरीदीं। महोत्सव में महिलाएं और बच्चे मस्ती करते दिखे। लेकिन पंडाल में समां उस समय बंध गया जब नन्हें-नन्हें इन कलाकारों ने बेहतरीन नृत्य कला की प्रस्तुति दी। इस दौरान पूरा पंडाल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
https://www.youtube.com/watch?v=eYHuVALYt04&feature=youtu.be
यह है इस बार अलग
- हमेशा से लखनऊ महोत्सव का मुख्यद्वार रुमी गेट का बनाया जाता था लेकिन इस बार मुख्यद्वार रुमी गेट की जगह लोहियाद्वार बनाया गया है।
- अवध वास्तुकला का प्रतीक रुमी गेट 600 फीट ऊंचा है।
- इस गेट का नाम 13वीं शताब्दी के महान सूफी फकीर जलाल उद दीन मुहम्मद रुमी के नाम पर रखा गया।
- रुमी गेट लखनऊ के प्रवेश द्वार गेट के रुप में विख्यात है।
https://www.youtube.com/watch?v=zppHN9MTfRQ&feature=youtu.be
- नवाबों के समय इस गेट पर लैंप लगाये गये थे जिसकी रौशनी से पूरा क्षेत्र जगमगाता था।
- 1858 में न्यूयार्क टाइम पर इस गेट की कवर फोटो लगी थी जिसके बारे में लिखा गया था कि छत्तर मंजिल से लेकर रुमी गेट की खूबसूरती लंदन पेरिस से ज्यादा है।
- शहर की पहचान बन चुके रुमी गेट का निर्माण अकाल के समय लोगों को रोजगार देने की नियत से नवाब आसिफुददौला ने बनवाया था।
- 1783 ई. में बनवाये गये इस गेट को तुर्किश गेटवे भी कहा जाता है।
- फिल्मों से लेकर फोटो तक लखनऊ की पहचान के रुप में रुमी गेट को दिखाया जाता है।
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