राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाना क्षेत्र में स्थित चिड़ियाघर में उस समय हड़कंप मच गया। यहां बनी वन विभाग की पानी की टंकी पर चढ़कर एक युवक ने जमकर हंगामा काटा। टंकी पर चढ़ने से हड़कंप मच गया। आनन-फानन में सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और युवक को घंटों मनाने का प्रयास किया, लेकिन वह नीचे उतरने को एकदम तैयार नहीं था। पुलिस की काफी मशक्कत के बाद युवक नीचे उतरा। तब जाकर पुलिस और वन विभाग के अधिकारियों ने राहत की सांस ली। पीड़ित ने रेंजर पर मजदूरों के रुपये हड़पने का आरोप लगाया है, वन विभाग के अधिकारी मामले की पड़ताल में जुट गए हैं।
वन मंत्री को सम्बोधित दिए गए प्रार्थना पत्र में पीड़ित ने कहा है कि वर्ष 2013 नवंबर माह से मई तक लखनऊ स्थित चिड़ियाघर में पेड़ों की छंटाई व बाड़ो की सफाई का कार्य कराया। यह कार्य चिड़ियाघर के रेंजर पीयूष श्रीवास्तव के कहने पर कराया गया। जिसका कोई लिखित कागज नहीं दिया गया। केवल मौखिक आदेश पर कार्य कराया गया। इस कार्य के लिए पीड़ित द्वारा 10 लेबर प्रतिदिन लगाए गए। यह लेबर पेड़ पर चढ़कर कटाई छटाई का कार्य करते रहे।
रेंजर द्वारा मौखिक रूप से लगभग 100 हरे पेड़ों को काटकर पार्किंग बनाई गई। परंतु रेंजर द्वारा श्रमिकों की आंशिक मजदूरी का ही भुगतान किया। रेंजर द्वारा बताया गया कि कटे हुए पेड़ों की लकड़ी की नीलामी की जाएगी तब पूरा पूरी मजदूरी का भुगतान कर दिया जाएगा। पीड़ित लगातार मजदूरी की मांग करने पर आज तक उसे आश्वासन ही मिलता रहा। पीड़ित का आरोप है कि उसे कुछ विश्वस्त सूत्रों से जानकारी मिली कि इस रेंजर के पूर्व सपा सरकार के मंत्री से अच्छे संबंध होने के कारण ही लेबरों का भुगतान नहीं किया गया।
लेबरों का भुगतान 13 लाख 85 हजार 650 रुपये बकाया है। चिड़ियाघर प्रशासन से पता चला कि रेंजर पीयूष श्रीवास्तव द्वारा सरकार में अच्छी पहुँच होने के कारण पेड़ों की कटाई छटाई बगैर किसी आदेश के कराया जाता है। कटे हुए पेड़ की लकड़ी रखी गई थी उसे उनके द्वारा ठेकेदारों को सौंप कर बेच दिया गया। जिसकी जांच कराई जाए और लेबरों को उपरोक्त बकाया मेहनताना दिया जाए।