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हमारी रिपोर्ट का असर: सुफियान निजामी का बयान, हलाला को न मानें मुस्लिम महिलाएं!

ट्रिपल तलाक के बाद हलाला के लिए मजबूर की जाने वाली महिलाओं द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है. देशभर में मुस्लिम महिलाएं ट्रिपल तलाक और हलाला जैसे भयावह तरीकों पर कड़ा ऐतराज जताया है. मुस्लिम महिलाओं उनके शौहर द्वारा, व्हाट्सएप कर और टेलीग्राम कर छोटी-छोटी बातों पर तलाक देना और फिर से उसे घर में रखने के लिए हलाला जैसे कानून से गुजरना पड़ा है.

इसी मुद्दे पर UttarPradesh.Org ने ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर जमीनी हकीकत का मुआयना किया था और हलाला की हकीकत से रूबरू कराया था, इस खबर के बाद तमाम मौलानाओं पर ट्रिपल तलाक और हलाला ख़त्म करने को लेकर दबाव और बढ़ गया है. इसी मुद्दे पर आज मौलाना सुफियान निजामी ने बड़ा दिया है.

मुस्लिम महिलाएं न मानें हलाला: सुफियान निजामी

जिसके बाद अब मौलाना सुफियान निजामी का बड़ा बयान आया है. उन्होंने कहा है कि मुस्लिम महिलाएं हलाला को न मानें. वहीँ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कहा है कि ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर बोर्ड गंभीर है. साथ ही तीन तलाक़ के रिवाजों को कम करने की कोशिश भी की जाएगी. बोर्ड ने कहा की तीन तलाक़ दुरुस्त तरीका नहीं है.

देश में ट्रिपल तलाक की आड़ में हो रहा है महिलाओं का यौन शौषण:

UttarPradesh.Org ने ट्रिपल तलाक से पीड़ित महिलाओं का पक्ष रखने वाली एक्टिविस्ट शाइस्ता अम्बर से बातचीत की थी. जिन्होंने ट्रिपल तलाक और हलाला सेंटर्स की हकीकत को बयान किया.

उन्होंने बताया था कि, कुरान शरीफ में हलाला का कानून ही नहीं है। साथ ही उन्होंने बताया कि, ट्रिपल तलाक के मुद्दे पर पीड़ित मुस्लिम महिलाओं को कानून से भी कोई मदद नहीं मिलती है. महिलाओं से यह कहकर कि, ये उनके धर्म का मामला है, तो मौलाना से मिलें। मौलानाओं द्वारा पीड़ित महिलाओं को हलाला के रूप में एक रास्ता दिखाया जाता है, जो वास्तविकता में रास्ता नहीं बल्कि हलाला के नाम पर उसमें पीड़िता का यौन-शोषण किया जाता है, उसके साथ एक प्रकार का बलात्कार किया जाता है और ये सब होता है धर्म के नाम पर, ट्रिपल तलाक के बाद हलाला के नाम पर.

पीड़िता ने बयां किया था अपना दर्द:

शबाना (बदला हुआ नाम) का निकाह बहराइच के रहने वाले एक युवक सलमान से हुआ था. गौरतलब है कि, दोनों ने लव मैरिज की थी. शादी के कुछ दिनों बाद ही पीड़िता के ससुराल वालों ने उसे परेशान करना शुरू कर दिया.पीड़िता के अनुसार, चूँकि उसने और सलमान ने अपनी मर्जी से शादी की थी, इसलिए ससुराल वालों ने पीड़िता को दहेज़ के लिए परेशान करना शुरू कर दिया.

मामले में यह बात गौर करने वाली है कि, सलमान और शबाना ने पहले इस्लाम के अनुसार निकाह किया था, साथ ही दोनों ने कोर्ट मैरिज भी की थी. लेकिन जब सलमान ने शबाना को तलाक दे दिया तो उसके बाद पीड़िता को कानून की मदद न देकर उसे मामले को अपने धर्म के अनुसार सुलझाने की बात सुनने को मिली.

जिसके बाद धर्म के नाम पर मौलाना ने पीड़िता से हलाला कराने की बात कही। लेकिन शबाना उसके लिए तैयार नहीं हुई. उसके बावजूद महिला का दूसरा निकाह पढ़ाया गया, जिसमें पीड़िता ने अपनी रजामंदी नहीं दी थी.

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