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मेरठ विकास प्राधिकरण में खुलकर हो रहा भ्रष्टाचार

मेरठ में सेटिंग गेटिंग का गेम चरम पर है. एक तरफ जहां सूबे की योगी सरकार तमाम अवैध निर्माण और अवैध नियुक्तियों को लेकर पिछली सरकार को लपेट रही है. वहीं मेरठ विकास प्राधिकरण में वर्तमान में तैनात अधिकारी योगी सरकार की साख को साफ तौर पर बट्टा लगा रहे हैं. भाजपा का पारदर्शिता का नारा तो सिर्फ नारा भर रह गया है.
अधिकारी पारदर्शी दिखाना चाहते हैं लेकिन होना नहीं चाहते हैं. निजी स्वार्थों के चलते किसी को बर्खास्तगी का रास्ता दिखा दिया जाता है और दूसरी ही तरफ लाखों लेन-देन करने वालों का निलंबन वापस हो जाता है ।

क्या है मामला: 

मेरठ विकास प्राधिकरण के गोरख धंधों का हाल जाने के लिए कुछ दिन पहले की एक खबर पर जाते हैं, जिसमें विकास प्राधिकरण के उद्यान विभाग में तैनात एक निरीक्षक जितेंद्र कुमार का एक वीडियो जारी हुआ.

इस वीडियो क्लिप में निरीक्षक जितेंद्र कुमार 90 हजार रुपयों की रिश्वत लेते हुए नजर आये. जिसके बाद अखबारों, चैनलों और सोशल मीडिया पर वो क्लिप छा गयी.

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गये अधिकारी का हुआ निलंबन:

अधिकारियों ने आनन फानन में अपनी फजीहत होने से बचाने के लिए निरीक्षक जितेन्द्र कुमार को निलंबित कर दिया ।

वैसे ये खबर बस इतनी नहीं थी, ये तो बस भ्रष्टाचार की शुरुआत मात्र थी, प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि जितेंदर का निलंबन तो सिर्फ दिखावा भर था.

वो लगातार अपनी सीट पर काबिज़ होकर अपना रिश्वत का कारोबार करता रहा. अपने कमाउ पूत को बचाने के लिए मेरठ विकास प्राधिकरण के आला अफसरों ने अपनी पूरी ताकत फूंक कर जानकारी जुटानी शुरू कर दी।

जांच के लिए बनाई गयी टीम: 

विभाग ने रिश्वत लेने के मामलें में फंसे जितेंद्र की जाँच के लिए एक टीम का गठन किया गया. आरोप है कि इस टीम का जिम्मा जितेंद्र को क्लीन चिट दिलवाया था.

लेकिन उस क्लिप के इतना वायरल होने और मीडिया में मामला गर्म होने के चलते दबाव बना और जांच अधिकारी जितेंद्र कुमार को पूरी तरह से ईमानदार साबित नहीं कर सके.

जांच कमेटी ने जितेंद्र कुमार को आरोपी माना:

जिसके बाद अचानक जितेंद्र कुमार को बिना किसी स्पष्टीकरण के बहाल कर दिया गया.

वहीं इस मामले की जांच में लगे अधिकारी जिनमें देवेंद्र कुमार, अजय कुमार सिंह अधिशासी अभियंता शामिल थे, ने अपनी जांच में माना कि वीडियो में नोट गिनता हुआ व्यक्ति जितेंद्र कुमार ही है.

जांच कमेटी ने यह भी माना कि यह पैसा प्राधिकरण के किसी मद का भी नहीं है.

वीडियो क्लिप बना सबूत:

उन्होंने उस दौरान ये भी कहा कि क्लिप में जिस पैसे का लेन देन हो रहा था वो किसी व्यक्ति की फाइल आगे बढ़ाने के नाम पर लिया जा रहा था.

साथ ही यह भी माना गया कि यह पैसा जितेंद्र कुमार अपनी गरिमा-मयी सीट पर बैठकर ऑफिस में ही ले रहे थे।
वहीं निरीक्षक जितेंद्र कुमार भी आरोपों का कोई सटीक उत्तर नहीं दे पाया. उस पर लगे सारे आरोपों की पुष्टि भी हुई है क्योंकि वीडियो के तौर पर सबूत मौजूद थे.

निलंबन के बाद बहाल हुए आरोपी जितेंद्र कुमार: 

अब भ्रष्ट-तंत्र का दूसरा चेहरा देखिए. सब आरोप शीशे की तरह साफ है. चेहरा, नोट और सीट सब कुछ साफ तौर पर दिख रहा है. कोई संदेह ही नहीं कि रिश्वत ना ली गई हो.
जितेंद्र कुमार ने तो कोई सफाई भी नहीं दी है क्योंकि उनको अपने पैसे की ताकत पर यकीन था. लेन-देन के इस गेम में जितेंद्र बिना किसी कठोर शर्त के बहाल भी कर दिए गए.

अब भी ले रहे रिश्वत:

साथ ही ये भी बता दें कि जितेंद्र कुमार आज भी ठेकेदारों से 10 से 12% बिल पास कराने के बदस्तूर लेन-देन जारी किए हुए हैं.
जितेंद्र को बहाल कराने में जो एक जांच अधिकारी नियुक्त किए गए थे, वह पिछली सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण में महत्वपूर्ण पद पर तैनात रहे हैं ।

जितेंद्र कुमार की पद के मुताबिक़ शैक्षिक योग्यता ही नहीं:

गौरतलब है कि रिश्वत के मामले में इतने स्पष्ट तरीके से फंसे इस अधिकारी से जुड़े ऐसे कई और मामले हैं जो विकास प्राधिकरण के घोटालों के खुलासे के जरिये ये सोचने पर मजबूर कर देते हैं कि आखिर इतने बड़े बड़े घोटालों के पीछे हाथ किसका हैं?
बता दें जितेंद्र कुमार वर्तमान में जिस पद पर कार्य कर रहे हैं, उस पद की शैक्षिक योग्यता BSC एग्रीकल्चर है.
पूरे सूबे में जितने भी उद्यान निरीक्षक हैं, सब की योग्यता कृषि स्नातक ही है. जितेंद्र कुमार की शैक्षिक योग्यता मात्र इंटरमीडिएट कृषि है.

बड़ा सवाल: 

अब बड़ा सवाल यह उठता है कि शिक्षा भी पूरी नहीं और पद का दुरुपयोग भी, कौन जिम्मेदार है इसका?
शहर की हरियाली से हो रहे खिलवाड़ के लिए हर साल मेरठ विकास प्राधिकरण उद्यान विभाग पर करोड़ों खर्च करता है, जिससे शहर का प्रदूषण कम हो सके और शहर हरा-भरा रहे.
लेकिन जब जितेंद्र कुमार जैसे उद्यान निरीक्षक के हाथ में हरियाली की पतवार दी जाए तो कैसे मेरठ शहर प्रदूषण मुक्त होगा?
कब तक प्राधिकरण हरियाली के नाम पर शहरवासियों को ठगता रहेगा?

सीएम योगी के विजन पार्क की जितेंद्र कुमार पर जिम्मेदारी:

गौरतलब है मेरठ विकास प्राधिकरण में रिश्वत के आरोपी जितेंद्र कुमार इस समय बहुत महत्वपूर्ण ट्रैफिक पार्क पर कार्य कर रहे हैं. ट्रैफिक पार्क मुख्यमंत्री के विजन का पार्क है. उसको लखनऊ की तर्ज पर विकसित किया जाना है.
अब जब जिम्मेदारी मेरठ विकास प्राधिकरण के ऐसे जिम्मेदार अधिकारी के कंधो पर हो तो ट्रैफिक पार्क का ट्रैफिक जाम होना तय है.

वीसी साहब सिंह ने किया जितेंद्र सिंह का बचाव:

वहीं जब मेरठ विकास प्राधिकरण के वीसी साहब सिंह से Uttarpradesh.Orgके संवाददाता ने बात की तो वे अपने चहेते जितेंद्र कुमार को बचाते हुए नज़र आये.
वीसी साहब सिंह से बात करने पर पहले तो वो अपनी सीट छोड़ भागते नजर आये तो वहीं पूछने पर खुद ही बोल पड़ें कि हमने उस को (जितेंद्र कुमार) क्लीन चिट दी है. कहा कि रिश्वत देने वाला सामने नहीं आया है.
अब सवाल बनता है कि अगर विभाग को जितेंद्र कुमार को क्लीन चिट देनी ही थी तो निलंबन क्यों किया?
यह दिखावे का निलंबन और बहाली का ड्रामा ही क्यों हुआ?
रिश्वत लेने वाला सामने आया हो या ना आया हो, नोटों का लेन-देन तो हुआ है। क्या इतना काफी नहीं एक भ्रष्ट अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई के लिए?
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