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कानपुर के Dr. M.P. अग्रवाल की कम्पनी पर NPA की कार्रवाई

Another company account of Kanpur accounted for 3907 crores NPA

Another company account of Kanpur accounted for 3907 crores NPA

कानपुर में उद्योगपति विक्रम कोठारी की रोटोमैक कम्पनी के बाद एक और कम्पनी के खाता एनपीए हो गया है। कम्पनी को लोन देने वाले बैंकों के 3907 करोड़ रुपए एनपीए के रूप में फंस गए हैं। टेक्सटाइल व डिफेंस मैटेरियल उत्पाद बनाने वाली श्री लक्ष्मी कॉटसिन लिमिटेड में बैंकों का करोड़ों रूपये का लोन है।

श्री लक्ष्मी कॉटसिन का पंजीकृत दफ्तर जीटी रोड स्थित कृष्णापुरम में है। ग्रुप के चेयरमैन और प्रबंधक निदेशक डॉ एम पी अग्रवाल है। कंपनी टेक्सटाइल के करीब 20 उत्पादों को बनाती है। कम्पनी की हालत करीब 4 साल पहले डांवाडोल होना शुरू हो गई थी। बाद में ग्लोबल मंदी व विस्तार के चलते कंपनी कर्ज के बोझ में दब गई। कम्पनी का ब्याज सहित करीब 3907 करोड़ रुपये का लोन बाकी है।

वसूली के लिए बैकों ने नीलाम किए दो फैक्ट्रियां

एक के बाद एक नए प्रोजेक्ट लगाने के लिए बैंक कम्पनी को लोन देती रही। आखिरकार कम्पनी बैंकों की कर्जदार हो गई। बैंकों ने कर्ज की वसूली के लिए, बंद हो चुकी दो इकाइयों को बेच दिया है। 3907 करोड़ की वसूली के लिए सेंट्रल बैंक इस मामले को डी आर टी में ले गया, फिर 2016 को सिक यूनिट के तहत समझौते के लिए इस केस को एन सी एल टी में ट्रांसफर कर दिया गया था ।

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क्या कहा प्रबंध निदेशक ने

वहीं इस पूरे मामले में कम्पनी के चेयरमैन व प्रबंध निदेशक एम पी अग्रवाल ने बताया कि यह बात गलत है कि 3907 करोड़ का लोन लिया। यह तो बैंको ने ब्याज लगाकर इतना बना दिया है। मूल रकम करीब 2600 करोड़ है। इस अमाउंट पर 2013 में हमारे ऊपर सी डी आर पैकेज साइन हुआ था। सी डी आर पैकेज में सारे खाते ऑडिट करके बैंक ने अप्रूव करके और सेंट्रल बैंक उसमें प्रमुख था, जिसने की सी डी आर पैकेज को साइन किया था। तो इस लिए यह बिल्कुल गलत है कि हम भाग गए है, हमारी फैक्ट्रियां चल रही है, हमारे पास अभी भी फॉरेन बायर्स हैं, जिनको हम माल सप्लाई कर रहे है। इस समय करीब 3500 वर्कर काम कर रहे हैं। वर्किंग कैपिटल नहीं होने से प्रोडक्शन कम हो गया है, फिर भी महीने का प्रोडक्शन करीब 15 से 20 करोड़ है। मार्केट में उतार चढ़ाव के चलते 2011-12 में यार्न के दामों में इतना उतार चढ़ाव हुए थे, जिसके चलते जिन लोगो ने उस समय सौदे किये थे उनको बहुत नुकसान हुआ था।

बैंकों ने समय से नहीं दी इक्यूटी

उनका कहना है कि बैंकों का बहुत पैसा चुकाया है। 2006 से हमारे जो प्रोजेक्ट है उस समय से बैंकों को हम बराबर देते चले आ रहे थे। उसमें कोई डिफाल्ट नहीं था। यह समस्या तब से शुरू हुई है, जब 2010 के अंत मे 993 करोड़ का हमनें टेक्निकल टेक्सटाइल प्रोजेक्ट लगाया, वो प्रोजेक्ट पूरा नही लगा था। समय निकल गया क्योंकि बैंक ने हमें इक्यूटी नहीं दी। सेंट्रल बैंक ने कुल लोन और इक्यूटी को अंडर राइट किया था। इक्यूटी नहीं हुई, इसके 10 माह बाद बैंक ने 200 करोड़ की इक्यूटी की जगह 175 करोड़ दिया वो भी हाई इंटरेस्ट पर और जब दिया तब तक एक साल बीत चुका था। दिसंबर 2011 में यह प्रोजेक्ट चालू होने था, लेकिन चालू नहीं हुआ।

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बैकों ने समय से नहीं दिया पैसा

प्रबंध निदेशक ने कहा कि बैंकों की कंसोर्टियम मीटिंग में यह डिसकस हुआ कि 3 महीने में आप कर लीजिए, जो इतने कम समय मे चालू नहीं हो सकती थी, जो पैसा 2010 मार्च में मिलना था वो नहीं मिला, लेकिन हमें बैंकों को को-आपरेट करना था। हमनें कहा ठीक है! हो जाएगा। तो यह हुआ कि 2012 में कमर्शियल ऑपरेशन डेट अनाउंस हो गई और एनपीए नहीं हुआ, लेकिन प्रोजेक्ट चालू नहीं हुआ। जैसे ही डेट अनाउंस हुई बैंकों ने ब्याज चालू हो गया।

कम्पनी ने किया बैंक पर 6 हजार करोड़ का केस फाईल

बताया कि बैंक ने जब हमारे ऊपर डी आर टी में केस फाइल किया करीब 3900 करोड़ का, तो हमनें भी बैंक के ऊपर एक केस फाइल की। हमारा भी 6000 करोड़ का नुकसान हुआ है। मैं इंडिया छोड़ कर जाने का तो सवाल ही नही है। क्योंकि एन सी एल टी में केस चला गया है और आज के समय मे हर एकाउंट जो एनपीए हो गए है, उसमें किसी न किसी बेस पर सेटलमेंट होना है। समस्या यह है कि उस अग्रीमेंट के लिए उस एकाउंट के लिए फॉरेन या इंडियन इन्वेस्टर मिल जाये। तो हमारी बात 2-3 इन्वेस्टर से चल रही है। हमें उम्मीद है कि जिन इन्वेस्टर से हमारी बात चल रही है तो 5 से 6 महीने में सेटेलमेंट होकर सारा क्लियर हो जाएगा । बैंक ने हमे विलफुल डिफाल्टर घोषित नही किया है ।

सरकार से मिले सब्सीडी तो शुरू होगी कंपनी

वहीं कंपनी के संयुक्त प्रबंध निदेशक पवन अग्रवाल का कहना है कि हमारा राज्य और केंद्र सरकार की तरफ से करीब साढ़े चार हजार करोड़ की जो सब्सिडी नहीं मिल पाई है, अगर वो हमें मिल जाये तो हम फैक्ट्री को पूरी तरह से चला सकते है।

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