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वन नेशन, वन इलेक्शन: केंद्रीय कैबिनेट ने बिल को दी मंजूरी

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वन नेशन, वन इलेक्शन: केंद्रीय कैबिनेट ने बिल को दी मंजूरी

वन नेशन, वन इलेक्शन: केंद्रीय कैबिनेट ने बिल को दी मंजूरी, संसद सत्र में पेश होने की संभावना

वन नेशन, वन इलेक्शन (एक राष्ट्र, एक चुनाव) One Nation One Election को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। सूत्रों के मुताबिक, केंद्र सरकार ने इस महत्वाकांक्षी प्रस्ताव से संबंधित बिल को मंजूरी दे दी है। यह बिल इसी संसद सत्र में पेश किया जा सकता है।

क्या है वन नेशन, वन इलेक्शन?

वन नेशन, वन इलेक्शन One Nation One Election का उद्देश्य देश में लोकसभा और विधानसभा चुनावों को एक साथ आयोजित करना है। वर्तमान में देश में अलग-अलग समय पर चुनाव होते हैं, जिससे सरकारी खर्चों में बढ़ोतरी होती है और विकास कार्य भी प्रभावित होते हैं। इस प्रस्ताव के जरिए केंद्र और राज्य स्तर के चुनाव एक साथ कराने का प्रयास किया जा रहा है, ताकि चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और कम खर्चीला बनाया जा सके।

केंद्रीय कैबिनेट की मुहर

सूत्रों की मानें तो केंद्रीय कैबिनेट ने इस बिल को मंजूरी दे दी है। इसका मतलब है कि सरकार ने इस विचार को विधेयक के रूप में संसद में प्रस्तुत करने का निर्णय ले लिया है। यह बिल संसद के मौजूदा सत्र में पेश किया जा सकता है।

वन नेशन, वन इलेक्शन के लाभ (One Nation One Election)

  1. खर्च में कमी: बार-बार चुनाव कराने में बड़े पैमाने पर धन खर्च होता है। यदि एक साथ चुनाव हों, तो इस खर्च को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
  2. विकास कार्यों में रुकावट नहीं: चुनावों के दौरान आदर्श आचार संहिता लागू होती है, जिससे विकास कार्य रुक जाते हैं। एक साथ चुनाव से यह समस्या कम होगी।
  3. प्रशासनिक सुविधा: एक साथ चुनाव कराने से चुनाव आयोग, सुरक्षा बलों और अन्य प्रशासनिक तंत्र पर पड़ने वाला बोझ कम होगा।
  4. जनता की भागीदारी: एक ही समय पर चुनाव होने से मतदाता अधिक सक्रिय रूप से भाग ले सकते हैं।

चुनौतियां और आलोचनाएं

हालांकि, इस विचार का कुछ राजनीतिक दल और विशेषज्ञ विरोध भी कर रहे हैं। उनकी दलील है कि:

  1. यह संघीय ढांचे के खिलाफ हो सकता है, क्योंकि केंद्र और राज्यों के चुनाव एक साथ कराने से राज्यों की स्वायत्तता पर असर पड़ सकता है।
  2. तकनीकी और कानूनी चुनौतियां भी इस प्रस्ताव को लागू करने में बाधा बन सकती हैं।
  3. कुछ दलों का मानना है कि यह प्रस्ताव क्षेत्रीय दलों के प्रभाव को कमजोर कर सकता है।

संसद में चर्चा की उम्मीद

यदि यह बिल संसद में पेश होता है, तो इस पर व्यापक चर्चा होने की संभावना है। विभिन्न राजनीतिक दल अपनी राय रखेंगे और इसके कानूनी और प्रशासनिक पहलुओं पर विचार करेंगे।

वन नेशन, वन इलेक्शन का प्रस्ताव भारतीय चुनाव प्रणाली में बड़ा बदलाव ला सकता है। यदि यह बिल पास होता है, तो यह देश की राजनीति और प्रशासनिक प्रणाली को एक नई दिशा दे सकता है। अब सभी की निगाहें संसद के आगामी सत्र पर टिकी हैं, जहां इस पर बहस और निर्णय लिया जाएगा।

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