यूपी सरकार अब साहूकारी अधिनियम को समाप्त करने की, शासन स्तर पर तैयारी शुरू ।
अलीगढ़: यूपी साहूकारी अधिनियम को समाप्त करने का शासन स्तर पर खाका तैयार कर लिया गया है। राजस्व परिषद द्वारा जनपद स्तर पर साहूकारी लाइसेंस संबंध में रिपोर्ट मांगी है। वहीं जिले में उप्र सहकारी अधिनियम 1976 के तहत नए लाइसेंस जारी करने व नवीनीकरण पर रोक लगा दी गई है।
प्रदेश सरकार ने साहूकारी व्यवस्था खत्म करने की तैयारी तेज कर दी है। बैंकों से कर्ज लेने की प्रणाली आसान होने के बावजूद साहूकार ज्यादा ब्याज पर रकम देकर गरीबों का शोषण कर रहे हैं।
ऐसे में राजस्व विभाग ने सभी जिलों से इस व्यवस्था की जरूरत पर रिपोर्ट मांगी।
अलीगढ़ जिला प्रशासन ने यह व्यवस्था को समाप्त करने की रिपोर्ट भेजी है। अफसरों ने रिपोर्ट में कहा है कि जब बैंकों में जीरो बैलेंस पर अकाउंट खुल रहा है तो साहूकारी व्यवस्था की कोई आवश्यकता नहीं है।
साहूकारी अधिनियम के तहत अलीगढ़ जिले में करी 100 साहूकारी अधिनियम के तहत लाइसेंस हैं। जिला प्रशासन ने पिछले करीब छह माह से नवीनीकरण की प्रक्रिया रोकने के साथ ही नए लाइसेंस जारी किए जाने पर रोक लगा रखी है।
बैंकिंग व्यवस्था इतनी आसान हो गई है कि साहूकारों की जरूरत नहीं है। शासन को साहूकारी अधिनियम को समाप्त करने के संबंध में रिपोर्ट भेज दी गई है। जनपद में नए लाइसेंस व नवीनीकरण भी नहीं किया जा रहा है।
एडीएम वित्त विधान जायसवाल ने बताया कि जब छोटे कारोबारियों को बैंक से लोन लेने में परेशानी होती थी, तब राज्य सरकार ने यूपी साहूकारी विनियम कानून 1976 पास कराया। इसका उद्देश्य इलाके के साहूकारों को छोटे कारोबारियों व जरूरतमंदों की मदद करने के लिए कानूनी संरक्षण देना था।
उत्तर प्रदेश साहूकारी अधिनियम 1976 के मुताबिक साहूकारी के लिए लाइसेंस लेना जरूरी है। यह लाइसेंस एक साल के लिए मिलता है और हर साल इसका नवीनीकरण होता है। इसके तहत साहूकार प्रतिभूत ऋण यानी कोई वस्तु गिरवी रखकर लिए गए ऋण पर 14% वार्षिक ब्याज ले सकते हैं।