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ग़ाज़ीपुर: गरीब बच्चों के दाखिले के लिए आगे आये 7 निजी स्कूल

private schools come forward for poor children admission

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आज गाजीपुर के रामलीला मैदान में कई स्कूल प्रबंधक 150 गरीब बच्चों के स्कूल में प्रवेश के लिए खुद आगे आये. इस दौरान समाजसेवी संतोष पांडेय ने बच्चों का दाखिला करवाया और 300 पुराने बच्चों का पुनः दाखिले का आवेदन फॉर्म भरा.

समाजसेवी संतोष पाण्डेय की पहल से बच्चों को मिल रही शिक्षा:

केंद्र व प्रदेश की सरकार शिक्षा के स्तर को बढ़ावा देने के लिए तमाम कोशिशे कर रही है, वो चाहे सर्व शिक्षा अभियान के तहत “आधी रोटी खाएंगें स्कूल पढ़ने जाएगें” स्लोगन के साथ अभियान हो या मुफ्त शिक्षा के साथ भोजन देकर शिक्षा की गुणवत्ता में निखार लाने की कोशिश हो लेकिन धरातल पर इस अभियान का असर कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा है।

जिला प्रशासन के साथ बेसिक शिक्षा विभाग भले तमाम दावें करें लेकिन ये सब कागजों तक ही सीमित होकर रह गया है, लेकिन हम बात करेगें एक ऐसे शख्स की जिसने गरीब बच्चों को पढ़ाने का बीणा उठाया हैं.

गाजीपुर जिले के करण्डा थाना इलाके के छोटे से गांव सबुआ चकिया ने रहने वाले समाजसेवी संतोष पाण्डेय इन दिनों गरीब बच्चों को शिक्षा देने की मुहिम में जुटे हुए है. संतोष उन बच्चों को पढ़ाते हैं जिनके माँ बाप उनको अच्छी शिक्षा दिला पाने में सक्षम नहीं है।

500 से ज्यादा बच्चों को पढ़ाने का लक्ष्य:

संतोष पाण्डेय बिना किसी स्वार्थ के अपने क्षेत्र के तकरीबन 350 गरीब बच्चों को घर से नजदीकी पब्लिक स्कूलों में हर सुविधा देकर पिछले पांच साल से पढ़ा रहे है।

समाजसेवी संतोष पाण्डेय का गरीब बच्चों को पढ़ाने का इस साल 500 से ज्यादा का लक्ष्य है। इतना ही नहीं संतोष पाण्डेय आज अपने गांव में ऐसे तकरीबन 500 बच्चों को अपने क्षेत्र के करीब 7 पब्लिक स्कूलों में दाखिला करवाया है. इसके लिए संतोष ने स्कूलों के एडमिशन फार्म को भरवा कर बच्चों को दिए।

वहीँ संतोष के इस कार्यक्रम के दौरान उनके साथ सदर विधानसभा की विधायक डॉ.संगीता बलवंत और तमाम प्रबुद्ध लोग और बच्चों के अभिभावक भी मौजूद रहे। इसमें सबसे खास बात ये रही कि इस कार्यक्रम में गरीब बच्चों का एडमिशन लेने के लिए खुद स्कूलों के प्रबंधक चलकर आये थे।

आज हुआ दाखिला:

जनपद ग़ाज़ीपुर के चकिया गांव का रामलीला मैदान जहाँ पर आमतौर पर रामलीला का मंचन होता है, पर आज यहाँ सैकड़ों गरीब बच्चे और उनके अभिभावक दिखे.

विभिन्न स्कूलों के प्रबंधक भी खुद चलकर चकिया आये हैं और इन गरीब बच्चों का एडमिशन लिया. साथ ही पुराने बच्चों के एडमिशन का रिनीवल भी किया. ऐसा बहुत कम होता है जब स्कूल खुद चलकर छात्र के पास आये पर गाजीपुर में ये आज देखने को मिला.

दरअसल इस कार्यक्रम का आयोजन 350 पुराने बच्चों के एडमिशन के रिनीवल और करीब 150 नये बच्चों के एडमिशन के लिये आयोजित किया गया और इसी गाँव के रहने वाले संतोष पाण्डेय ने ये आयोजन किया है ताकि इन गरीब बच्चों की पढ़ाई जारी रह सके. साथ ही नये ऐसे गरीब बच्चे भी इस शिक्षा के अभियान से जुड़ सकें।

बीजेपी विधायक भी रहीं मौजूद:

इस दौरान सदर से बीजेपी विधायक संगीता बलवंत भी उपस्थित रहीं और कहा कि संतोष पाण्डेय ऐसे गरीब बच्चों को खुद फीस देकर पढ़ाने का काम कर रहे हैं जो गरीब हैं और ये एक बहुत पुनीत काम है।

आज के समय में जहाँ लोग पैसे का दुरूपयोग कर रहें हैं वहाँ ये अपने पैसे का सदुरपयोग गरीब बच्चों को पढ़ाने में कर रहे हैं ताकि उनका भविष्य बन सके।वच्चों का भविष्य बनेगा तो देश बनेगा। शिक्षा वह कुंजी है जिससे हर बंद दरवाजा खोला जा सकता है।

वहीं जब यहाँ आये कुछ बच्चों और उनके अभिभावक से हमने बात की तो उनका कहना था कि हम किसी भी दशा में अच्छे स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ा पाने में सक्षम नहीं है। पान की दुकान चलाने वाले विनोद वर्मा ने बताया कि मैं पान की दुकान चलाता हूं और मैं अपनी बच्ची को अच्छे स्कूल में पढ़ा पाने में सक्षम नहीं था ये तो संतोष पाण्डेय की देन है कि हमारी बच्ची अच्छे स्कूल में शिक्षा प्राप्त कर रही है।

संतोष पाण्डेय ने उठाया गरीब बच्चों की शिक्षा का जिम्मा:

संतोष ने शिक्षा के इस अभियान के बारे में बताते हुये कहा कि मेरा मुम्बई में काम है। वहाँ एक बार मुझे एक गरीब व्यक्ति मिले जिन्हें एक बार हैमरेज हो गया था पर उनके पास इलाज के पैसे नहीं थे। उनके बच्चे पढ़ने में बहुत तेज थे पर वो पढ़ा पाने में सक्षम नहीं थे।

मैने उनका इलाज भी कराया और उनके बच्चों को पढ़ाने का बीड़ा भी उठाया और तभी से मेरे दिमाग में शिक्षा के क्षेत्र में कुछ करने की बात आयी और मैने अपने गाँव चकिया सबुआ से करीब पाँच साल पहले ये अभियान शुरू किया।

आज क्लास 1 से लेकर 12 वीं तक के करीब 350 बच्चों को हम पढ़ा रहे है और इस वर्ष 150 और गरीब बच्चों को हम इस अभियान से जोड़ेंगे।जो बच्चा जिस क्षेत्र का है उसी क्षेत्र के अच्छे स्कूल में हम उसका दाखिला कराते हैं और उनकी फीस हर तीसरे माह भरते हैं।आज 4 हमारे बच्चे पालीटेक्नीक और 3 बच्चे आईटीआई कर रहे हैं।

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