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ऐसे ब्लैकमनी को बदलता था वाइट में संजीव मित्तल

प्रॉपर्टी डीलर संजीव मित्तल केस

मेरठ में 25 करोड़ की पुरानी करेंसी अपने घर में रखने वाले बिल्डर (प्रॉपर्टी डीलर संजीव मित्तल केस) का इतिहास किसी फिल्मी कहानी से जरा भी कम नहीं है. आठ साल पहले तक संजीव मित्तल मेरठ में लिफाफे का थोक दुकानदार था. उसने कई धंधों में हाथ आजमायालेकिन उसे सफलता नहीं मिली और जब उसे रियल स्टेट का चस्का लगा, तो कुछ ही सालों में ही वह सैकड़ो करोड़ का मालिक यानी अरबपति बन गया. मित्तल की लिफाफा दूकानदार से अरबपति बनाने की कहानी ने सभी को चौंका कर रख दिया था और अब मित्तल का ब्लैकमनी को वाइट मनी में बदलने को लेकर ये बड़ा खुलासा हुआ है.

ऐसे बदलता था ब्लैकमनी को वाइट में:

आपको बता दें कि एनआरआई खातों के जरिए इस बिल्डर की ब्लैकमनी बदल कर वाइट होती थी. वहीँ मित्तल को भगाने में दीपक शर्मा का हाथ बताया जा रहा है. बताया जा रहा है कि  पुलिस ने जब छापा मारा, तो उस वक्त आफिस में मौजूद था मित्तल. आपको जानकर हैरानी होगी कि नोटबंदी के बाद से मित्तल ने अबतक 500 करोड़  रूपये बदले हैं.  मित्तल अन्तर्राष्ट्रीय हवाला रैकेट का हिस्सा है.

मित्तल का ये मामला कोई सामान्य मसला नहीं, बल्कि बहुत बड़ा स्कैंडल है. मित्तल के काले कारनामों को लेकर केंद्रीय एजेंसियां इस मामले की तह तक जाएंगी. बताया ये भी जा रहा है कि एक मुखबिर ने 50 करोड़ की नकदी की खबर दी थी और जिसके बाद मौके पर 25 करोड़ रूपये भी मिले थे, बाकी कहां गए इसकी जानकारी जुटाने में पुलिस लगी है.

लिफाफा दुकानदार से बना अरबपति:

आपको बता दें कि करीब 20 साल पहले गाजियाबाद के एक छोटे से गाँव से आकर बिल्डर संजीव मित्तल ने मेरठ के शारदा रोड पर कम्प्यूटर हार्डवेयर की दुकान की. वहीँ कुछ समय बाद बिजनेस पिट गया और घाटे में आये संजीव मित्तल ने थोक में लिफाफा बेचने का काम शुरू कर दिया.

आठ साल पहले लिफाफा बेच कर परिवार पाल रहे संजीव मित्तल की मुलाकात दिल्ली निवासी अपने एक पुराने दोस्त से हुई. दोस्त ने रिअल स्टेट में एंट्री कराई, तो संजीव को फायदा होने लगा. फायदे के कारोबार में और ज्यादा फायदा कमाने के लिए संजीव मित्तल ने अपने पार्टनर्स की बेईमानी और विवादों की जमीनों की खरीदारी शुरू की.

मेरठ में सील हुआ आफिस:

बता दें कि सियासत औऱ नौकरशाही में अपनी पहुँच के बलबूते उसने कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ना शुरू की और दौलत के अंबार लगाने शुरू कर दिये, लेकिन 2013 में जब रिअल स्टेट पर बंदिशें शुरू हुई, तो उसे घाटा होने लगा.काली कमाई मिलने के बाद आयकर विभाग ने संजीव के कारोबार को अपनी तफ्तीश के दायरे में लेकर उसका मेरठ आफिस सील कर दिया है.

रियल स्टेट कारोबार में घाटा होने पर मित्तल ने नोटबंदी के बाद पुरानी करेंसी बदलवाने का धंधा शुरू किया. ये धंधा चल गया  और मित्तल ने इसे विदेशों में बैठे अपने एनआरआई दोस्तों तक पहुँचाया.

ऐसे करता रहा काली कमाई:

सूत्रों की मानें तो मित्तल ने नोटबंदी के बाद पॉच सौ से सात सौ करोड़ तक की काली रकम नये नोटों में बदलवाई और इस कमाई से उसे जो मुनाफा हुआ उसके बदले उसने अपने पुराने विवाद निपटाये. इसके बाद इसने सोनीपत में मेडीकल इन्स्ट्रूमेंट बनाने की फैक्ट्री बनाई और मेरठ,गाजियाबाद समेत देश के कई शहरों में रियल स्टेट प्रोजेक्ट्स शुरू कर दिये. नोटबंदी के बाबजूद उसकी कमाई बढ़ती जा रही थी और वह दिल खोलकर अपने परिवार और बच्चों के लिए सपनों के घर और करोड़ो के गिफ्ट बांट रहा था.

पुलिस ने 25 करोड़ की रकम बरामद की:

आपको बता दें कि बिल्डर संजीव मित्तल के कोठी पर नजर रखने वालों की मानें तो छोटे ट्रकों में प्लास्टिक के बोरे कई दिन तक कोठी में उतरे और इन बोरों में रखी काली कमाई के पुराने नोट गत्ते के डिब्बों में रख दिये गये. इन डिब्बों को गिफ्ट बताकर कोठी के पास कालोनी में बने आफिस में शिफ्ट कर दिया गया था. जहाँ पुलिस ने छापा मारकर 25 करोड़ की रकम बरामद की.

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