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प्रभु राम ने 31 बाणों से 121 फीट ऊंचे ‘डर का रावण’ का दहन किया

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के ऐशबाग रामलीला मैदान पर डर और अहंकार रूपी रावण राख हो गया। शुक्रवार को दशहरा पर रावण दहन के लिए ऊंचे से ऊंचे पुतले तैयार किए गए थे। ऐशबाग रामालीला समिति के सचिव पं आदित्य द्विवेदी ने बताया कि इस बार यहां दहन ‘डर का रावण’ के रूप में फूंका गया। यह डर किसी भी प्रकार का हो सकता है जैसे कि नारियों में सामाजिक सुरक्षा को लेकर, अत्याचार और चरित्र हनन का डर। समारोह में मुख्य अतिथि राज्यपाल राम नाईक के साथ बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन, डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा और कैबिनेट मंत्री बृजेश पाठक समेत अन्य अतिथि मौजूद रहे। इससे पहले राम भवन के सामने मंच पर कलाकारों ने रामलीला का मंचन करके हजारों की संख्या में पहुंचे दर्शकों का मन मोह लिया।

मंच पर रामलीला के साथ एलईडी स्क्रीन पर रावण वध का प्रसंग पेश किया गया। इसके बाद रात 8:00 बजे प्रभु श्रीराम ने 121 फीट ऊँचे रावण के पुतले को अपने तरकस के 31 बाणों से भेद दिया। रामलीला मैदान में कुंभकर्ण की ऊंचाई 71 फुट, मेघनाद की ऊंचाई 61 फुट के पुतले लगाए गए थे। प्रभु राम ने जैसे ही रावण की नाभि में बाण मारा वैसे ही आसमान में रंगबिरंगी आतिशबाजी होने लगी।सबसे बड़ा रावण दहन ऐशबाग रामलीला मैदान में हुआ। रावण दहन के बाद रावण के पुतले के अवशेष लेने के लिए लोगों की होड़ लगी रही। ऐसी मान्यता है कि रावण दहन की लकड़ी घर में रखने से कोई भूत-प्रेत आत्माएं घर में नहीं आती हैं। रावण वध देखने के लिए शहर के कोने-कोने से हजारों की संख्या में लोग आये हुए थे। इस दौरान यातायात और सुरक्षा व्यवस्था को लेकर एसएसपी कलानिधि नैथानी ने कड़े बंदोबस्त किये थे।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]सदर में चर्खी से फूल और अंगारों से बना पेड़[/penci_blockquote]
सदर ग्राउंड में रावण दहन से पहले लाला गुरचरण लाल रौनियार वैश्य रामलीला प्रन्यास की ओर से आतिबाजी शो हुआ। व्यवस्थापक कपिल कपूर ने बताया अमेठी के आतिशबाज असलम पहाड़ी ने फिरकी, फर्रुखाबादी झूलरा और बिजनौरी लड़ियां जलाई। इससे पहले मैदानी लीला भी हुई। यहां रात 9:00 बजे रावण 60 फुट, मेघनाद 50 फुट का पुतला जलाया गया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]महानगर में हुआ फुलझड़ी और मेहताब का फायर शो[/penci_blockquote]
महानगर रामलीला ग्राउंड सेक्टर-सी में पुरस्कार वितरण के बाद भव्य आतिशबाजी हुई। पुतला बना रहे नरेश ने बताया कि दहन में धमाके के साथ तेज रोशनी के पटाखों का अधिक प्रयोग किया गया था। मुख्य रूप से चरखी, फुलझड़ी और मेहताब का फायर शो देखने को मिला। यहां रावण का 50 फुट ,मेघनाद का 40 फुट का रात 8:00 बजे पुतला फूंका गया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]चिनहट में देखने को मिला सितारा, रागिनी, कुमकुम चंदाहार और फिरकी माला[/penci_blockquote]
श्री जीवन सुधार रामायणी सभा चिनहट रामलीला समिति के ग्राउंड में रावण और मेघनाद के पुतले का दहन किया गया। समिति के महामंत्री विवेकानंद श्रीवास्तव ने बताया कि रामलीला भवन से शोभायात्रा दोपहर 2:30 बजे निकाली गई। आतिशबाजी दशहरे का मुख्य आकर्षण केंद्र रही, उसमें सितारा, रागिनी, कुमकुम चंदाहार और फिरकी माला देखने को मिली। यहां रावण दहन रात 8:00 बजे हुआ। रावण का पुतला 60 फुट और मेघनाद का पुतला 50 फुट ऊँचा था।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]एलडीए कॉलोनी में आतिशबाजी प्रतियोगिता हुई[/penci_blockquote]
एलडीए कॉलोनी में रामलीला में 50 फुट का रावण जलाया गया जबकि मेघनाथ के 40 फुट के पुतले का दहन किया गया। रामलीला समिति के महामंत्री रामनाथ शुक्ला ने बताया कि बाराबंकी, उन्नाव और चिनहट के आतिशबाजों के बीच आतिबाजी प्रतियोगिता हुई। यहां पहले राम शोभा यात्रा सेक्टर-डी 1 चरण सिंह घई से निकाली गई। उसके बाद रात 9:00 बजे में दहन किया गया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मौसमगंज में अग्रसेन घाट पर मिली राम-रावण की सेना[/penci_blockquote]
मौसमगंज रामलीला समिति एवं नाट्य परिषद की ओर शिव कुमार वर्मा के निर्देशन में पहले लीला स्थल से अग्रसेन घाट तक रावण और राम का रथ अपनी अपनी सेनाओं संग पहुंचे। यहां युद्ध के बाद पुतला दहन किया गया। इस मौके पर शानदार आतिशबाजी भी देखने को मिली। रावण दहन रात 8:00 बजे किया गया। यहां रावण और मेघनाथ का 30-30 फुट का पुतला दहन किया गया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]बड़ी जुगौली में नेहरू एन्क्लेव तिराहे पर हुआ रावण दहन [/penci_blockquote]
मदन लाल स्मृति श्री राम लीला एवं दशहरा महोत्सव, बड़ी जुगौली विश्वास खंड तीन के शैलानी माता मंदिर परिसर में आयोजन किया गया। यहां के संयोजक अजय यादव ने बताया कि सुरक्षा की दृष्टि से नेहरू एन्क्लेव तिराहे पर रावण दहन किया गया। रावण दहन रात 8:30 बजे किया गया। यहां रावण का 40 फुट ऊँचा पुतला और मेघनाद का 35 फुट ऊँचा पुतला दहन किया गया।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मानक नगर स्टेडियम में भी फूंके गए रावण, कुंभकर्ण, मेघनाद[/penci_blockquote]
रेलवे रामलीला दशहरा कमेटी आलमबाग की ओर से वेजीटेबुल ग्राउंड लंगड़ा फाटक पर रामलीला हुई। समिति के महामंत्री जसवंत सिंह ने बताया कि मानक नगर स्टेडियम में दहन किया गया। यहां रावण दहन रात 7:30 बजे किया गया। यहां रावण, मेघनाद, कुंभकर्ण के 25 फुट के ऊंचाई के पुतले जलाये गए।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]रावण के पुतले की बहुत थी मांग[/penci_blockquote]
रावण दहन के लिए शहर में पुतलों की इस बार खासी डिमांड रही। पुरनिया चौराहा, डालीगंज, चिनहट रोड पर बांस के ढांचे खरीदने वालों की गुरुवार को खासी भीड़ दिखी। पुरनिया चौराहे के पास बीते 17 वर्षों से पुतला बना रहे वीरेंद्र कुमार ने कहा कि इस साल रावण के पुतलों का क्रेज इतना अधिक है कि अब वह नए ऑडर ले ही नहीं पाए। ऐसे में उन्होंने वह केवल बांस से ढांचा ही तैयार किया था। 3 से 35 फुट तक के ढांचे तैयार किए थे। इनकी कीमत 500 रुपये से शुरू थी।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]पूरे प्रदेश में दिखी दशहरे की धूम[/penci_blockquote]
आतंक के पर्याय और लंका के राजा रावण का विजय दशमी के दिन अंत हो गया। दशानन का अंत हुआ और उसके अधर्म का साम्राज्य ढह गया। रावण दहन होते ही यूपी के हर शहर सहित पूरा देश जय श्रीराम के उद्घोष से आसपास का क्षेत्र गूंज उठा। रावण के साथ ही देश जगह-जगह लंकेश के भाई कुंभकरण और उसके बेटे मेघनाद का भी पुतला दहन हुआ। देश के ज्यादातर हिस्सों में दशहरा के दिन रावण का पुतला जलाया जाता है, लेकिन कुछ जगहों जैसे वाराणसी में पूरे नवरात्रि में चलने वाले रामलीला में जिस दिन रावण वध दिखाया जाता है। वाराणसी में नवमी के दिन यानी गुरुवार को ही रावण का पुतला जला दिया गया। उत्तर प्रदेश और दिल्ली समेत देश के प्रमुख स्थानों में रावण दहन के कार्यक्रम हुए। हर जगह सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये गए थे।

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