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रियलिटी चेक में फेल साबित हुआ बाराबंकी का शिक्षा विभाग

एक ओर राज्य सरकार नौनिहाल बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए सर्व शिक्षा अभियान मुफ्त पुस्तकें मुक्त ड्रेस के साथ ही साथ तमाम कार्यक्रम चलाती है तो वहीं शिक्षा विभाग ही शासन की मंशा पर पानी फेरता हुआ नजर आ रहा है।

खण्ड शिक्षा अधिकारी कर रहे तरबदारी :

बीते दिनों हैदरगढ़ शिक्षा क्षेत्र के कई ऐसे विद्यालयों में अध्यापक समय से पहले स्कूल को बंद कर खंड शिक्षा अधिकारी के यहां बैठकर मस्ती करते नजर आए। जब इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी हैदरगढ़ से बात की गई तो अध्यापक की तरफदारी करते नजर आए। उन्होंने कहा कि वहां बंद कमरे में अध्यापक मीटिंग कर रहे थे। क्षेत्र के कुछ ग्रामीणों ने बताया कि खंड शिक्षा अधिकारी के मिलीभगत के चलते आए दिन नौनिहालों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है।

दूसरा मामला :

रियलिटी चेक के दौरान हमारी टीम जब दरियाबाद शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय जट्ट होती राजपूतान पहुंची तो 12:40 पर ही अध्यापक ताला बंद कर अपने घर चले गए। जब इस मामले में खंड शिक्षा अधिकारी दरियाबाद ढुलमुल रवैया के चलते अध्यापकों का मात्र 1 दिन का वेतन काट कर छोड़ दिया गया जबकि इतनी बड़ी लापरवाही मैं कठोर कार्यवाही होनी चाहिए थी। ऐसे करके नौनिहालों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को रोका जा सके और उन्हें पूर्ण शिक्षा प्रदान की जाए।

रियलिटी चेक में मिले किराए के अध्यापक :

जब खंड शिक्षा अधिकारी सिरौलीगौसपुर ने प्राथमिक विद्यालय गहरेला का निरीक्षण किया तो विद्यालय में तमाम खामियां खुलकर सामने आई। निरीक्षण के दौरान एक शिक्षक को छोड़कर सभी शिक्षक अनुपस्थित रहे। वहीं एमडीएम की जांच में भारी अनियमितताएं खुलकर सामने आई एक बाहर की लड़की विद्यालय में बच्चों को शिक्षा देते हुए देखी गई जबकि विद्यालय में उसकी किसी पद पर तैनाती नहीं थी जिसकी जन चर्चाओं का बाजार काफी गर्म रहा। क्या होगा ऐसे विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों का भविष्य इसका उत्तर तो सिर्फ शिक्षा विभाग ही दे सकता है।

औचक निरीक्षण में अनुपस्थित मिले प्रधानाध्यापक :

सिरौलीगौसपुर की खंड शिक्षा अधिकारी शालिनी गुप्ता ने शिक्षा क्षेत्र के प्राथमिक विद्यालय गहरेला में निरीक्षण किया। इस दौरान प्रधानाध्यापक मनीष बैसवार अनुपस्थित रहे और ग्रामीणों ने बताया कि प्रधानाध्यापक कभी-कभी ही विद्यालय आते हैं। इसके अतिरिक्त इसी विद्यालय में 4 प्रशिक्षु भी कार्यरत हैं जिनमें कोई भी प्रशिक्षु मौके पर नहीं मिला। सभी शिक्षकों की उपस्थिति पंजिका अलग-अलग बनाई गई है। विद्यालय में प्रशिक्षु आयुष सिंहा व अनुराधा शुक्ला की उपस्थिति पंजिका ही मिल सकी जबकि स्वाति एवं अर्चना बैसवार की उपस्थिति पंजिका नहीं मिली। निरीक्षण के समय विद्यालय में केवल 20 बच्चे ही उपस्थित है जबकि विद्यालय में 85 बच्चे पंजीकृत हैं। एक दिन पूर्व एमडीएम पंजिका पर 58 बच्चों की उपस्थिति दर्ज है।

इसके पूर्व जुलाई माह में भी निरीक्षण के दौरान केवल 12 बच्चे उपस्थित मिले थे जबकि  50 से अधिक बच्चों की उपस्थिति दर्शाई गई थी। इससे प्रतीत होता है कि एमडीएम में भारी घोटाला किया जाता है। विद्यालय में मात्र एक सहायक शिक्षक राजकुमार दुबे उपस्थित मिले। एक लड़की नेहा सिंह विद्यालय में बच्चों को पढ़ाती मिली जो किसी भी पद पर कार्यरत नहीं है।

सरकार के सपनों को कैसे साकार करेगा शिक्षा विभाग :

अब सवाल यह उठता है कि सरकार तो नौनिहालों का भविष्य संवारने के लिए पूरी तरह से संजीदा है तो फिर शिक्षा विभाग ही क्यों उदासीन बना हुआ है। इसका उत्तर तो विभाग के जिम्मेदार अधिकारी ही दे सकते है।

खंड शिक्षा अधिकारी ने की मामूली कार्रवाई-

इस बाबत खंड शिक्षा अधिकारी शालिनी गुप्ता ने बताया कि निरीक्षण में जो कमियां मिली है इसके संबंध में विद्यालय से स्पष्टीकरण मांगा गया है। स्पष्टीकरण मिलने के पश्चात जिला विद्यालय निरीक्षक को रिपोर्ट भेज दी जाएगी।

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