उत्तर प्रदेश की नवनिर्वाचित योगी सरकार ने शपथ ग्रहण समारोह के बाद तत्काल प्रभाव से प्रदेश के सभी ‘अवैध बूचड़खानों’ को बंद करने का आदेश जारी किया था। योगी सरकार के इस आदेश के बाद पुलिस प्रशासन हरकत में आया और सूबे के अवैध बूचड़खानों पर ताले लगने शुरू हो गए। इसी मामले पर देश में एक बार फिर से बीफ का मुद्दा गरमा गया और कई लोगों द्वारा योगी सरकार के इस आदेश को ‘साम्प्रदायिकता’ का रूप देकर पेश किया गया।
UttarPradesh.Org का रियलिटी चेक:
योगी सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों को बंद करने आदेश के बाद कई लोगों के द्वारा इस पूरे मामले को साप्रदायिकता का रंग देने की कोशिश की गयी। अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई के बाद गोश्त की आपूर्ति बाधित हुई थी, साथ ही प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी कुछ बड़ी और पुरानी दुकानों को इस समस्या के चलते थोड़ी परेशानियों का सामना करना पड़ा। माल की आपूर्ति बाधित होने के चलते कई दुकानें कुछ समय की देरी से खुली, इस खबर को साम्प्रदायिकता के रंग में देश की जनता के सामने पेश कर दिया गया।
जिसके बाद UttarPradesh.Org ने इस खबर का रियलिटी चेक किया और सूबे समेत देश की जनता के सामने फैसले की जो झूठी तस्वीर पेश की गयी थी, उसे साफ़ किया। अपने ‘रियलिटी चेक’ के तहत UttarPradesh.Org के एडिटर वेदांक सिंह लखनऊ के ‘नौशीजान रेस्टोरेंट’ में पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने रेस्टोरेंट के मालिक शमील शम्सी से इस पूरे प्रकरण पर सवाल-जवाब के जरिये उनकी राय को सबके सामने पेश किया।
बातचीत का पूरा वीडियो यहाँ देखें:
लखनऊ के 'नौशीजान' रेस्टोरेंट से अवैध बूचड़खानों पर @VedankSingh के साथ मालिक शमील शम्सी लाइव। https://t.co/OMnvsdTSKM
— UttarPradesh.ORG News (@WeUttarPradesh) March 25, 2017
UttarPradesh.Org के एडिटर वेदांक सिंह और ‘नौशीजान रेस्टोरेंट’ के मालिक शमील शम्सी की बातचीत के प्रमुख अंश:
- रेस्टोरेंट संगठनों ने गुरुवार को एक मीटिंग की थी, जिसमें बूचड़खानों के मालिक भी मौजूद थे।
- बूचड़खानों के मालिकों ने रेस्टोरेंट के मालिकों से हड़ताल में शामिल होने की बात कही थी, जिसे ठुकरा दिया गया था।
- स्लॉटर हाउस पर सरकार की ओर से जो भी बयानात जारी किये गए उसके जिम्मेदार खुद बूचड़खाने वाले हैं।
- अवैध बूचड़खानों में इसकी पुष्टि नहीं की किस-किस प्रकार के जानवरों को वहां काटा जाता है।
- कई बार हमें यह सुनने को मिलता है कि, बीमार जानवर काटे गए, यहाँ तक कि, यह भी सुनने को मिला है कि, कुत्ते तक काटे गए हैं।
- बूचड़खानों को सरकार की निगरानी में होना चाहिए।
- हमने खुद यह मांग की थी, तो अब सरकार जब ऐसा कर रही है तो हम सरकार के साथ हैं।
साम्प्रदायिकता के मामले पर क्या बोले, शमील शम्सी:
- यूपी के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी की हिंदुत्ववादी छवि है,
- साथ ही उनके पिछले बयानों के आधार पर उन्हें मुस्लिम विरोधी भी कहा जाता है।
- जिसके बाद इस मामले को साम्प्रदायिकता से जोड़कर पेश किया गया।
- साम्प्रदायिकता के मामले में शमील शम्सी ने कहा कि, ये मामला सांप्रदायिक तो बिल्कुल भी नहीं है।
- सभी बड़े बूचड़खाने या स्लॉटर हाउस हिन्दुओं के हैं, तो अगर हिन्दुओं के बूचड़खाने बंद हो रहे हैं तो ये सांप्रदायिक कैसे हुआ?
- हिन्दुस्तान, यूपी समेत अन्य राज्यों में मांस-मछली का सेवन करने वाले अधिकतर लोग हिन्दू हैं।
- जब हिन्दुओं को इससे तकलीफ नहीं तो हमें क्यों हो? हमारे धर्म में भी मांस के सेवन के लिए प्रेरित नहीं किया गया है।
- हमारे चौथे खलीफा और पहले इमाम ने भी कहा है कि, मुसलमानों को 40 दिन में एक बार ही गोश्त का सेवन करना चाहिए।
- जिसका कारण यह बताया गया है कि, इंसानी पेट मरे हुए जानवरों का कब्रिस्तान न बन जाये।
- यह मुद्दा कतई सांप्रदायिक नहीं है, कम मांस खाना सेहत, धर्मं और संप्रदाय सभी के लिए अच्छा है।
- हमने करीब 4 साल पहले एक कैंपेन चलाया था, जिसके तहत हमने मुस्लिमों को गौमांस के सेवन को बंद करने के लिए जागरूक किया।
- कुरआन में भी कहा गया है कि, गाय का दूध अमृत है और उसका मांस ज़हर, मुस्लिमों को तुरंत उसे त्यागना चाहिये।
- हम उसकी तरह इस मामले की भी जागरूकता मुसलमानों में फैलायेंगे कि, ये बिल्कुल भी उनका सांप्रदायिक मामला नहीं है।
- साथ ही इसमें किसी भी प्रकार के झगड़े जैसा कुछ नहीं है।
- ये मामला आम आदमी की सेहत से जुड़ा हुआ है, जिसके लिए यह सरकार सक्रिय हुई है, जो हमारा सौभाग्य है।
- पिछली सरकारों ने ऐसे मामलों पर अपनी नजर नहीं रखी थी, ये पहली सरकार है जिसने इस मामले पर ध्यान दिया।
- हमें उम्मीद है कि, जल्द ही सब सामान्य होगा और सभी को स्वस्थ्य मांस और मछली का सेवन करने को मिलेगा।