उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद सूबे के सभी अवैध बूचड़खानों पर सरकार का डंडा चला. इस कदम के बाद सूबे के मीट व्यापारियों में हड़कंप मच गई. अवैध बूचड़खानों पर कार्रवाई के बाद मीट की सप्लाई में भी कमी आयी और मीट व्यापारियों ने इसका विरोध भी किया. वहीँ सरकार ने स्पष्ट किया कि जिन बूचड़खानों की लइसेंस अवधि समाप्त हो चुकी है और अभी वो अपना काम धड़ल्ले से कर रहे हैं, वही इस कार्रवाई के दायरे में आएंगे. इसके साथ ही सरकार ने कहा कि मीट बेचने के लिए जो भी नियम हैं उन्हें ही सख्ती से पालन करना होगा. लेकिन हकीकत ये है कि इन नियमों का पालन करने वाले बूचड़खानों और मीट की दुकानों की संख्या बहुत ही कम है.
बूचड़खानों को लेकर नियम:
जानवरों को काटने और मीट बेचने को लेकर नियमों की जानकारी यूपी सरकार ने मीट दुकानदारों को भेजी है. इन नियमों के अनुसार ही बूचड़खाने या मीट की दुकान चलनी चाहिए।
- मीट की दुकानें सब्जी की दुकानों के पास न हों.
- मीट की दुकानें धार्मिक स्थलों की परिधि से 50 मीटर की दूरी पर हो.
- इसके अलावा धार्मिक स्थलों के मुख्य द्वार से कम से कम 100 मीटर दूर हों.
- शाकाहारी खानपान के नजदीक न हो दुकानें.
- जानवरों या पक्षियों को दुकान के अंदर नहीं काटा जा सकता है.
- जानवरों की कटने के बाद और पहले जाँच हो.
- मीट की दुकानों पर काम करने वालों को सरकारी डॉक्टर से हेल्थ सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होगा.
- मीट की क्वॉलिटी पशु डॉक्टर द्वारा प्रमाणित कराई जाए.
- बीमार या प्रेगनेंट जानवरों को न काटें.
- एक घंटे में कम से कम 12 और दिन में 96 पशुओं की एंटी मार्टम जाँच हो.
- लाइसेंस के लिए जमीन निजी हो या 99 साल की लीज पर हो.
- बूचड़खानों से निकला खून सीधे नालियों में न जाये और उसके लिए ड्रेनेज सिस्टम हो.
- अवशेष निस्तारण का इंतजाम हो.
- हर छह महीने पर अपनी दुकान की सफेदी करानी होगी.
- जानवरों को काटने वाले हथियार स्टील निर्मित हों.
- कूड़े के निपटारे के लिए समुचित व्यवस्था हो.
- बूचड़खानों से खरीदे जाने वाले मीट का पूरा हिसाब रखा जाए.
- ग्रामीण इलाकों में मीट दुकानदारों को ग्राम पंचायत, सर्किल अफसर और एफएसडीए से लेनी होगी एनओसी.
- शहरी इलाकों में सर्किल ऑफिसर और नगर निगम से अनुमति के बाद चलेगी दुकान फूड सेफ्टी एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन से भी लेनी होगी अनुमति.
- मीट को इंसुलेटेड फ्रीजर वाली गाड़ियों में ही ढोया जाना चाहिए.
- मीट को जिस फ्रिज में रखा जाए और दरवाजे पारदर्शी हों.
- इन मीट की दुकानों पर गीजर होना अनिवार्य है.
- दुकानों के बाहर पर्दे या गहरे रंग के ग्लास की भी व्यवस्थाहोनी चाहिए.
- किसी भी मानक का उल्लंघन होते ही लाइसेंस तुरंत रद्द कर दिया जाएगा.
नियमों को ताक पर रख चलती रही दुकानें:
सुप्रीम कोर्ट और NGT के निर्देशों का पालन करना इस बूचड़खानों और मीट व्यापारियों के लिए टेढ़ी खीर साबित हो रहा है या यूँ कहें तो नियमों को ताक पर रख लंबे समय से कारोबार चलाने वाले ये व्यापारी अब नियमों को पूरा करने के दबाव के कारण घबराये हुए हैं. दरअसल पिछले 10 सालों से कोई भी इन मानकों की परवाह नही कर रहा था और इसी कारण सूबे में अवैध बूचड़खानों की संख्या दिन प्रति दिन बढ़ती गई लेकिन अब योगी सरकार द्वारा नियमों को लेकर सख्ती बरतने के बाद बूचड़खानों के मालिकों के माथे पर पसीना साफ दिखाई दे रहा है.