वर्ष 2000 में साबरमती एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में गिरफ्तार किए गए गुलजार अहमद वनी को अदालत ने बरी कर दिया गया है। वानी और दूसरे आरोपी सईद अब्दुल मोबीन को बाराबंकी निचली नदलत ने बरी कर दिया। गुलजार अहमद वानी बीते 16 सालों से जेल में बंद थे। वानी पर हिजबुल मुजाहिद्दीन का आतंकी होने के आरोप लगे थे।
सबूत के अभाव में लिया गया फैसला
- साबरमती एक्सप्रेस ब्लास्ट मामले में दोषी दोनों आरोपियों को बरी कर दिया गया है।
- बाराबंकी कोर्ट ने दोनों पर साजिश के सबूत नहीं मिल पाने से उनकी रिहाई का आदेश जारी किया।
- इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर आरोपी के खिलाफ, आपराधिक साजिश के सबूत पेश करने में नाकाम रहे।
- आरोपियों के वकील ने कहा की 17 साल जेल में रहने से उनके मुवक्किलों को परेशानी हुई।
- साथ ही शारीरिक और मानसिक आघात भी पंहुचा है।
- जिसकी भरपाई करना आसान नहीं होगा।
- 14 अगस्त 2000 में साबरमती एक्सप्रेस में हुए ब्लास्ट में 9 लोगों की मौत हो गई थी।
- यह विस्फोट स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर उस समय किया गया था जब ट्रेन मुजफ्फरनगर से अहमदाबाद जा रही थी
- मामले में पुलिस ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी से अरबी भाषा में पीएचडी कर रहे गुलजार अहमद वानी को गिरफ्तार किया था।
- वही ब्लास्ट मामले में ही उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थ नगर के रहने वाले अब्दुल मोबीन को भी गिरफ्तार किया गया था।
- वानी को दिल्ली पुलिस ने वर्ष 2001 में कथित रूप से विस्फोटकों एवं आपत्तिजनक सामग्रियों के साथ गिरफ्तार किया था।
- आरोपी के वकील ने कहा की अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने दोनों आरोपियों को सभी आरोपों से मुक्त कर दिया है।
- क्योंकि अभियोजन उनके खिलाफ लगाए गए किसी भी आरोप को साबित नहीं कर सका।
- साबरमती एक्सप्रेस ब्लास्ट के मामले पर सरकार ने हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में याचिका दाखिल की है।
- माना जा रहा है की बाराबंकी की निचली अदालत के आदेश को राज्य सर्कार ने चुनौती दी है।