पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान जिस समाजवादी पार्टी परिवार में आतंरिक कलह के चलते फूट पड़ी थी अब वह पूरी तरह से खत्म हो गई है। चाचा शिवपाल सिंह यादव और भतीजा अखिलेश यादव के बीच चला आ रहा मनमुटाव अब समाप्त हो गया है। समाजवादी पार्टी ने अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अभी से कमर कसनी शुरू कर दी है। इसी सिलसिले में सोमवार को सपा के मुख्यालय पर राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने एक अहम बैठक बुलाई थी। इस बैठक में बसपा के साथ गठबंधन को लेकर चर्चा हुई। इस बैठक में शिवपाल यादव और रामगोपाल यादव के भी शामिल थे। बीएसपी के साथ गठबंधन के ऐलान के साथ ही अखिलेश यादव ने जातियों को आधार से जोड़ने और आबादी के अनुरूप अवसर, अधिकार और सम्मान देने की मांग भी उठानी शुरू कर दी है।
यादव समाज के नेताओं के साथ मीटिंग
समाजवादी पार्टी के कार्यालय में हुई अहम बैठक में कई मुद्दों पर मंथन हुआ। बैठक में पिछड़े वर्ग के नेताओं के साथ चर्चा हुई। बैठक के दौरान लोकसभा चुनावों में बसपा के साथ गठबंधन और सीटों के बंटवारे को लेकर भी चर्चा हुई। इस बैठक के बाद पार्टी में एकजुटता दिखने लगी है। बैठक के दौरान पार्टी के शीर्ष नेताओं द्वारा टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बागी रुख अपनाने वालों पर भी बातचीत हुई। अखिलेश ने सोमवार को पार्टी के कुर्मी, सैनी, मौर्य, कुशवाहा, जाट, गुर्जर, निषाद, कश्यप, प्रजापति, राजभर, लोध, सैनी, विश्वकर्मा समेत पिछड़ी जाति के अधिकतर नेताओं के साथ बैठक की थी। आज 10 अप्रैल को अखिलेश यादव ने यादव समाज के प्रमुख नेताओं के साथ मीटिंग की।
मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक कर करेंगे मंथन
अखिलेश यादव 11 अप्रैल को मुस्लिम नेताओं के साथ बैठक कर बदले सियासी माहौल पर मंथन करेंगे। दरअसल पार्टी का पूरा दारोमदार पिछड़ा, दलित और अल्पसंख्यकों के गठजोड़ पर है। बताया जा रहा है कि अखिलेश इन नेताओं को गठबंधन धर्म समझाएंगे। साथ ही 11 अप्रैल को मुस्लिम समाज से विधायकों, पूर्व विधायकों, प्रदेश पदाधिकारियों और प्रमुखों को आवश्यक निर्देश देंगे।