6 दिसंबर, 1992 को उत्तर प्रदेश के फ़ैजाबाद जिले में बहुचर्चित ‘बाबरी विध्वंस’ हुआ था, जिसके बाद से ही सूबे की राजनीति में तुष्टिकरण की राजनीति का जहर घुल गया था। रामजन्मभूमि विवाद के रूप में मामला देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है।
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
- अयोध्या में मस्जिद का विवादित ढांचा 6 दिसंबर 1992 को गिराया गया था।
- जिसके बाद से यह मामला हाई कोर्ट होता हुआ सुप्रीम कोर्ट पहुँच चुका है।
- जिसके बाद मामले में देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 21 मार्च को अपनी टिप्पणी की है।
- सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि, दोनों पक्ष बातचीत के माध्यम से इस प्रश्न का हल खोजने की कोशिश करें।
- साथ ही कोर्ट ने कहा है कि, यदि दोनों पक्ष चाहें तो सुप्रीम कोर्ट के जज मध्यस्थता कर सकते हैं।
अखाड़ा परिषद् की प्रतिक्रिया:
- रामजन्मभूमि विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर अखाड़ा परिषद् ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
- अखाड़ा परिषद् ने सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्वागत किया है।
- परिषद् के अध्यक्ष नरेन्द्र गिरि ने कहा है कि, हम अदालत के बाहर आपसी सहमति से हल चाहते हैं।
निर्मोही अखाड़े की प्रतिक्रिया:
- SC की टिप्पणी पर निर्मोही अखाड़े ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
- अखाड़े का कहना है कि, अयोध्या भगवान राम कि जन्मस्थली है, मुस्लिम अपना दावा छोड़ें।
बाबरी मस्जिद के मुद्दई की प्रतिक्रिया:
- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी पर बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी महबूब ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है।
- जिसमें उन्होंने कहा कि, पहले से चाह रहे थे कि, दोनों पक्ष बैठकर बात करें।