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मकर संक्रांति 2019 : लाखों श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी

Devotees Take Dip of Faith at Triveni Sangam

Devotees Take Dip of Faith at Triveni Sangam

मकर संक्रांति पर प्रयागराज कुंभ के पहला शाही सुबह करीब 6 बजे शुरू हुआ जो शाम 4 बजे तक चलेगा। कुंभ का यह सबसे बड़ा आकर्षण है, जिसमें अखाड़ों के आचार्य महामंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, महंत और नागा संन्यासियों के पैरों की रेत लेने की होड़ मची है। मेला प्रशासन की भी यह पहली बड़ी परीक्षा है। यही मौका है जब नागा संन्यासियों को संगम में बच्चों की तरह अटखेलियां करते देखा जा सकेगा।

अश्वमेघसहस्त्राणि वाजपेयशतानि च।
लक्षं प्रक्षिणा: पृथ्व्या: कुम्भस्न्नानेन तत्फलम।।

विष्णुपुराण में कुंभ स्नान की महत्ता का वर्णन करते हुए कहा गया है कि सहस्त्र अश्वमेघ, शत वाजपेय और पृथ्वी की लक्ष प्रदक्षिणा करने से जो फल प्राप्त होता है, वही कुंभ स्नान से प्राप्त होता है।

को कहि सकइ प्रयाग प्रभाऊ। कलुष पुंज कुंजर मृगराऊ॥
अस तीरथपति देखि सुहावा। सुख सागर रघुबर सुखु पावा॥

पापों के समूह रूपी हाथी के मारने के लिए सिंह रूप प्रयागराज का प्रभाव (महत्व-माहात्म्य) कौन कह सकता है। ऐसे सुहावने तीर्थराज का दर्शन कर सुख के समुद्र रघुकुल श्रेष्ठ श्री रामजी ने भी सुख पाया॥

श्रीरामचरित मानस की इस चौपाई में बताई गई कुंभ की महिमा तीर्थराज प्रयागराज में साकार है। माघ महीने की संक्रांति पर सूर्य देव के मकर राशि पर पहुंचने से पहले ही लाखों लोगों का जमावड़ा संगम तट पर लग चुका है, वहीं लगातार हजारों की भीड़ कुंभ का साक्षी बनने के लिए धर्मनगरी पहुंच रही है। सभी को इंतजार है मंगलवार सुबह का, जब घड़ी की सुई 5:15 पर पहुंचेगी और साधु-संतों की डुबकी के साथ इस महापर्व की शुरुआत होगी। रेत पर बसने वाला यह मेला इस बार सिर्फ धर्म, अध्यात्म ही नहीं बल्कि पर्यटन का भी बड़ा आकर्षण होगा। तीर्थराज प्रयागराज का कुंभ देश-विदेश से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। संगम पर जुटी लाखों की भीड़ कुंभ की घड़ी को अपने आँखों के सामने देखने को उत्सुक होने के साथ आस्था की डुबकी लगाने को बेताब है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]गुजरात में मनाया जाता है अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्वस[/penci_blockquote]
बता दें कि मकर संक्रांति का पर्व इस बार यानी साल 2019 में 14 जनवरी की बजाए 15 जनवरी को मनाया जा रहा है। 15 जनवरी से पंचक, खरमास और अशुभ समय समाप्त हो जाएगा और विवाह, ग्रह प्रवेश आदि के शुभ कार्य शुरू हो जाएंगे। 15 जनवरी यानी मकर संक्रांति के दिन ही प्रयागराज में चल रहे कुंभ महोत्सव का पहला शाही स्नान होगा। शाही स्नान के साथ ही देश विदेश के श्रद्धालु कुंभ के पवित्र त्रिवेणी संगम में डुबकी लगाना शुरू कर देंगे। मकर संक्रांति के पर्व को देश में माघी, पोंगल, उत्तरायण, खिचड़ी और बड़ी संक्रांति आदि नामों से जाना जाता है। आपको जानकर खुशी होगी कि मकर संक्रांति के दिन ही गुजरात में अंतरराष्ट्रीय पतंग महोत्वस मनाया जाता है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त [/penci_blockquote]
पुण्य काल मुहूर्त – 07:14 से 12:36 तक (15 जनवरी 2019)
महापुण्य काल मुहूर्त – 07:14 से 09:01 तक (15 जनवरी 2019 को)

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]मकर संक्रांति पूजा विधि[/penci_blockquote]
मकर संक्रांति के दिन सुबह किसी नदी, तालाब शुद्ध जलाशय में स्नान करें। इसके बाद नए या साफ वस्त्र पहनकर सूर्य देवता की पूजा करें। चाहें तो पास के मंदिर भी जा सकते हैं। इसके बाद ब्राह्मणों, गरीबों को दान करें। इस दिन दान में आटा, दाल, चावल, खिचड़ी और तिल के लड्डू विशेष रूप से लोगों को दिए जाते हैं। इसके बाद घर में प्रसाद ग्रहण करने से पहले आग में थोड़ी सा गुड़ और तिल डालें और अग्नि देवता को प्रणाम करें।

मकर संक्रांति पूजा मंत्र
ऊं सूर्याय नम: ऊं आदित्याय नम: ऊं सप्तार्चिषे नम:

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]क्या है मकर संक्रांति का महत्व[/penci_blockquote]
आज के दिन से सूर्य दक्षिणायन से उत्तरायण में आ जाते हैं। उत्तरायण में सूर्य रहने के समय को शुभ समय माना जाता है और मांगलिक कार्य आसानी से किए जाते हैं। चूंकि पृथ्वी दो गोलार्धों में बंटी हुई है ऐसे में जब सूर्य का झुकाव दाक्षिणी गोलार्ध की ओर होता है तो इस स्थिति को दक्षिणायन कहते हैं और सूर्य जब उत्तरी गोलार्ध की ओर झुका होता है तो सूर्य की इस स्थिति को उत्तरायण कहते हैं। इसके साथ ही 12 राशियां होती हैं जिनमें सूर्य पूरे साल एक-एक माह के लिए रहते हैं। सूर्य जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो इसे मकर संक्रांति कहते हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]यह होगा स्नान का समय [/penci_blockquote]
➡6:15 बजे सुबह महानिर्वाणी, अटल अखाड़ा।
➡8:00 बजे सुबह जूना, आवाहन, श्रीपंच अग्नि अखाड़ा।
➡11:20 बजे सुबह दिगंबर अनि अखाड़ा।
➡13:15 बजे नया उदासीन अखाड़ा।
➡7:05 बजे निर्मला अखाड़ा करेगा स्नान।
➡10:40 बजे पंच निर्मोही अनि अखाड़ा।
➡12:20 बजे निर्वाणी अनि अखाड़ा।
➡14:20 बड़ा उदासीन अखाड़ा।
➡15:40 बजे सुबह निरंजनी, आनंद अखाड़ा।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]आखिर में पंचायती अखाड़ा निर्मला का स्नान, हर अखाड़े के लिए 45 मिनट [/penci_blockquote]
मेला प्रशासन ने अखाड़ों के शाही स्नान का क्रम भी तय कर लिया है। सबसे पहले संन्यासी अखाड़ों का स्नान होगा। इसके बाद बैरागी और फिर उदासीन अखाड़े स्नान करेंगे। संन्यासी अखाड़ों में सबसे पहले श्रीपंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी और श्रीपंचायती अटल अखाड़े का स्नान होगा। वहीं, उदासीन अखाडों में सबसे बाद में श्रीपंचायती अखाड़ा निर्मला का स्नान होगा। पेशवाई में भी अखाड़ों का करीब-करीब यही क्रम रहा है। कुंभ मेले के दौरान अखाड़ों के शाही स्नान का वक्त तय कर दिया गया है। हर अखाड़े को 45 मिनट का वक्त दिया जाएगा। सभी 13 अखाड़े तीन शाही स्नानों में हिस्सा लेंगे। 15 जनवरी को मकर संक्रांति, 4 फरवरी को वसंत पंचमी और 10 फरवरी को पौष पूर्णिमा के स्नान में सभी अखाड़ों को शाही स्नान करना है। अखाड़ों के शाही स्नान में आचार्य महामंडलेश्वर और लाखों नागा साधु-संत मौजूद रहेंगे।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]स्नान में आएंगे बॉलिवुड सितारे, सेना भी तैनात [/penci_blockquote]
शाही स्नान पर कई बॉलिवुड सितारों के भी पहुंचने की उम्मीद है, जो अपने धर्मगुरुओं के सानिध्य में स्नान करेंगे। हालांकि, इनके बारे में संबंधित शिविरों की ओर से पूरी गोपनीयता बरती जा रही है। मेले में पुलिस के साथ अर्द्धसैनिक बल के जवानों और सेना को भी तैनात किया गया है। मेला क्षेत्र के चप्पे-चप्पे पर सीसीटीवी कैमरों की मदद से निगाह रखी जा रही है। सुरक्षा के मद्देनजर वायुसेना को भी अलर्ट मोड पर रखा गया है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]नागा संतों की देखने को मिलेंगी अनूठी मुद्राएं [/penci_blockquote]
अखाड़ों में जहां नागा संतों की दिनचर्या और अनूठी मुद्राएं देखने को मिलेंगी, वहीं अरैल मेला क्षेत्र में बनाए गए संस्कृति और कला ग्राम में पूरे भारत की झलक दिखाई देगी। कला ग्राम के पास ही उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र का पंडाल है। जहां देश के सात सांस्कृतिक केंद्रों की प्रस्तुति रोज होगी। साथ ही कुंभ में आने वाले लोग पहली बार अकबर के किले में अक्षयवट और सरस्वती कूप के भी दर्शन कर सकेंगे। इसके अलावा 12 माधव की परिक्रमा और क्रूज की सवारी का भी आनंद ले सकेंगे।

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