बीते 25 जुलाई को देश की सर्वोच्च अदालत सुप्रीम कोर्ट ने प्रदेश में शिक्षा मित्रों के समायोजन को लेकर अहम फैसला सुनाया था, लेकिन प्रदेश के करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों(shikshamitra) को सुप्रीम कोर्ट का फैसला रास नहीं आया। जिसे लेकर अब तक कई बार शिक्षामित्रों द्वारा प्रदर्शन आदि किया जा चुका है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार 1 अगस्त को शिक्षामित्रों के साथ एक बैठक का आयोजन किया था। बैठक में बेसिक शिक्षा राज्यमंत्री अनुपमा जायसवाल भी शामिल हुई थीं।
मुख्यमंत्री योगी के आश्वासन के बाद शिक्षामित्रों ने स्थगित किया धरना(shikshamitra):
- मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों के दल के साथ बैठक की थी।
- बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शिक्षामित्रों को उनके समायोजन को लेकर बात की थी।
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन के बाद शिक्षामित्रों ने अपना आन्दोलन स्थगित कर दिया है।
- ज्ञात हो कि, शिक्षामित्रों ने 15 दिनों के लिए अपना आंदोलन स्थगित किया है।
- शिक्षामित्रों और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच 3 घंटे की मैराथन बैठक चली थी।
- सीएम योगी के आश्वासन के बाद सभी शिक्षामित्र बुधवार से स्कूलों में लौटेंगे।
- मुख्यमंत्री योगी ने शिक्षामित्रों को आश्वासन दिया था कि, कैबिनेट में बात कर के इसके लिए प्रस्ताव लाने की कोशिश करेंगे।
15 दिनों के लिए थमा शिक्षामित्रों का आन्दोलन(shikshamitra):
- मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आश्वासन के बाद शिक्षामित्रों ने अपना आन्दोलन स्थगित कर दिया है।
- जिसके बाद बुधवार से शिक्षामित्र स्कूलों में लौटेंगे।
- सीएम के आश्वासन के बाद शिक्षामित्रों ने अपना आन्दोलन 15 दिनों के लिए रोक दिया है।
- साथ ही शिक्षा मित्रों को कहना है कि, 15 दिनों में अगर ठोस नीति नहीं बनी तो प्रदेश में फिर आन्दोलन शुरू होगा।
सुप्रीम कोर्ट का फैसला(shikshamitra):
- कोर्ट ने कहा था कि, समायोजित किए गए 1.72 लाख शिक्षामित्र नहीं हटाए जाएंगे।
- लेकिन, उन्हें भतिर्यों के लिए दो मौके मिलेंगे जिसके अंदर उन्हें परीक्षा पास करनी होगी,
- इसमें उन्हें अनुभव का भी वेटेज मिलेगा।
- इसके साथ ही टीइटी वालों को भी राहत मिली है।
- उनका अकादमिक रिकॉर्ड देखा जाएगा।
- उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों को सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजित करना है।
- आपको बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त कर दिया था।
- इसके बाद शिक्षामित्र इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए थे।
- बीते 17 मई को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
- SC ने कहा था कि, जो भी पक्षकार लिखित रूप से अपना पक्ष रखना चाहता है वह एक हफ्ते के भीतर रख सकते हैं।
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- अधिकतर वकीलों का कहना था कि शिक्षामित्र वर्षों से काम कर रहे हैं, लेकिन अब तक उनका भविष्य अधर में है।
- शिक्षामित्रों की ओर से सलमान खुर्शीद, अमित सिब्बल सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने अपनी ओर से दलीलें पेश की थी।
- ऐसे में उन्हें सहायक शिक्षक के तौर पर जारी रखा जाए।
- उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह संविधान के अनुच्छेद-142 का इस्तेमाल कर शिक्षामित्रों को राहत दें।
- शिक्षामित्र स्नातक बीटीसी और टीईटी पास हैं। कई ऐसे हैं जो करीब 10 सालों से काम कर रहे हैं।
- वहीं शिक्षामित्रों की ओर से वकील ने कहा कि यह कहना गलत है कि शिक्षामित्रों को नियमित किया गया है।
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- उन्होंने कहा कि सहायक शिक्षकों के रूप में उनकी नियुक्ति हुई है।
- वकीलों का कहना था कि राज्य में शिक्षकों की कमी को ध्यान में रखते हुए स्कीम के तहत शिक्षामित्रों की नियुक्ति हुई थी।
- लेकिन ये नियुक्ति गलत ढंग से हुई है।
क्या था मामला(shikshamitra):
- गौरतलब है कि 12 सिंतबर 2015 को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के करीब 1.72 लाख शिक्षामित्रों का सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को निरस्त कर दिया था।
- इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।