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Reality check: बच्चों को मारने वाले आदमखोर कुत्ते या फिर जंगली जानवर…?

Sitapur dogs Attacks case reality check video in hindi

Sitapur dogs Attacks case reality check video in hindi

सीतापुर में पिछले दिनों आदमखोर कुत्तों द्वारा बच्चों के मारने की बात सामने आई थी। जिसमें कई मासूमों की मौत हो गई थी। इस मामले में कहा जा रहा था कि वह देशी कुत्ते है तो कोई लकड़बग्घा अथवा जंगली व आदमखोर कुत्ते बता रहा है। जब इस बात की जमीनी हकीकत जानने हमारी टीम ग्राउंड जीरो पर पहुंची तो पता तथ्य चौकाने वाले सामने आए। इस दौरान हमारी टीम ने ग्रामीणों के साथ साथ प्रत्यक्षदर्शियों एवं मृतक के परिजनों से बात की। जिस दौरान हमारी टीम से बात करते करते परिजनों के आंखों में आंसू आ गए।

बच्चों की हत्या करने वाले घरेलू कुत्ते नहीं जंगली कुत्ते

जब हमारी टीम ने ग्रामीणों से बात की तो आदमखोर जानवर का हुलिया बताया वह बेहद ही डरावना था। हालांकि इस आदमखोर जानवरों के हमले में शिकार हुए बच्चे अब बताने की हालत में नहीं है क्योंकि इन आदमखोर जानवर के हमले में काल के गाल में समा गए हैं। वही एक मासूम जीवन और मृत्यु के बीच जूझ रहा है। जैसा की बताया जा रहा है कि इन जानवरों के बड़े बड़े दांत थे, मोटा जबड़ा था और देखने में जंगली आदखोर कुत्ते जैसे थे। उनका कहना है कि बच्चों की हत्या करने वाले घरेलू कुत्ते नही जंगली कुत्ते हैं। वहीं घटना में मृत बच्चों के जख्म देखकर कयास लगाए जा रहे हैं कि ऐसे निशान देशा कुत्तों के नहीं हो सकते हैं।

क्या कहते हैं एक्सपर्ट

पशु चिकित्सक के मुताबिक, बच्चों को किसी जंगली जानवर ने मारा है। बताया जा रहा है यह जंगली जानवर हाईना, सियार या लकड़बग्घा भी हो सकते हैं। क्योंकि सियार अक्सर छोटे बच्चों पर ही हमला कर उन्हें मार कर खाते हैं। हाईना, सियार या लकड़बग्घा बड़ों पर हमला नहीं करते। इसके अनुसार, अभी तक जितने भी बच्चों की मौत हुई है वह मासूम ही है।

गांव से कुत्ते समाप्त होना चिंता का विषय

इस संबंध में पूरा मामला क्या है यह रिपोर्ट आने के बाद ही पता चल पाएगा। लेकिन एनिमल एक्सपर्ट का कहना है कि अब तक सीतापुर प्रशासन ने करीब 80 कुत्तों की हत्या करवा दी है। इसके चलते गांव में कुत्ते समाप्त होने की कगार पर हैं। अगर कुत्ते समाप्त हो गए तो जंगली जानवरों का हमला और भी गांव में बढ़ जाएगा। क्योंकि अगर कोई जंगली जानवर आता है तो कुत्ते ही उससे लोहा लेकर उसको गांव से बाहर भगाते हैं। लेकिन जंगली जानवर के हमले की अफवाह कुछ इस कदर फैली कि सारे आरोप कुत्तों पर लगे। गांव वालों ने जिला प्रशासन के साथ मिलकर करीब 80 कुत्तों की हत्या कर दी जो कि इंसानियत को शर्मसार करने वाला है।

मृतक बच्चे के साथी ने बताई हमले की पूरी कहानी

ग्राम भगौतीपुर बेदौरा में मृतक बच्चे कासिम के साथी बच्चे ने बताई जंगली कुत्ते के द्वारा किये गये हमले की पूरी कहानी बताई। वहीं प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अब तक जो भी कुत्ते मारे गए हैं वो देशी कुत्ते हैं। वहीं आदखोर जंगली कुत्ते एक झुण्ड बनाकर चलते हैं जिसमें 6 से 7 कुत्तों की फौज होती है। अक्सर इन्हें सुबह और शाम को देखा जा रहा है। बताया कि इन आदमखोर कुत्तों को झुण्ड में हमेशा देखा गया है और इन्होंने सिर्फ बच्चों को अपना शिकार बनाया है। वहीं बड़ों के आसपास भी नहीं फटक रहे हैं।

नीलगाय और गाय पर भी किया है हमला

गांव वालों का कहना है कि इन आदमखोर कुत्तों ने केवल बच्चों को ही अपना शिकार नहीं बनाया है, बल्कि नीलगाय पर भी बीती रात हमला किया था। वहीं इन कुत्तों ने एक गाय पर भी हमला कर उसे घायल कर दिया था। गांव वालों के बेबसी का आलम यह है कि आधा गांव का रातों को जाग कर पहरेदारी कर रहे हैं। वहीं अब परिजन बच्चों को घरों से निकलने नहीं दे रहे हैं।

प्रशासन ने मथुरा में बुलाई एक्सपर्टों की टीम

बिकट घटना के बाद नींद से जागे सीतापुर जिला प्रशासन ने अब ग्रामीणों के कार्रवाई के बाद आदमखोर कुत्तों को पकड़ने के लिए कमर कस ली है। एसडीएम शशांक त्रिपाठी ने बताया कि मथुरा से एक्सपर्टो की टीम बुला ली गई है। गुरुवार की सुबह एक्सपर्ट क्षेत्र के वन विभाग, पशु चिकित्सा विभाग, आदि विभागों के साथ आदमखोर कुत्तों की तलाश में निकले।

पीड़ितों से मिलने नहीं पहुंची रीता बहुगुणा जोशी

ग्रामीणों के अनुसार, शनिवार को कैबिनेट मंत्री व जिला प्रभारी रीता बहुगुणा जोशी ब्लाक खैराबाद में आयोजित आजीविका एवं कौशल मेले में आयीं तो उम्मीद जागी कि आज वह शायद पीड़ित परिवारों को सांत्वना देने पहुंचेगी। अफसोस है कि मंत्री ब्लॉक दफ्तर में सरकारी योजनाओं का बखान करती रही। हलाकि ब्लॉक में कुछ देर प्रधानों के साथ बैठक पर कुत्तों के आतंक की जानकारी ली फिर वापस चली गई। मंत्री के इस रवैया से ग्रामीणों में बेहद आक्रोश है।

प्रशासन कर रही है सिर्फ खाना पूर्ति

बता दें कि इस मामले में प्रशासन पूरी तरह खानापूर्ति करने में लगी हुई है। उन्हें किसी भी प्रकार की संवेदना ना ही गांव वाले से है ना ही गांव के बच्चों से। ग्रामीणों का कहना है कि गांव में अधिकारी आए तो थे लेकिन पीड़ित परिजनों को किसी भी प्रकार की सहायता प्रदान करने का कोई भी आश्वासन नहीं दिया गया।

रो रो कर सुनाया माँ ने सुनाया अपना दर्द

खुन से लथपथ बच्चें को मां ने इलाज के लिए अपनी गोद में उठाए भागी भागी फिर रही थी फिर वह अपने कलेजे के टुकड़े को बचा ना सकी।ग्रामीणों की मानें तो आदमखोर कुत्तों का शिकार हुए 9 मासूम मौत के मुंह में समा गए। इतना ही नहीं इन कुत्तों के हमले से 18 लोग घायल हो चुके हैं जबकि कुत्तों ने करीब 100 से अधिक लोगों का अब तक काटा है। कुत्तों के आतंक से परेशान आक्रोशित ग्रामीणों ने चुन चुन कर कुत्तों को मौत के घाट उतार दिया। बताया जा रहा है कि घटना के बाद ग्रामीणों ने कुत्तों को मारने का अभियान चलाकर 30 कुत्तों की हत्या कर दी। कुछ को फांसी पर लटका दिया गया कुछ को जहरीला पदार्थ खिलाकर मौत के घाट उतारा गया।

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