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कुंभ मेला : संगम तट पर साधु-संतों और श्रद्धालुओं के साथ स्मृति ईरानी ने भी लगाई आस्था की डुबकी

मकर संक्रान्ति हिन्दुओं का प्रमुख पर्व है। मकर संक्रान्ति पूरे भारत और नेपाल में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है। पौष मास में जब सूर्य मकर राशि पर आता है तभी इस पर्व को मनाया जाता है। मंगलवार को पहला शाही स्नान, संगम तट पर लाखों साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई। तीर्थराज प्रयाग में 49 दिन तक चलने वाले कुंभ की शुरुआत हो गई। सबसे पहले संगम तट पर श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के साधु-संतों ने स्नान किया। इसके बाद श्री पंचायती अटल अखाड़े के संतों ने संगम तट पर डुबकी लगाई। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने भी गंगा में स्नान किया।

मकर संक्रांति (Makar Sankranti) के मौके पर शाही स्नान (Holy Dip) के साथ ही प्रयागराज (Prayagraj) में कुंभ का शंखनाद हो गया है। कड़ाके की सर्दी में अलग-अलग अखाड़ों के साधु गंगा में डुबकी लगा रहे हैं। हर तपस्वी की यही इच्छा होती है कि वो धर्म के सबसे बड़े मेले में संगम तट पर शाही स्नान का हिस्सा बनें। ऐसे में सालों बाद जब ये मौका आया तो कड़ाके की ठंड को भी मात देते हुए संन्यासियों ने शाही स्नान किया। पूरे धूमधाम से शोभा यात्रा निकालते हुए निरंजनी और आनंद अखाड़े के साधु संतों ने संगम तट पर शाही स्नान किया। केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति को निरंजनी अखाड़े का महामंडलेश्वर बनाया गया है। वह भी इस पावन पर्व पर कुंभ के शंखनाद की साक्षी बनीं।

मंगलवार को सवेरे 5 बजे से शुरू स्नान पूरे दिन जारी रहेगा। सुबह सबसे पहले 6:05 बजे महानिर्वाणी के साधु-संत पूरे लाव-लश्कर के साथ शाही स्नान को संगम तट पर पहुंचे। इसके साथ अखाड़ों के स्नान का क्रम प्रारंभ हुआ। सभी अखाड़ों को बारी-बारी से स्नान के लिए 30 मिनट से 45 मिनट तक का समय दिया गया है। साधु-संतों के साथ आम श्रद्धालुओं भी संगम सहित अलग-अलग घाटों पर आधी रात से स्नान कर रहे हैं। कड़ी सुरक्षा के बीच घाटों पर नहाने और पूजा पाठ का सिलसिला जारी है। पारा 10 डिग्री सेल्सियस से भी कम होने के बाद भी बड़ी तादाद में लोग डुबकी लगा रहे हैं। किंवदंतियों के मुताबिक, पहला ‘शाही स्नान’ स्वर्ग का दरवाजा खोलता है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कुंभ मेला में 12 करोड़ लोगों के आने का अनुमान[/penci_blockquote]
उत्तर प्रदेश पुलिस की ओर से पहली बार कुंभ मेले के लिए इंटीग्रेटेड कंट्रोल कमांड सेंटर बनाया गया है। खुद प्रधानमंत्री मोदी ने इस कमांड सेंटर का उद्घाटन किया था। कुंभ में 40 हज़ार एलईडी लाइट लगाई गई हैं, तो लेज़र शो के ज़रिए सांस्कृतिक कार्यक्रम दिखाए जाएंगे। इस बार कुंभ में 12 करोड़ लोगों के आने का अनुमान है, ऐसे में करोड़ों लोगों की सुविधा और सुरक्षा का ख्याल रखते हुए ज़बरदस्त बंदोबस्त किए गए हैं, इनमें संगम तट पर बना अस्थाई अस्पताल लाजवाब है, इसमें 100 बेड लगाए गए हैं, वो बेहद आधुनिक हैं। अब तक इस अस्पताल में 10 हज़ार लोगों को ओपीडी के ज़रिए इलाज किया जा चुका है। इस बार कुंभ (Kumbh Mela) में नई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]कुंभ मेला की सुरक्षा के कड़े इंतजाम[/penci_blockquote]
आधिकारियों ने बताया कि कुंभ प्रशासन ने भीड़ को देखते हुए सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। कुंभ मेले में अगले 45 दिनों तक देश-विदेश के 15 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु जुटेंगे। श्रद्धालुओं के लिए गंगा नदी के किनारे 3,200 एकड़ क्षेत्र में छोटा शहर बसाया गया है। यहां टेंट का किराया 2,100 रुपये से लेकर 20,000 रुपये प्रति रात तक है। इसके अलावा बड़ी संख्या में यहां पहुंचने वाले अखाड़ों और संतों के लिए डोर्मेटरी और टेंट स्टॉल लगाए गए हैं।

[penci_blockquote style=”style-1″ align=”none” author=””]ये हैं कुंभ मेला स्नान की प्रमुख तिथियां[/penci_blockquote]
मकर संक्रांति, पौष पूर्णिमा, मौनी अमावस्या, वसन्त पंचमी, माघी पूर्णिमा, महाशिवरात्रि। पौष महीने की 15वीं तिथि को पौष पूर्णिमा कहते हैं। जो 2019 में 21 जनवरी को होगी इसके बाद ही माघ महीने की शुरुआत होती है। कुंभ मेले में पांचवां स्नान 19 फरवरी को माघी पूर्णिमा के दिन होगा। कहते हैं कि इस दिन सभी हिंदू देवता स्वर्ग से संगम पधारे थे आैर इसी दिन कल्पवास व्रतधारी स्नान कर अपना व्रत पूर्ण करते हैं। इस दिन बहस्पति गुरु की भी पूजा की जाती है। कुंभ मेले का आखिरी स्नान महा शिवरात्रि के दिन होगा 4 मार्च को है। एेसा माना जाता है कि इस दिन का देवलोक में भी इंतज़ार रहता है।

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