राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय में दवाओं का टोटा हलाकि कोई नयी बात नहीं है। लेकिन एक बार फिर से मरीजों को दवाये न मिल पाने की समस्या सामने आयी है। मरीजों का आरोप है की यहाँ पर अक्सर ही दवाये नहीं मिलती है। डॉक्टर्स की लिखी दवाये यदि बाहर से खरीदते हैं तो वो बहुत महंगी पड़ती हैं। ऐसे में उनका काफी पैसा इलाज में खुरच हो जाता है। ऐसे में सरकारी अस्पताल में इलाज करने का उन्हें कोई फ़ायदा नहीं होता है।
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दर्द निवारक तेल का भी है अभाव
- राजकीय आयुर्वेदिक महाविद्यालय एवं चिकित्सालय राज्य का एकमात्र आयुर्वेदिक अस्पताल है।
- ऐसे में आयुर्वेद पद्धति से की छह रखने वाले मरीज इसी अस्पताल की और रुख करते हैं।
- बावजूद इसके यहाँ पर दूर दर्ज से आने वाले मरीजों को वो सुविधाएं नहीं मिल पाती हैं।
- पीछे करीब दो साल से अस्पताल की बिल्डिंग बनने का काम जोरो से चल रहा है।
- ऐसे में मरीजों को काफी परेशानी भी जो यही है।
- ऐसे में यहाँ पर बहुत काम मरीजों को ही भर्ती किया गया है।
- इस अस्पताल में कहने को तो हर विभाग है लेकिन आपको इलाज बमुश्किल ही मिल पायेगा।
- इसकी वजह ये बिल्कुल भी नहीं है की यहाँ पर डॉक्टर्स नहीं है बल्कि यहाँ सुविधाओं का अभाव है।
- इन दिनों अस्पताल में दवाओं का टोटा है।
- दवाओ के साथ ही गठिया मरीजों के लिए दर्द निवारक तेल का भी अभाव है।
- जबकि आपको बता दें की ये तेल अस्पताल में ही बनाया जाता है।
- बावजूद इसके ये मरीजों को हमेशा नहीं मिल पाता है।
- अधिकारीयों की माने तो अस्पताल का बजट ही इतना नहीं है की वो इसे नियमित दें सके।
- ऐसे में मरीजों को न तो दवा और न ही अन्य चीजे मिल पति हैं।
- जिसका खामियाजा यहाँ आने वाले मरीजों को भुगतना पड़ता है।
- डॉक्टर्स का कहना है की वो मरीजों को वही दवाये लिखते हैं जो की अस्पताल में रहती है।