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सुल्तानपुर: बाप की जान निकलती रही, बिटिया मांगती रही मदद की भीख…वेंटिलेटर था, उसको चलाने वाला कोई नहीं

sultanpur mismanagment of covid hospital

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सुल्तानपुर: बाप की जान निकलती रही, बिटिया मांगती रही मदद की भीख…वेंटिलेटर था, उसको चलाने वाला कोई नहीं

सुलतानपुर

चारों ओर दर्द, कराह और अपनों के चले जाने का कोहराम है। जिम्मेदार आदेश देकर मौन धारण किए बैठे हैं। अफसरान के लिए सिस्टम के अभाव में मौत, अस्पतालों में जिंदगी से जूझते लोग अहमियत नहीं रखते। वो सुनकर हां-हां कहते हैं, और फिर अपनी ही दुनिया में गुम हो जाते हैं। बिटिया रुचि यादव की दर्दनाक कहानी इन्हीं पंक्तियों के इर्द-गिर्द है। शुक्रवार को दिन भर वो एल-2 हास्पिटल सुलतानपुर में अपने पिता को वेंटिलेटर दिलाने के लिए कभी इनसे कभी उनसे मदद मांगती रही। लेकिन देर रात वेंटिलेटर के अभाव में उसके पिता की मौत हो गई। वजह ये रही कि वेंटिलेटर तो था, मगर उसको चलाने वाला कोई नहीं था।

धम्मौर थाना क्षेत्र के अमेठा गांव निवासी रिटायर्ड राजस्व निरीक्षक…

दरअस्ल, धम्मौर थाना क्षेत्र के अमेठा गांव निवासी रिटायर्ड राजस्व निरीक्षक राधेश्याम यादव (62) का इलाज अमहट स्थित ट्रामा सेंटर में बने एल-2 हास्पिटल में चल रहा था। बेटी रुचि के अनुसार, शुक्रवार को पिता का ऑक्सीजन लेवल 60 से 65 पर पहुंच गया। उन्हें वेंटिलेटर की सख्त आवश्कता थी, एल-2 में वेंटिलेटर था तो लेकिन उसे उपलब्ध नहीं हो पा रहा था। पिता की जिंदगी बचाने के लिए बेटी ने दिल्ली-लखनऊ से लेकर सुलतानपुर तक फोन करके हर तरफ मदद मांगी। प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने काफी फोन पहुंचने के बाद चिकित्सक भेजकर इंजेक्शन तो लगवा दिया लेकिन अधिकारी वेंटिलेटर नहीं दिला सके।

साल 2018 में वरुण गांधी ने दिया था दर्जन भर वेंटिलेटर…

बता दें कि, वरुण गांधी जब सुलतानपुर के सांसद थे उस समय साल 2018 जनवरी माह में उन्होंने जिले को करोड़ो की लागत से इमरजेंसी और उसके विंग की सौगात दिया था। सांसद निधि से खरीदे गए उपकरणों में एक दर्जन वेंटिलेटर भी शामिल था। सभी वेंटिलेटर ट्रामा सेंटर अमहट भेज दिया गया। सालों वेंटिलेटर वहां धूल फांकता रहा, क्योंकि ट्रामा सेंटर का संचालन तक नहीं हुआ था। कई बार कांग्रेसियों ने इसको लेकर ज्ञापन दिया, भूख हड़ताल पर बैठे। तब हाल में कुछ समय से उसे चालू कराया गया वो भी नाम मात्र को।

 

दो दिन पूर्व एल-2 हास्पिटल का निरीक्षण कर डीएम ने बताया था आल इज वेल…

यहां वेंटिलेटर पड़ा तो है लेकिन इसे आपरेट करने वाला नहीं है। इसको लेकर कई बार स्वास्थ्य मंत्री जेपी सिंह जो जिले के प्रभारी मंत्री भी है उनसे शिकायतें हुई तो उन्होंने जल्द व्यवस्था का कोरा आश्वासन दिया। राधेश्याम के मामले में भी ऐसा ही हुआ, शोपीस बने वेंटिलेटर के न मिल पाने से देर रात उन्होंने दम तोड़ दिया।
सीएमओ का कहना है कि वेंटिलेटर मौजूद है आपरेट करने वाला कोई नहीं है। इसके लिए हम प्रयास रत हैं। हैरत की बात ये है कि दो दिन पूर्व डीएम रवीश गुप्ता ने एल-2 हास्पिटल का दौरा किया था और व्यवस्था आल इज वेल बताया था, आज भी जब कई मौते वहां हो चुकी हैं तो साहब ने निरीक्षण किया है। हालांकि जब उनसे बात करने की कोशिश किया गया तो उन्होंने सीयूजी नंबर उठाना मुनासिब नहीं समझा। वहीं सीएमओ से भी ये जानने के लिए जब सीयूजी नंबर पर बात की गई कि एल-2 में शुक्रवार रात से अबतक कितने मरीजों की मौते हुई तो उन्होंने ये कहकर फोन काट दिया कि अभूत डीएम की मीटिंग में बैठे हैं। दुबारा फोन करने पर उन्होंने कहा कि रात से अबतक मौत के आकड़े डीएम साहब बता पाएंगे। अब भला डीएम साहब को कौन बताए कि ये समय बार-बार मीटिंग लेने और निरीक्षण कर फोटो सेशन का नहीं है, लचर व्यवस्था को तत्काल प्रभाव से अमल में लाने का है।

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