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सुन्नी वक्फ बोर्ड ताजमहल पर मालिकाना हक साबित करने में नाकाम

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ताज महल पर मालिकाना हक के मामले पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड सुप्रीम कोर्ट के सामने ताज पर मालिकाना हक साबित करने के लिए कोई भी दस्तावेज पेश नही कर सका. हालांकि बोर्ड ने आज भी अपनी पुरानी बात को दोहराते हुए कहा कि ताजमहल पर उनका हक है। वक्फ बोर्ड की ओर से वरिष्ठ वकील सलमान खुर्शीद ने कहा कि ताजमहल का मालिक अल्लाह है। इसके बाद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि आप कोर्ट का समय खराब कर रहे हैं।

बोर्ड पेश नही कर सका शाहजहाँ के हस्ताक्षर वाला दस्तावेज:

उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड ने विश्व धरोहर ताजमहल पर मालिकाना हक जाहिर किया था. जिसके बाद पुरातत्व विभाग और सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच ताज पर मालिकाना हक को लेकर सुप्रीम कोर्ट में केस चल रहा था. आज एससी में इस मामले की सुनवाई के दौरान सुन्नी वक्फ बोर्ड ऐसा कोई भी दस्तावेज कोर्ट के समक्ष पेश नही कर सकी, जिससे यह साबित हो सके कि बोर्ड का ताजमहल पर मालिकाना हक है. हालाँकि बोर्ड ने अपने स्टैंड को थोड़ा नरम किया है। वक्फ बोर्ड ने मंगलवार को कहा कि ताजमहल का असली मालिक खुदा है, जब कोई सम्पति वक्फ को दी जाती है, वो खुदा की संपत्ति बन जाती है।

सुनवाई के दौरान वक्फ बोर्ड ने कहा कि एएसआई ताजमहल की देखरेख करती है, इसमें हमें कोई आपत्ति नहीं है लेकिन इस पर मालिकाना हक वक्फ बोर्ड का ही है। वहां पर नमाज अदा करने का अधिकार बरकरार रखा जाना चाहिए। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि आप इसके लिए एएसआई से बात करें। तब एएसआई ने कहा कि इस पर जवाब देने से पूर्व हमें सरकार से निर्देश प्राप्त करने होंगे। इसके लिए हमें समय दिया जाए। जिसके बाद कोर्ट ने इस मामले पर अगली सुनवाई 27 मई को तय की. अब 27 मई को इस मामले पर अंतिम सुनवाई होगी।

बता दें कि पिछली सुनवाई के दौरान बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि वक्फनामा शाहजहां ने उनके नाम किया था। इस बात पर चीफ जस्टिस ने हिदायत दी कि ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट का वक्त बर्बाद नहीं करना चाहिए। इसी के साथ कोर्ट ने बोर्ड से अगली सुनवाई में शाहजहाँ का दस्ताखत लिया हुआ वह दस्तावेज पेश करने को कहा, जिससे साबित हो सके कि शाहजहाँ ताज वक्फ के नाम कर गये थे.

दरअसल सुन्नी वक्फ बोर्ड ने जुलाई,2005 में आदेश जारी कर ताज महल को अपनी प्रॉपर्टी के तौर पर रजिस्टर करने को कहा था। एएसआई ने इसके खिलाफ 2010 में सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ बोर्ड के फैसले पर स्टे लगा दिया था।

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