अब शहीदों के आश्रितों को नौकरी पाने के लिए नहीं भटकना पड़ेगा. प्रदेश सरकार का शासकीय सेवा में लेने का यह फैसला तीनों सेनाओं और अर्द्धसैनिक बलों पर लागू किया जाएगा. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ व मुख्य सचिव के साथ पिछले महीने हुई सिविल मिलिट्री लाइजनिंग कमेटी की बैठक में इस मुद्दे को उठाया गया था.
आदेश के अनुसार, एक अप्रैल 2017 के बाद शहीद होने वाले सैनिकों व अर्द्धसैनिक बलों के आश्रितों यह सुविधा मिलेगी. इस संबंध में प्रमुख सचिव मनोज सिंह की तरफ से जारी आदेश में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश के मूल निवासी शहीद सैनिकों के आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति के संबंध में कार्यकारी आदेश है.
सरकार के फैसले का सनिकों ने किया स्वागत
उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग के अधिकार क्षेत्र में आने वाले पदों और सेवाओं पर यह लागू नहीं होगा. सरकार के इस फैसले का सैनिक संगठनों ने स्वागत किया है. वहीं मध्य यूपी सब एरिया के जनरल ऑफिसर कमांडिंग (जीओसी) मेजर जनरल प्रवेश पुरी ने कहा कि इस मुद्दे पर सैन्य प्रशासन की लंबे समय से राज्य सरकार के साथ वार्ता हो रही थी. आदेश जारी होने से सैनिकों व उनके आश्रितों की मांग पूरी हो गई है.
ऐसे होगी वरीयता क्रम
शहीदों के आश्रितों को वरीयता क्रम में पहले स्तर पर पत्नी व पति (जैसी स्थिति हो) इसके बाद पुत्रवधू, विधवा पुत्रवधू, अविवाहित पुत्रियां और फिर कानून संगत दत्तक पुत्र व दत्तक पुत्रियां और अंत में पिता या माता होंगी. शहीद सैनिक के अविवाहित होने की स्थिति में वरीयता क्रम में पिता, माता, अविवाहित भाई, अविवाहित बहन उसके बाद विवाहित भाई शामिल हो सकेगा.
स्टांप शुल्क से मिली पूर्व सैनिकों को राहत
प्रदेश के पूर्व सैनिकों को 20 लाख रुपये तक की संपत्ति खरीदने पर स्टांप शुल्क नहीं देना पड़ेगा. पिछले दिनों हुई सिविल-मिलिट्री लाइजनिंग कमेटी की बैठक के बाद राज्य सराकर की ओर से लिए गए इस फैसले में शहीद सैनिकों के आश्रितों को भी शामिल किया गया है. अभी तक राज्य सरकार पूर्व सैनिकों को 200 मीटर प्लॉट की खरीद पर स्टांप शुल्क से छूट देती थी. प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार की ओर से जारी शासनादेश में साफ किया गया है कि विकास प्राधिकरणों व आवास विकास की ओर से आवंटित होने वाली संपत्ति में भी पूर्व सैनिकों को बीस लाख रुपये तक की खरीद पर स्टांप शुल्क नहीं देना होगा.