कानपुर प्राणी उद्यान के बगल में निर्माणाधीन केडीए की चर्चित सिग्नेचर सिटी मामले में शुक्रवार 29 सितम्बर को वन मंत्री उपेंद्र तिवारी ने जांच के आदेश दिए हैं. इसके साथ ही केडीए वीसी, मुख्य अभियंता पर्यावरण और प्रमुख वन संरक्षक से जांच की रिपोर्ट भी मांगी है.
पर्यावरण की NOC के बिना KDA करा रहा था निर्माण-
- नवाबगंज कानपुर का प्राणी उद्यान हमेशा से वन्य जीवो को प्रकृति का आनंद देता रहा है.
- मगर पिछले लगभग एक साल से नवाबगंज स्थित कानपुर प्राणी उद्यान के बगल में सिग्नेचर सिटी का निर्माण कार्य चल रहा है.
- इस निर्माण के चलते प्राणी उद्यान के कई जानवरों की मौत हो चुकी है.
- बता दें कि इस निर्माण को लेकर अधिवक्ता सौरभ भदौरिया ने वन मंत्री उपेंद्र तिवारी को पत्र लिखा था.
- जिसमें उन्होंने कहा कि KDA द्वारा कानपुर प्राणी उद्यान के बगल में सिग्नेचर सिटी का निर्माण कराया जा रहा है.
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- यह निर्माण बिना पर्यावरण की NOC के कराया जा रहा है.
- सौरभ ने कहा कि इस निर्माण के चलते प्राणी उद्यान के कई जानवरों की मौत हो चुकी है.
- अपने पत्र में सौरभ ने KDA वीसी, तात्कालिक इंजीनियर, अपर अभियंता , केयरटेकर एवं PRO पर मिली भगत से रोक के बावजूद निर्माण करने का आरोप लगाया है.
- उन्होंने कहा कि मामले में लगातार शिकायतों के बावजूद शासन द्वारा कोई कार्रवाई नही की गई.
- जिसके चलते ये निर्माण कार्य अनवरत जारी रहा.
- सौरभ के इस पत्र के बाद वन मंत्री उपेंद्र तिवारी सिग्नेचर सिटी मामले में जांच के आदेश दिए हैं.
- जिसमें उन्होंने केडीए वीसी, मुख्य अभियंता पर्यावरण और प्रमुख वन संरक्षक से जांच रिपोर्ट मांगी है.
निर्माण कार्य के चलते कानपुर ज़ू के जानवर लगातार हो रहे थे बीमा-
- कानपुर प्राणी उद्यान कई जानवरो का ब्रीडिंग सेंटर है.
- लेकिन प्रदेश सरकारी नीतियों के कारण अब शायद ही इसका भविष्य सुरक्षित रहे.
- कारण है प्राणी उधान के बगल में बनने वाली कानपुर विकास प्राधिकरण की सिग्नेचर सिटी की ईमारत.
- ईमारत में चल रहे काम से जानवर परेशान होकर पिंजरे में टक्कर मारकर खुद को घायल कर रहे है.
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- प्राणी उधान के डॉक्टर के अनुसार धूल और शोर से जानवरो को अस्थमा हो रहा है.
- यही नही जानवरो में पागलपन तक के लक्षण दिखाई देने लगे हैं.
- सर्जन डॉ मोहम्मद नासिर ने बताया की जानवरो के आपरेशन में उनके शरीर से सीमेंट और धूल के कण भारी मात्रा में मिल रहे है.
- ज़ू के निर्देशक दीपक कुमार की मानें तो प्राणी उधान प्रशासन ने इस बावत कानपुर विकास प्राधिकरण को कई बार पत्र लिखर अवगत कराया गया.
- लेकिन पैसे कमाने की होड़ में जानवरो की समस्या पर किसी तरह का कोई आश्वासन तक नहीं मिला.
ये है ज़ू के जानवरों का हाल-
- प्राणी उधान के शेर शोर से परेशान होकर कई बार जंगले में सर मार मारकर खुद को घायल कर चुके हैं.
- जबकि ज़ू की लोमड़ी भी पागलो जैसी हरकते करने लगी है.
- यहाँ के गेंडे ने जहाँ प्रजनन करना बंद कर दिया है.
- वहीँ दूसरे जानवरो में भी सांस की समस्या पैदा हो रही है.
- हालाँकि इन सब समस्याओ के बीच यही कहा जा सकता है कि जब सरकारों और अधिकारियो को इंसान की फ़िक्र नहीं तो इन बेजुबानो के लिये उम्मीद लगाना बेमानी होगा.