जौनपुर में 16 से 30 जनवरी के बीच ऐसा बहुत कुछ हुआ जो हमारी न्यायिक व्यवस्था और जातिगत राजनीति की कई परतें खोल रहा है| यहाँ कोतवाली क्षेत्र के खाखोपुर बाजार में अंडा को लेकर शुरू हुआ विवाद जातीय संघर्ष में तब्दील हो गया। हालत यह हो गयी कि भीम आर्मी के तथाकथित कार्यकर्ताओं के उपद्रव को रोकने के लिए पुलिस को हवाई फायरिंग तक करनी पड़ी|
महिलाओं और बच्चों पर घर में घुस कर हमला
जौनपुर के खाखोपुर गाँव में सूर्यवंश सिंह और मधुसूदन पांडेय की घर की महिलाओं के साथ बेरहमी से मारपीट की गयी थी| पीड़िता का आरोप है कि आरोपित दलित प्रधान श्यामबहादुर गौतम उनकी और बच्चों की आँखे निकालने के लिए बोल रहा था| वह बाहर से बुलाये गए भीम आर्मी के तथाकथित कार्यकर्ताओं से बोल रहा था कि जो भी दिखे – बच्चा, बूढ़ा या औरत…मारकर सबकी आँखे निकल लो|
गरीब ब्राह्मण की दुकान लूट ली गयी
मधुसूदन पांडेय बाजार में अपनी छोटी-सी कपड़े की दुकान से अपने परिवार का भरण-पोषण करते हैं| बुजुर्ग का आरोप है कि उनके दुकान से आरोपी दलित प्रधान और भीम आर्मी के कार्यकर्ताओं द्वारा एक लाख का गल्ला लूट लिया गया| उनके और उनके परिवार के साथ मारपीट की गयी|
टूट गया पैर लेकिन इलाज़ करने के लिए दो दिन बाहर नहीं निकल पाए
तस्वीर में दिख रहे बुजुर्ग का आरोपियों ने लाठी से पैर तोड़ डाला| घरों पर पत्थरों से हमला किया गया और कांच के बोतल फेंके गए|
दो दिन तक पुलिस गाँव में पेट्रोलिंग करती रही लेकिन पीड़ितों और घायलों का मेडिकल तक नहीं कराया गया| आरोपी प्रधान के पुलिस गिरफ्त से फ़रार होने के कारण पीड़ितों को टूटे हुए पैर के साथ ही नित्य कार्य करना पड़ा| डर का ऐसा माहौल था कि अस्पताल तक नहीं जा पाएं|
राजनीतिक दलों ने बनायीं दूरी
पीड़ित परिवारों ने आँसू पोछते हुए जो बोला वह वाकई में शर्मनाक है| उनके अनुसार क्योंकि वो सवर्ण है इसीलिए पीड़ित होने के बावजूद सामान्य न्याय से वंचित हैं|
“वोट मांगने सब आ जाते हैं लेकिन घटना के इतने दिन बाद भी न तो सपा, न ही भाजपा और न ही अन्य किसी राजनीतिक दल ने उनके दरवाजे तक आने का कष्ट उठाया| सिर्फ गैर राजनीतिक दल अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा ने उनके घर पर आकर दुःख-दर्द बाँटा |”
हाईकोर्ट के आदेश को जौनपुर पुलिस का ठेंगा, दर्ज किया एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा
मामले में पुलिस ने परिवार के अन्य सदस्यों समेत नाबालिग़ के ऊपर भी एससी-एसटी एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया है। जब दलित आरोपियों ने घर पर चढ़ कर हमला किया, पत्थर फेंके, उपद्रव किया तो पीड़ित पर ही इस एक्ट में मुकदमा दर्ज कैसे हो गया? क्या जौनपुर पुलिस हाईकोर्ट का आदेश नहीं मानती?
दिसंबर 2018 में न्यायमूर्ति वीके नारायण और न्यायमूर्ति एसके सिंह की पीठ ने आदेश दिया था कि बिना ठोस वजह के इस एक्ट को न लगाया जाय। सरसरी तौर पर हर मामले में यह एक्ट न लगाएं| इस संदर्भ में डीजीपी को एक नोटिस जारी करते हुए कोर्ट ने कहा था कि सभी थानों में सर्क्युलर भेजा जाय।
सर्क्युलर जौनपुर नहीं पहुँचा या फिर सर्क्युलर जारी नहीं हुआ?